पत्रकारों के साथ सल्फी – दिवाली मिलन के बहाने रिझाने की कोशिश?

Date:

151128132432_modi_indian_journalist_selfie_diwali_milan2_624x351_nitinsrivastava

शनिवार के दिन वरिष्ठ पत्रकारों को किसी कार्यक्रम में बुलाने का मतलब मुसीबत मोल लेने से कम नहीं होता. चुनिंदा व्यंजन, जाड़ों की बढ़िया धूप और किसी बड़ी ख़बर के बिना वीकेंड में घर से बाहर निकलना मुश्किल होता है. लेकिन जब नरेंद्र मोदी और अमित शाह भोजन के साथ समय बिताने का न्यौता दें तो शनिवार भी सोमवार जान पड़ता है. जगह है दिल्ली के बीचोंबीच स्थित भाजपा मुख्यालय, जहाँ भारत के वरिष्ठ पत्रकार लाइन में लगकर भीतर जा रहे हैं. भाजपा ने इन्हें दिवाली के दो हफ़्ते बाद ‘दिवाली मिलन’ लिए बुला रखा है और खुद नरेंद्र मोदी ने पहुँचते इसके लिए माफ़ी मांग ली.

उन्होंने कहा, “मुझे पता है कि इस आयोजन में मेरी व्यस्तता के चलते थोड़ा विलम्ब हुआ है”. सवाल ये है कि क्या मोदी वाकई में अपने मन की बात कह रहे थे?

bjp diwali milan lunch

हाल ही में मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा को बिहार में कड़वी हार का घूँट पीना पड़ा है. बीफ़ हत्या मामले में मोदी के देर से आए बयान के बावज़ूद, साहित्यकारों के पुरस्कार लौटाने से सरकार की काफ़ी किरकिरी भी हुई. बढ़ती असहिष्णुता के विवाद पर शाहरुख़ खान के बाद आमिर खान बोल बैठे, तब भाजपा के नेताओं को मजबूरन सफाई देनी पड़ीं. अर्थव्यवस्था के मामले में चुनाव के पहले मोदी के वादे ‘सारे घर को बदल डालूँगा’, उसे भी पूरा होते देखना अभी तक सपना ही है. इस माहौल में मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को अपनी सहजता और अपना पूरा ‘कंट्रोल’ दर्शाने की ज़रूरत भी आन पड़ी थी. इसी का नतीजा था क़रीब चार सौ पत्रकारों के लिए ‘दिवाली मिलन’, भोज पर आमंत्रण और उनसे ‘मेल-मिलाप’.

कल्पना कीजिए इस नज़ारे की:

अरुण जेटली का गोलगप्पे और सलाद लेकर पत्रकारों के साथ संसद की कार्यवाही पर हंंसी-मज़ाक करना. बगल में बैठे अमित शाह का पनीर-चावल के निवालों के साथ, 1950 के दशक में नेहरू और मौलाना आज़ाद के बीच हुई तक़रीरों का ज़िक्र करना. दूसरी तरफ़ राजीव प्रताप रूडी का पत्रकारों से पूछना कि शरबत कौन से बेहतर लगे. वहीं शहनवाज़ हुसैन और रवि शंकर प्रसाद एक ही टेबल पर बैठ कर खाना खाते हुए बिहार विधानसभा चुनाव में हार की वजहों को गिनाना चाह रहे थे. आमतौर पर थोड़े ‘रौब’ में रहने वाली मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी मोदी के आने के एक घंटे पहले से ही पत्रकारों के हाल-चाल ले रहीं थीं. आख़िर में मध्यप्रदेश के ‘करोड़पति’ व्यापारी और उभरते हुए भाजपा नेता कैलाश विजयवर्गीय को पार्टी महासचिवों के साथ बैठकर खाते देखना. इस नज़ारे का जवाब ढूंढना बिलकुल भी मुश्किल नहीं, क्योंकि मोदी और अमित शाह की भाजपा को अपनी छवि की चिंता सता रही है. ऊपर से न तो संसद में अहम क़ानून पास हो रहे हैं, और न ही विपक्ष इन क़ानूनों को लेकर नरम दिख रहा है. इन मसलों के मद्देनज़र मोदी की पत्रकारों से भोजन पर मुलाक़ात के मायने बढ़ जाते हैं.

लेकिन जिस बात ने मोदी के मंसूबों को आसमान तक पहुंचा दिया होगा उस शब्द का नाम है सेल्फ़ी. जिस तरह से दर्जनों पत्रकारों ने मोदी को घेर कर एक के बाद एक सेल्फ़ी खींचनी शुरू की उससे मोदी का ‘खोया हुआ नूर’ दोबारा लौट आया. लेकिन उम्मीद यही है कि चंद लम्हों के लिए पत्रकारों से मिले अप्रत्याशित ‘सेल्फ़ी मेनिया’ को मोदी अब तक भूल चुके होंगे. क्योंकि अगर वे नहीं भूले, तब कम से कम रवैया तो बदलने से रहा.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

हिन्दुस्तान जिंक के स्वास्थ्य अभियान के तहत विश्व स्तनपान सप्ताह आयोजित

हिंदुस्तान जिंक, द्वारा स्वास्थ्य अभियान के तहत् विश्व स्तनपान...

हिंदुस्तान जिंक द्वारा खनन कार्यों में आंतरिक प्रतिभा के कौशल एवं अवसर वृद्धि हेतु जावर में ‘हिंदुस्तान जिंक माइनिंग अकादमी’ का शुभारंभ

इस अनूठी पहल से भूमिगत खदानों में जंबो हेल्पर्स प्रमाणित ऑपरेटर बन सकेंगे - पांच महीने तक चलनेवाले इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में 16 सप्ताह का क्लासरूम इंस्ट्रक्शन शामिल होगा उदयपुर, 30 जुलाई, 2022: देश की एकमात्र और विश्व...

हिन्दुस्तान जिंक की आरडी माइन को स्वास्थ्य एवं सुरक्षा हेतु सिल्वर अवार्ड

हिन्दुस्तान जिंक के दरीबा स्मेल्टिंग काॅम्प्लेक्स के राजपुरा दरीबा...