प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल के महीनों में दलितों पर हुए हमलों के मुद्दे पर उसी सप्ताह कहा था कि यदि कोई हमला करना चाहता है तो उन पर करे, दलितों पर नहीं.
इसके बाद उन्होंने कश्मीर के मुद्दे पर कहा कि वो कश्मीर को लेकर उसी रास्ते पर चल रहे हैं, जिस रास्ते को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनाया था.
इन दोनों बयानों को खबरों में तो जगह मिली लेकिन सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इन पर चर्चा की और इन्हें जुमला कहा.
बुधवार को इन बयानों को ले कर #diljumlajumlahogaya (दिल जुमला जुमला हो गया) ट्विटर पर ट्रेंड पर रहा है.
अभिषेक सिंह ने लिखा है, “हमने देखा है कि पीएम मोदी ने पिछले दो दिनों में दो खोखले भाषण दिए हैं.”
आरओएफएल क्रिटिक ने एक कार्टून ट्वीट किया है जिसे दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने रिट्वीट किया है. इसमें मोदी के “दलितों को मारने से पहले मुझे मारो” वाले बयान पर चुटकी लेते कार्टून में मोदी कह रहे हैं, “अरे कमब्ख़तों. वो एक जुमला था.”
तहसीन पूनावाला ने लिखा है, सबसे बढ़िया ड़्रामेबाज़ का पुरस्कार. पहला – स्मृति ईरानी को ‘मैं अपना सर काट कर रख दूंगी’ और दूसरा – नरेंद्र मोदी को ‘दलितों को मारने से पहले मुझे मारो’ कहने के लिए.
पार्थ पटेल लिखते हैं, “शब्दों से ज़मीनी मुद्दे नहीं सुलझेंगे.”
मंजू जाधव ने लिखा है, “आज हम उस दौर में हैं जहां जानवर प्लास्टिक से और इंसानियत पॉलिटिक्स से मर रही है.”