Udaipur. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सरकार के पहले बजट में जिन 100 स्मार्ट सिटीज को बनाने का ऎलान किया है, वह देश के आम आदमी की गाढ़ी कमाई से बनाई जाएंगी।
एक साल में करीब 35,000 करोड़ रूपए की लागत वाली इस परियोजना के तहत बनने वाले मकान सस्ते नहीं होंगे।
इस परियोजना को मूर्त रूप देने के लिए नगर विकास मंत्रालय ने जो शुरूआती खाका तैयार किया है, उसमें इसके लिए रूपयों का बंदोबस्त आम आदमी की जेब से करने के कई उपाय सुझाए गए हैं।
इस के तहत आम लोगों से निजी वाहनों और व्यावसायिक वाहनों को बेचे जाने वाले ईंधन पर ग्रीन टैक्स, सुधार टैक्स, निजी और व्यावसायिक वाहनों की खरीद पर अर्बन टैक्स वसूले जाने का सुझाव दिया गया है।
मोदी सरकार को इससे 39 हजार करोड़ रूपए राजस्व के लाभ की उम्मीद है। नगर विकास मंत्रालय ने बताया है कि इस परियोजना पर अगले 20 सालों में 6.86 लाख करोड़ रूपए खर्च होने का अनुमान है।
ये सारा पैसा 100 स्मार्ट सिटी के लोगों को 24 घंटे बिजली और पानी की आपूर्ति करने, सभी सरकारी सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध कराने, मजबूत और बेहतर यातायात व्यवस्था देने के अलावा अन्य कार्यो में खर्च होगा।
मंत्रालय अपने बनाए गए शुरूआती प्लान को लोगों के सामने ऑनलाइन पेश करने और उस पर लोगों से सुझाव मांगने की योजना बना रहा है। ये भी उम्मीद है कि इस परियोजना में प्राइवेट सेक्टर को भागीदार बनाया जाए और वहीं से एक विशेषज्ञ को इसका प्रमुख बना दिया जाए।
सबसे पहले यहां बन सकती हैं स्मार्ट सिटीज
देश में किन जगहों पर इन शहरों को बनाया जाएगा, इस पर अभी निर्णय लेना शेष है। लेकिन ऎसी उम्मीद है कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में सबसे पहले ये शहर बने ं। पहले चरण में गुड़गांव, सोनीपत, नोएडा, गाजियाबाद और फरीदाबाद समेत 35 सेेटेलाइट शहरों को स्मार्ट सिटी में बदला जा सकता है।
इसके बाद कोलकाता की साल्ट लेक सिटी, नवी मुंबई, बेंगलुरू में येलहांका और चेन्नई में कांचीपुरम को स्मार्ट सिटी में तब्दील किया जा सकता है।
मंत्रालय इस बात पर भी विचार कर रहा है कि इन शहरों की जनसंख्या 10 लाख या 40 लाख तय की जाए। पूर्वोत्तर राज्यों में भी एक-एक स्मार्ट सिटी बनेंगी। इन शहरों के निर्माण के लिए कम से कम 5000 एकड़ |