अजमेर। मोहर्रम यानी मिनी उर्स में शिरकत करने के लिए देशभर से जायरीन के यहां पहुंचने का सिलसिला तेज हो गया है। इससे दरगाह में खासी रौनक बनी हुई है। चारों तरफ जायरीन ही जायरीन नजर आ रहे हैं।
कायड़ स्थित विश्राम स्थली पर भी रविवार शाम तक 243 बसें पहुंच चुकी हैं। हालांकि प्रशासनिक इंतजाम नाकाफी हैं। उधर, दरगाह क्षेत्र में मर्सियाख्वानी और बयान-ए-शहादत का दौर भी शुरू हो गया है। कुछ खादिमों ने दरगाह क्षेत्र में भी प्रशासनिक इंतजाम सही नहीं होने पर रोष जताया है।
मेाहर्रम पर जायरीन की लगातार आवाजाही से दरगाह क्षेत्र में जाम की स्थिति रही। दरगाह परिसर भी जायरीन से खचाखच भरा नजर आया। स्थिति यह थी कि जियारत के लिए आस्ताना शरीफ से अंजुमन कार्यालय तक जायरीन की कतार लगी रही। जायरीन सिर पर फूलों की टोकरी और चादर लिए आगे बढ़ते रहे।
मोहर्रम की पहली तारीख यानी रविवार को ख्वाजा साहब की दरगाह स्थित अहाता-ए-नूर में जोहर की नमाज के बाद शहादत पर बयान हुआ और असर की नमाज के बाद सलाम पढ़ा गया। इसी तरह शाहजहानी मस्जिद, छतरीगेट, लंगरखाना, हताई आदि क्षेत्रों में बयान-ए-शहादत और मर्सियाख्वानी हुई। यह सिलसिला मोहर्रम की दस तारीख तक चलेगा। शहीदे कर्बला की याद में मुस्लिम समुदाय के कुछ लोगों ने हरे कपड़े भी पहने हैं।
अव्यवस्थाओं का आलम, जायरीन परेशान
कायड़ विश्राम स्थली पर भले ही हजारों जायरीन ठहर चुके हैं, लेकिन अभी भी अव्यवस्थाओं का आलम है। पीने के पानी के लिए सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। पानी के हौज भी साफ नहीं किए गए हैं। मैदान में चारों तरफ झाडियां व घास उगी हुई है, जिन पर बैठकर जायरीन खाना पका रहे हैं। यहां तक कि दमकल वाहन भी नहीं है।
उधर, दरगाह क्षेत्र में अव्यवस्थाओं को लेकर खादिम एस.एफ.हसन चिश्ती ने रोष्ा जताया। उनका आरोप है कि मोहर्रम शुरू होने के बाद तक सड़कें टूटी पड़ी, गंदगी पसरी पड़ी है। उन्होंने कहा कि काफी समय पहले ही प्रशासन को समस्याएं गिना दी गई। प्रशासनिक अधिकारियों ने व्यवस्थाओं का जायजा भी लिया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
29 को खुलेगा चिल्ला
दरगाह स्थित बाबा फरीद का चिल्ला 29 अक्टूबर को खोला जाएगा। चिल्ले की जियारत के लिए बड़ी संख्या में जायरीन यहां आते हैं। यह चिल्ला 72 घंटे तक जियारत के लिए खुला रहेगा।