उदयपुर । राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य डॉ. एमके देवराजन ने सोमवार को जिला प्रशासन की बैठक लेकर सिलिकोसिस-एस्बेस्टोसिस के पीडि़त मरीजों के मामले में काम नहीं करने पर चिकित्सा एवं मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों को जमकर लताड़ा। अफसरों को लताड़ते हुए देवराजन ने कहा कि वे आदिवासी अंचल में पीडि़त एस्बेस्टोसिस और सिलिकोसिस
जैसी घातक बीमारियों से ग्रसित खान मजदूरों के स्वास्थ्य की जांच नहीं करने और इनकी रिपोर्ट सरकार को नहीं देकर एक अपराध कर रहे हैं। देवराजन जिला कलेक्टे्रट सभागार में सिलिकोसिस/एस्बेस्टोसिस बीमारी से पीड़ित खनिज श्रमिकों/मृत्यु उपरांत उनके विधिक उत्तराधिकारियों के भुगतान एवं केम्प कोर्ट व जन सुनवाई बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।
डॉ. देवराजन ने कहा कि ऎसे जोखिम भरे उद्योगों में नियोजित श्रमिकों की पूर्ण पहचान हो तथा इनके स्वास्थ्य की नियमित जांच की जाए ताकि रोग की स्थिति का पता चल सके। उन्होंने बताया कि राजस्थान में विगत तीन माहों में 2 हजार 200 प्रकरण चिह्नित किए गए हैं।उन्होंने चिकित्सकों से कहा कि पूर्व में इस बीमारी की जांच की कोई व्यवस्था नहीं थी जबकि वर्तमान में मोबाइल वैन मिली है जिससे जांचें की जाएगी। इस पर देवराजन ने कहा कि प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव, प्रमुख शासन सचिव व मौजूदा अधिकारी तक इस बारे में गंभीर हैं लेकिन निचले स्तर पर पूरा मेडिकल विभाग पंगु बना हुआ है। उन्होंने चिकित्सा अधिकारियों से सिलिकोसिस व एस्बेस्टोसिस पर सवाल-जवाब किए व तकनीकी जानकारी मांगी। इसके अलावा कारखाना एव बॉयलर्स डिपार्टमेंट, खान विभाग, जिला प्रशासन व श्रम विभाग से भी सवाल-जवाब किए और आक्रामक रुख में आयोग ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि खान मजदूरों के स्वास्थ्य के प्रति अफसर गंभीर नहीं हैं और अफसर राज चलता है। उन्होंने ये कहा कि आयोग ने 2009 में इस मामले का प्रकरण दर्ज किया। एमएलपीसी संस्थान यह मामला आयोग में लाई थी। उसके वाबजूद उदयपुर का मेडिकल विभाग इस मामले में कभी भी सभी मजदूरों को इस बीमारी के चिह्नीकरण में मदद नहीं दे सका जिससे मरीजों की मौतें होती जा रही हैं। विभाग सही ढंग से इनकी पहचान नहीं कर सका।
उन्होंने जिला प्रशासन व तमाम विभाग को पुख्ता जांच की व्यवस्था कर खनन इलाकों में मोबाइल वैन भेज कर व मजदूरों की गहन चिकित्सा व इनकी रिपोर्ट ऊपर भेजने के आदेश दिए। इसके साथ ही न्यूमोकनोसिस बोर्ड के चिकिसाधिकारयों से भी सवाल- जवाब किए। उनके लंबित प्रमाण-पत्र तत्काल संबंधित एजेंसियों को देने के आदेश दिए। क्वाट्र्ज व फेल्सपार खनिज के खनन तथा प्रसंस्करण इकाइयों में लगे मजदूरों के भी स्वास्थ्य के जांच के एमके देवराजन ने आदेश दिए व कहा कि इसकी सत्यता का पता लगा जाए कि क्वाट्र्ज व फेल्सपार उद्योग से जुड़े लोगों व मजदूरों में सिलिकोसिस व एस्बेस्टोसिस बीमारी नहीं लगी। इसकी सत्यता का पता लगाकर इसकी रिपोर्ट पेश की जाए।
उन्होंने कहा कि राज्य में पहली बार 2013 में एक योजना ऎसे श्रमिक/मृतक परिवारों के लिए बनाकर क्रमशः एक व तीन लाख की नकद सहायता का प्रावधान किया गया है।
डॉ. देवराजन ने क्वाटर््ज, मूर्ति निर्माण, जेम कटिंग, क्रेशर तथा खनन उद्योगों में नियोजित श्रमिकों की मॉनिटरिंग करने के साथ ही चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से श्रमिकों के स्वास्थ्य जांच के शिविर आयोजित करने पर जोर दिया जिससे रोगी की पहचान हो सके। साथ ही उन्होंने ऎसे औद्योगिक क्षेत्रों के आस-पास रहने वाले निवासियों के स्वास्थ्य पर भी ध्यान देने को कहा। डॉ. देवराजन ने जिले में गठित न्यूमोकोनियोसिस बोर्ड को प्रभावी भूमिका निभाते हुए इस योजना का लाभ पीड़ितजन को दिलाने की अपील की।
बैठक में जिला कलक्टर रोहित गुप्ता ने कहा कि योजना का लाभ प्रभावितों को दिलाने के लिए जिले में अधिकाधिक शिविर आयोजित किए जाएंगे। जिला प्रशासन अन्य विभागों के साथ समन्वय स्थापित किया जायेगा।
बैठक में खान सुरक्षा, श्रम विभाग, आरएनटी मेडिकल कॉलेज, खान एवं भू-विज्ञान सहित अन्य संबंधित विभागों के अधिकारियों ने अपनी बात और सुझाव भी रखे।
बैठक में जिला प्रमुख शांतिलाल मेघवाल, अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) ओ.पी.बुनकर, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुधीर जोशी, उद्योग केन्द्र के महाप्रबंधक विपुल जानी, संयुक्त श्रम आयुक्त पतंजलि भू सहित संबंधित विभागों के अधिकारीगण मौजूद थे।
मानव अधिकार आयोग के सदस्य ने मेडिकल अधिकारियों को लताड़ा
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