उदयपुर. नगर निगम ने वित्त 2014-15 के लिए 213 करोड़ 85 लाख 55 हजार रुपए का बजट प्रस्तावित किया है। इसमें जिन कामों को शामिल किया गया है वो पिछले बजट में भी थे। पिछले साल के मुकाबले बजट में 18 करोड़ रुपए ज्यादा हैं। खास बात यह है कि परिषद को निगम का दर्जा मिल गया। प्रदेश की सरकार बदल गई, लेकिन बजट में वही पुराने कामों को शामिल किया गया और लगभग उतनी ही राशि प्रस्तावित की गई। आगामी 4 फरवरी को मेयर रजनी डांगी की अध्यक्षता में होनी वाली बोर्ड बैठक में पेश किया जाएगा। गत बजट 195 करोड़ 48 लाख का पारित किया गया था। इस बजट में जो काम शामिल किए है उनमें से ज्यादातर काम ऐसे हैं, जिन पर निगम या तो साल भर में खर्च नहीं कर पाया या जितना बजट प्रस्तावित किया गया, उसके अनुरूप काम नहीं हो सका। विकास कार्यों पर 40 करोड़ 95 लाख खर्च प्रस्तावित किया गया था। उसके मुकाबले 21 करोड़ 92 लाख ही खर्च हो सके। निगम ने साल भर में आशानुरूप आय तो अर्जित की है, मगर इसमें से बड़ी राशि सरकार से मिलने वाले अनुदान के रूप में मिली है।
निगम का पहला, मौजूदा बोर्ड का आखिरी बजट
नगर परिषद को निगम का दर्जा मिलने के बाद यह पहला बजट होगा। जबकि मौजूदा बोर्ड को यह अंतिम बजट होगा। इस बोर्ड का कार्यकाल नवंबर में पूरा होने जा रहा है। बोर्ड बैठक में बजट पेश करने से पहले मेयर ने बजट की एक कॉपी केबिनेट मंत्री गुलाबचंद कटारिया को भी भेजी है ताकि वे भी शहरी विकास को लेकर कोई सुझाव दे सकें।
शहर में आमदनी और खर्च का ब्यौरा
ऐसे होगी आय
7539 करों से
630 बायलॉज से
599 नियमों व अधिनियमों के अन्तर्गत
189 संपत्ति-अधिकारों से
490 पेनल्टी से
इन पर खर्च तो हुआ मगर नाममात्र का
नई सड़कों व नालियों का निर्माण, उद्यानों का रखरखाव, बिजली लाइनों का निर्माण, प्रमुख सड़कों पर प्रवेश द्वार निर्माण, नाला नाली निर्माण, विरासत संरक्षण, खेल सुविधाओं का विकास, सामुदायिक भवनों का निर्माण, कच्ची बस्तियों में विकास कार्य, मुख्यमंत्री आवास योजना, गुलाबबाग में विविध विकास कार्य,काइन हाउस का विकास, विभिन्न बस्तियों में सड़क, नाली का रखरखाव, सरकारी स्कूलों में निर्माण कार्य। आधुनिक अग्नि शमन केंद्र का निर्माण, विभिन्न स्थानों पर सीवरेज कार्य, सुखाडिय़ा रंगमंच व निगम के बैठक कक्ष का नवीनीकरण, निगम भवन का विकास, शहर में पौध रोपण, राजकीय अस्पतालों में धर्मशाला के निर्माण,अंडरग्राउंड केबल कार्य, कच्ची बस्तियों में बिजली लाइन की व्यवस्था करना।
इन कामों पर कुछ भी खर्च नहीं कर पाया निगम
टाउन हाल पार्क का विकास, आवास निर्माण, आयड़ नदी का विकास, ऑडिटोरियम निर्माण, एम्यूजमेंट पार्क का विकास, सुखाडिय़ा सर्कल पर फूड स्ट्रीट, एलिवेटेड रोड, आपदा प्रबंधन के लिए हाइड्रोलिक लेडर खरीदना, ठोस कचरा निस्तारण कार्य, निगम में सोलर पावर सिस्टम स्थापित करना, हैंडपंप, ट्यूबवेल, पनघट रखरखाव, श्रमिकों के लिए शेड निर्माण करना, आग बुझाने के लिए उपकरण खरीदना।
ठेकेदारों की हड़ताल, बजरी ने रोके काम
हमने पूरी कोशिश की थी कि बजट अनुरूप काम हो, मगर पहले तो ठेकेदारों की हड़ताल रही। उसके बाद बजरी खनन पर रोक लग गई। इस कारण वर्क ऑर्डर जारी होने के बावजूद निर्माण कार्य आगे नहीं बढ़ पाए। विधानसभा चुनाव को लेकर आचार संहिता के कारण भी काम प्रभावित रहा।
रजनी डांगी, मेयर
निगम बनने के बाद यह पहला बजट था। शहरवासियों को इस बजट में कुछ नया होने की उम्मीद थी, मगर बजट देखकर निराशा हुई। जो काम पिछले बजट में शामिल थे वे ही काम इस बजट में भी शामिल कर लिए गए है। मानो बजट कॉपी पेस्ट कर तैयार किया गया है।
मोहम्मद अयूब, कांग्रेसी, पार्षद
आयड़, एलिवेटेड रोड व पार्किंग
एलिवेटेड रोड/फ्लाई ओवर निर्माण, सामुदायिक भवनों का रखरखाव, ठोस कचरा निस्तारण, सफाई के लिए मेकेनाइज्ड सिस्टम को मजबूत करना, आधुनिक अग्नि शमन वाहन खरीदना, पार्किंग स्थलों विकास, आयड़ नदी विकास योजना, गुलाबबाग विकास, नई सड़कों, नाला व नाली सहित विविध निर्माण कार्य, ऑडिटोरियम का निर्माण, प्रवेश द्वारों का निर्माण, विरासत संरक्षण, टाउन हाल पार्क का विकास, स्टेडियम निर्माण, पानी की लाइन डालना, बिजली की लाइनों को भूमिगत करना, चौराहा व पार्कों का सौन्दर्यीकरण, सरकारी स्कूलों में मरम्मत व निर्माण कार्य, हैड पंप, पनघट का रखरखाव, सीवरेज कार्य करवाना। शहर के विकास के लिए ये सभी मुद्दे छह महीने या एक साल पुराने नहीं है। आयड़ नदी के विकास जैसे मुद्दे पर पांच सालों से हर बजट में लाखों रुपए खर्च किए जाने का प्रावधान रखा जा रहा है।