उदयपुर। सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय द्वारा पूर्णांक में गड़बड़ी होने से बीए अंतिम वर्ष के अंग्रेजी अनिवार्य विषय में संभाग के 250 से अधिक विद्यार्थी फेल हो गए। इन विद्यार्थियों को 50 नंबर का पेपर दिया गया। उत्तर पुस्तिका जांचने वालों ने भी 50 में से नंबर दिए, लेकिन अंकतालिका 100 पूर्णांक मानकर बनाई गई, इससे प्राप्तांक प्रतिशत में आधे ही रह गए।
यानी जिस विद्यार्थी को 50 में से 22 अंक (44 फीसदी) मिले, पूर्णांक 100 होते ही ये अंक 22 फीसदी ही रह गए। इससे ये विद्यार्थी फेल हो गए। मामले का खुलासा होने पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने सबसे पहले वेबसाइट से इन परिणामों को हटाया तथा उसके बाद गुपचुप ढंग से उत्तर पुस्तिकाओं को जंचवाने का काम शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने इस गलती को स्वीकार भी किया है।
वे वजहें, जिनके चलते हुई गड़बड़ी
पैटर्न
पुराने पैटर्न में अंग्रेजी अनिवार्य के पर्चे में 50 नंबर के निबंधात्मक प्रश्न थे। नए पैटर्न में 100 नंबर के वस्तुनिष्ठ प्रश्न आते हैं। विद्यार्थियों को पुराने पैटर्न वाला पर्चा थमा दिया। जबकि मार्कशीट में नए पैटर्न यानी 100 नंबरों में से मार्किंग कर दी।
नतीजे के लिए छात्रों का दबाव
विवि प्रशासन ने हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी परीक्षा परिणाम घोषित करने में देरी दिखाई। छात्रसंघ चुनाव के दावेदारों और अन्य छात्रों ने नियमित रूप से दबाव बनाया हुआ था। इसके चलते आनन फानन में विभाग ने परिणाम घोषित कर दिया।
अप्रशिक्षित कर्मचारी
परीक्षा विभाग में तकनीकी कर्मचारियों का अभाव है। इसके चलते कर्मचारी बदलते रहते हैं, जिन्हें भी इन बदले पैटर्न का पूरा ज्ञान नहीं रहा। उनके सामने जो सूची आई, उसी आधार पर मार्कशीट में दर्शा दिए गए। किसी ने जिम्मा नहीं लिया।
दबाने का प्रयास
अंग्रेजी अनिवार्य में फेल विद्यार्थियों ने वीसी से गुहार लगाई तथा फिर परीक्षा विभाग पर गलती का आरोप लगाया। पहले गलती को माना नहीं गया। वेबसाइट से परिणाम हटा दिया गया तथा मामले से जुड़े किसी भी पक्ष में जानकारी नहीं दी गई। अनजान विद्यार्थियों ने भी री-चेकिंग की मांग रखी और शांत हो गए।
दो साल से बढ़ी परेशानी
सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय में परीक्षा परिणामों का देरी से घोषित होना, प्रश्न पत्र तथा घोषित परिणामों में त्रुटियां आने का सिलसिला गत दो वर्षों से जारी है। इसके अतिरिक्त मार्कशीट में गलतियां छप जाना तो जैसे आम बात है। इन परेशानियों को लेकर कई बार वीसी को शिकायतें की गई तथा वीसी ने भी कई बैठकों का आयोजन कर इन परेशानियों को दूर करने के निर्देश दिए, लेकिन वर्तमान में भी ऐसी समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं।
आगे क्या
कॉपियां वापस जांची जा रही हैं। 50 नंबर में से मिले प्राप्तांकों के आधार पर परिणाम दिया जाएगा।
परीक्षा विभाग की लापरवाही की गाज तकनीकी कर्मचारियों पर गिर सकती है।
कम अंक आने पर अन्य विषयों के विद्यार्थियों को भी इसी तरह की आशंका रहेगी।