उदयपुर . एक जिम्मेदार विश्वविध्यालय किस तरह कमाई के जरिये निकाल सकता है सोचा भी नहीं जा सकता . पहले त्रुटी पूर्ण परिणाम घोषित करना और फिर बाद में रिवेल के दौरान उस त्रुटी को निकालना विश्वविद्यालय की विश्वसनीयता पर ही प्रश्न लगा देता है.
सुखाडिया विश्वविध्यालय में ये खेल सालों से चल रहा है और रिवेल के नाम पर छात्रों से प्राप्त होने वाली राशि करोड़ों में है. आलम यह है कि पिछले तीन वर्षों में सुविवि ने 3 करोड़ 62 लाख 700 रुपए सिर्फ रिवेल के आवेदनों से कमाए। जबकि रिवेल को लेकर विवि का कुल खर्च महज 25 लाख 10 हजार 278 रुपए ही रहा है। इसके अलावा 2 लाख 53 हजार 964 रुपए टीचर्स वेलफेयर फंड में खर्च और 2 लाख 53 हजार 479 रुपए टीडीएस में जमा किए गए थे। तीन वर्षों में सुविवि में 46 हजार 978 मामले आए थे। रिवेल को लेकर सुविवि की कमाई के खर्च का यह गणित अधिवक्ता सुधीर जारोली की ओर से लगाई गई आरटीआई के बाद सामने आया है। सुधीर ने 23 फरवरी 2018 को सुविवि से रिवेल को लेकर जानकारी मांगी थी .
आरटीआइ में सामने आया है कि रिवेल के आवेदनों में 77 प्रतिशत से ज्यादा मामलों में रिजल्ट में परिवर्तन किया गया। इसमें 2015 में 14509 मामले आए,लेकिन रिजल्ट बदलने की जानकारी नहीं दी गई है। 2016 में 15 हजार 451 मामले आए उसमें से 11 हजार 838 में रिजल्ट में बदलाव किया गया। 2017 में 17 हजार 18 मामलों में 13 हजार 319 में रिजल्ट बदला गया। अपीलार्थी सुधीर ने बताया कि सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय ने संबंधित विषयों पर सूचना देने में भी आनाकानी की। आरटीआइ दाखिल करने के बाद भी लोक सूचना अधिकारी ने समय पर सूचना नहीं दी। इसके बाद अपीलार्थी ने कुलपति के समक्ष प्रथम अपील पेश की, जिसके बाद सूचना प्रदान की गई।