हाईकोर्ट ने सुखाडि़या विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कॉमर्स कॉलेज के डीन को नोटिस देकर तलब किया

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उदयपुर पोस्ट। टीचिंग कंसल्टेंट के रूप में चयन के बाद बगैर कारण बताए सेवा समाप्त करने एवं सेवा जारी रखने के लिए 50 हजार रुपए मांगने के मामले में हाईकोर्ट ने सुखाडि़या विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कॉमर्स कॉलेज के डीन को नोटिस देकर 24 अक्टूबर को तलब किया है।
प्रकरण के अनुसार कालाजी गोराजी क्षेत्र निवासी डॉ. लोकश माली ने मेंबर सेकेट्री एसएफएस एडवाइजरी बोर्ड एमएलएसयू प्रो. जी सोरल (डीन) एवं विश्वविद्यालय कुलपति के खिलाफ सितम्बर 2017 में याचिका दायर की थी। पीडि़त के अधिवक्ता रमनदीप सिंह ने बताया कि कॉलेज में गेस्ट फेकल्टी व्यवस्था के तहत गत 3 वर्ष से डॉ. माली बतौर टीचिंग कन्सलटेंट सेवाएं दे रहे थे। इसके तहत उन्हें डॉ. माली को 6 घंटे का समय कॉलेज को देना होता था। इसके बदले मासिक मानदेय के तौर पर डॉ. माली को 15 से 25 हजार तक का भुगतान मिलता था। गत 29 जून को मेंबर सेकेट्री ने विज्ञप्ति जारी कर टीचिंग कन्सलटेंट, विजिटिंग फेकल्टी, प्लेसमेंट कंसलटेंट एवं सर्विस कन्सलटेंट (सेल्फ फाइनेंस कोर्स) की भर्ती के आवेदन मांगे थे। याचिका में डॉ. माली ने बताया कि ओबीसी वर्ग से डिपार्टमेंट ऑफ बैंकिंग एंड बिजनेस इकॉनोमिक्स के लिए टीचिंग कन्सलटेंट पद के लिए आवेदन किया। इस पर ९ जुलाई २०१७ को विवि ने संदेश के माध्यम से १३ जुलाई की सुबह 10 बजे विवि प्रशासनिक भवन में साक्षात्कार के लिए बुलाया।
अधिवक्ता ने कुलपति एवं डीन को नोटिस देकर जवाब मांगा। साथ ही बिना कारण बताए सेवाएं समाप्त करने की वजह पूछी गई। मामले में विवि प्रशासन ने चुप्पी साधते हुए कोई जवाब नहीं दिया। मामले में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश दिनेश मेहता ने डॉ. माली की याचिका को स्वीकार करते हुए डीन एवं कुलपति को नोटिस जारी कर तलब होने के आदेश दिए।
कुलपति, डीन एवं डिपार्टमेंट हेड रेणू जेठाना एवं वीसी के नॉमिनी एक्सटर्नल ने डॉ. माली का साक्षात्कार लिया। डीन सोरल ने उन्हें एक अगस्त को कॉमर्स में कक्षाओं के लिए आमंत्रित किया, लेकिन ज्वाइनिंग लेटर नहीं दिया। तय तिथि को प्रार्थी कॉलेज पहुंचा तो डीन ने कक्षाओं का टाइम टेबल दिया, जिस पर उनका नाम भी था। इसके बाद समय सारिणी अनुसार डॉ. माली १ से १८ अगस्त तक नियमित कक्षाएं लेते रहे। जब २१ अगस्त को वह कॉलेज गया तो कोर्डिनेटर ऑफ बीकॉम क्लासेज मॉर्निंग शिफ्ट के प्राध्यापक शूरवीरसिंह भाणावत ने उन्हें सेवाएं समाप्त करने की जानकारी दी।
जवाब में प्रो. भाणावत ने सार्वजनिक तौर पर वजह नहीं बताने की दुहाई दी। इस पर भाणावत ने उनके कक्ष में डॉ. माली से 50 हजार रुपए देने पर सेवाएं यथावत रखने की बात कही। इस पर प्रार्थी ने तय राशि देने से इनकार कर दिया। डॉ. माली ने इन्टरव्यू और चयन का हवाला दिया। साथ ही मामले की शिकायत डीन को भी की, लेकिन उनकी ओर से भी संतोषप्रद जवाब नहीं मिला और सेवाएं समाप्त कर दी गई।

 

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