उदयपुर | कर्बला में शहीद हुए नवास-ए-रसूल इमाम हुसैन और उनके 72 साथी की शहादत को याद कर मुस्लिम समुदाय द्वारा ताजियों का जुलुस निकाल इबादत कर, रोज़े रख कर तबर्रुक तकसीम कर आज योमे आशूरा मनाया जा रहा है | और शहर भर में ताजियों के जुलुस दो चरण में निकाले गए सुबह और शाम को निकलने वाली ताजियों की सवारी में अपार जन समूह उमड़ा। मस्जिदों में यौमे आशूरा की विशेष नमाज़ अदा की गयी तो कई जगह मजलिसों का दौर भी चला |
आज मुहर्रम की दस तारीख को योमे आशुरा मनाया जा रहा है ताजियों की सवारियों को पुरे जोश खरोश के साथ निकाली जा रही है | ताजिये दो चरण में निकले जिसमे सुबह १० बजे से शहर के सभी मुस्लिम मोहल्लों के के करीब २० से अधिक ताजिये व् कई छोटी बड़ी मेह्न्दियों का जुलुस हाथीपोल हर्वेन जी के खुर्रे से रवाना हुआ सब से आगे महावत वाड़ी के ताजिये थे उसके बाद सिलावट वाड़ी, कल्ले सात , आदि कई मोहल्लों के सजे धजे ताजिये थे अबरक से बना ताजिया आकर्षण का केंद्र रहा , ताजियों की सवारी पुरे जोश खरोश, और या हुसैन या हुसैन की मातमी गुंजों के साथ आगे बड़ा साथ में युवा ढोल नगाड़ों पर मातमी ताल बजाते चल रहे थे।
घंटा घर पर घेरा बना कर कई देर तक युवाओं ने या हुसैन या हुसैन कर मातम मनाया जुलुस घंटा घर से गणेशा घाटी होता हुआ पांडू वाड़ी पंहुचा जहा पर ताजियों और मेह्न्दियों को ठंडा किया गया । कई जागरूक लोगों ने ताजियों को ठंडा नहीं किया और झील बचाओ का नारा लगते हुए पानी का छिटा लगा कर वापस ले आये ।
बड़े ताजिये शाम को :
शाम को बड़े ताजियों का दुसरा चरण शुरू होगा जिसमे अकीदतमन्द भारी संख्या में मोजूद रहेंगे \ । दुसरे चरण के ताजियों के लिए तीनों बड़े ताजियों के अलघ अलग खंड जुलुस के रूप में १ बजे से तीज के चोक में लाना शुरू हो गए अलीपुरा, बड़ी पलटन, और धोली बावड़ी के बड़े ताजिये तीज के चोक में जमा होकर वही सरे खंड जमाये जायेगें और करीब ४ बाजे वहां से ताजियों का जुलुस निकला जाएगा तिन बड़े ताजियों के साथ विभिन्न मोहल्लों के छोटे ताजिये भी शामिल रहेंगे ।
युवा या हुसैन के नारों के साथ ताजियों को आगे ले कर बढ़ाते है, साथ में माइक पर नात और मर्सियाह भी पड़ा जाता है । धोली बावड़ी, पलटन और अलीपुरा के बड़े ताजिये अपने आप में एक कारीगरी और आर्ट का नमूना थे ताजियों पर बड़ी बारीकी से पेपर और रंग बिरंगे पन्नी और थर्मा कोल का खुबसूरत काम किया गया है ।
सभी ताजिये भडभुजा घटी बड़ा बाजार घंटा घर जगदीश चोक होते हुए रात ८ बजे तक लाल घाट स्थित कर्बला पहुंचेगें जहाँ ताजियों को ठंडा किया जाएगा ।
बड़ा बाजार स्थित चिल्ले की मस्जिद पर ताजियों का मुकाम रुकवा कर सभी रोजदारों का रोजा खुलवाया जाता है, और जगदीश चोक में विहंगम द्रश्य देखने को शहर भर का भारी जन सैलाब उमड़ता है, अन्धेरा होते ही सभी ताजिये आकर्षक रौशनी से जगमगा उठते है।
मन्नतें उतारी
पहले व्दुसरे चरण की सवारी में बड़े ताजियों पर कई लोगों ने अपनी मन्नतें उतारी तो कई यों ने मन्नते ली , कोई ताजियों के आगे लोटा तो कोई अपने बच्चे को लेकर ताजियों के निचे से निकला , जगह जगह महिलाओं ने फूल के सेहरे और नारियल पेशा किये ।
हर जगह सबिले लगायी गयी थी जिसमे शरबत चाय , पानी , हलवा , आइस क्रीम , पुलाव हलिम आदि खिलाये गए , हलिम तो शाम होते होते हर मुस्लिम मोहल्ले की हर गली में बनता हुआ दिखाई दिया ।
रोज़े भी रखे गए :
इस्लाम में मोहर्रम का महीना खुदा की इबादत व इमाम हुसैन की शहादत की याद करने का है। मुस्लिम लोग इस महीने की नौ व दस तारीख को रोजे भी रखते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार इन दिनों में रोजा रखने से बीते समय के सभी गुनाहों से छुटकारा मिलता है।
इस्लाम को मानने वाले मोहर्रम माह की दस तारीख को शहीदों की याद के रूप में तथा इस्लाम के प्रति अपने समर्पण को दर्शाते हैं, और साथ ही यह दुआ भी करते हैं कि रब उन्हें भी नेकी, समर्पण व कुर्बानी के जज्बे से सराबोर रखे। जंग को हराम समझे जाने वाले इस माह को शहरूल्लाह व शहरूल अम्बिया भी कहा जाता है।
रात में हुआ छड़ी मिलन :
कल रात को चेतक सर्कल स्थित पलटन मस्जिद व धोलीबावडी के बाहर ताजियों को जियारत के लिए रखा गया है जहां अकीदतमंदो ने फूल पेश किए। मोहर्रम की ९वीं तारीख को शहर में भ$डभुजा घाटी में होने वाली ’कत्ल की रात’ में नायकवाडी एवं कुंजरवाडी मौहल्ले की छडी मिलन की रस्म हुई। शहर के खांजीपीर, कुंजरवाडी, खेरादीवाडा, धोलीबावडी व आयड में लगाई गई सबीलों पर खीर, हलीम व पुलाव आदि तबर्रूक के तौर पर बांटे गए।
पलटन के ताजिये को झील में नहीं करेंगे ठंडा:
मुहर्रम पर्व पर इस बार पलटन मस्जिद के ताजियेे को ठंडा नहीं कर पुन: पलटन मस्जिद लाया जाएगा। फैजाने हुसैन कमेटी के अब्दुल मजीद ने बताया कि झील संरक्षण की दृष्टि से कमेटी द्वारा इस बार यह निर्णय लिया गया है कि इस बार ताजियों को लालघाट ले जाया जाएगा इसके बाद पुन: पलटन मस्जिद लाया जाएगा। जहां लोहे के सामान को सुरक्षित कर ताजिये के निर्माण में उपयोग ली गई सामग्री को ठंडा करवा दिया जाएगा।
नवास-ए-रसूल को सलाम, कर्बला के शहीदों को सलाम
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