उदयपुर। उदयपुर में हाईकोर्ट बैंच की स्थापना के लिए वकीलों का धरना करीब एक महीने से चल रहा है। इस धरने को हर समाज हर संगठन ने जुड़ कर काफी बड़ा बना दिया, मेवाड़ वासियों ने हाईकोर्ट के इस आंदोलन को अपना आंदोलन समझा और इसके साथ जुड़ते चले गए।
दो दिन पूर्व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष शांतिलाल चपलोत ने आमरण अनशन पर बैठ कर इस आंदोलन और धरने को और बड़ा बना दिया। फिर अचानक मात्र एक आश्वासन एक चिट्ठी पर आधी रात को ही अचानक से सारा खेल समाप्त कर दिया। जिस तरह से एक माह से जो धरना लगाया जारहा था जिसमे मेवाड़ वासियों मेवाड़ के हर सामाजिक संगठनों को साथ में जोड़ा गया क्या वह सिर्फ एक नाटक था ?
जो आश्वासन इन एक महीने के धरने और ढाई दिन के आमरण अनशन का नाटकीय अंदाज़ से मिला वह आश्वासन और मुख्यमंत्री से मिलने का समय तो वैसे ही मिल जाता। फिर इस आश्वासन के लिए इतनी बड़ी नौटंकी कर मेवाड़ की जनता के साथ छल करने की कहाँ जरूरत थी।
दरसल उदयपुर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष का कार्यकाल एक वर्ष का होता है। इस एक वर्ष में अध्यक्ष के पास कहने को और दिखाने को कुछ होता नहीं है ऐसे में ले दे कर हर वर्ष नया अध्यक्ष अपने अपने स्तर पर हाईकोर्ट बैंच की स्थापना के लिए आंदोलन करता है। और यह नूरा कुश्ती पिछले बीसियों सालों से चल रही है। इस साल बार के अध्यक्ष रामकृपा शर्मा है जिन पर संघ और भाजपा दोनों की अच्छी खासी कृपा है इसलिए उन्होंने इस आंदोलन को कुछ ज्यादा बड़ा बना दिया और एक एक कर मेवाड़ वासी भी राजनीति के इस प्रायोजित खेल में जुड़ते गए। आमरण अनशन के बाद जैसे ही आलाकमान से आदेश हुए आधी रात को अध्यक्ष और कार्यकारणी को पहुंचे पांच अधिवक्ता चुपचाप सर झुलाये सर्किट हाउस पहुंचे और सरकार के नुमाइंदे मंत्री कृपलानी की सारी बातें मान ली और उसी वाट रातों रात अनशन और धरने आंदोलन का खात्मा कर दिया। जब सभी मेवाड़ वासियों को आंदोलन के साथ जोड़ा था तो सुबह सभी के जागने का इंतज़ार भी कर सकते थे। मेवाड़ वासियों के जागने का नहीं अपने दूसरे साथी वकीलों का भी जागने का इंतज़ार किया जा सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और रात के अँधेरे में एक अच्छे आंदोलन पर राजनीती की कालिख पूत गयी। ज़ाहिर सी बात है बाकी वकीलों का गुस्सा आएगा ही कुछ वकीलों ने शांतिलाल चपलोत के मुँह ऊपर कालिख पोत दी और कुछ ने पोस्टर फाड़ दिए।
लेकिन एक बात जो बार एसोसिएशन के सभी पदाधिकारियऑपन अध्यक्ष और आने वाले अध्यक्षों को भी ध्यान में रखनी चाहिए। आप लोग धनरे लगाओ प्रदर्शन करो लेकिन इस तरह मेवाड़ वासियों को एक साथ लेकर उनकी भावनाओं के साथ खिलवाड़ मत करो। आपको हाईकोर्ट बैंच लानी हो तो लाओ नहीं लानी हो तो नहीं लाओ लेकिन इस तरह आम जनता का मजाक मत बनाओ। पिछले एक माह से हर आम जनता हर समाज आपके समर्थन के लिए धरना स्थल पर आरहा है लेकिन आपने क्या किया अपने आलाकमान की सिर्फ एक धुडकी से इस आंदोलन को कूड़े में डाल दिया।
क्या जनता नहीं जानती आप लोगों को मुख्यमंत्री बुला कर क्या कहेगी क्या आश्वासन देंगी जो आश्वासन मुख्यमंत्री अभी देंगी वह आश्वासन धरने के पहले भी मिल सकता था फिर उसके लिए इतनी बड़ी नौटंकी करने की क्या जरूरत बार एसोसिएशन की कार्यकारणी अपने कार्यकाल में एक बड़ा आंदोलन गिनवा सके बस ,.. यह सब इसी के लिए किया था ,..मौजूदा कार्यकारणी और अध्यक्ष ने यह सिर्फ अपने नंबर बढ़वाने के लिए किया था तो फिर शायद अगली बार से आम जनता को आप अपने इस आंदोलन में नहीं जोड़ पाओगे क्यों की इतना बड़ा धोखा सिर्फ एक बार दिया जा सकता है बार बार नहीं।