उदयपुर। उदयपुर संभाग का मेवाड़ ऑर्थोपेडिक हॉस्पिटल एक ऐसा हॉस्पिटल है जहाँ हड्डियों से जुडी हर समस्या हर बिमारी का इलाज ऑर्थोपेडिक स्पेशलिस्ट डॉक्टरों के द्वारा किया जाता है। मरीज जिस विश्वास के साथ मेवाड़ हॉस्पिटल में अपना इलाज करवाने के लिए आता है उसी विश्वास के साथ उसका इलाज किया जाता है। मेवाड़ ऑर्थोपेडिक हॉस्पिटल के मेनेजिंग डायरेक्टर डॉ. मनीष छापरवाल का कहना है कि मेवाड़ हॉस्पिटल की राजस्थान और मध्यप्रदेश सहित 11 शाखाएं है जहाँ एक ही ध्येय है कि ज़िन्दगी दर्द रहित हो और उसके लिए हम प्रतिबद्ध है।
हर उम्र के मरीज़ हड्डियों से जुडी अपनी समस्या लेकर आते है और समस्या से छुटकारा पा कर यहाँ से जाते है। डॉ छापरवाल बताते है कि मुख्यतः 80 वर्ष से ऊपर के वृद्धों में घुटनों की समस्या आम हो चली है, लेकिन इसके साथ ही साथ हमारे समाज के हर तबके में यह भ्रान्ति फेली हुई है कि 80 वर्ष से ऊपर के मरीजों का घुटना प्रत्यारोपण सफल नहीं होता जबकि हमारे यहाँ विशेषज्ञों द्वारा 80 से 90 वर्ष तक के वृद्धो का सफल इलाज किया जाता है।
डॉ मनीष छापरवाल के इस दावे की सच्चाई जानने के लिए उदयपुर पोस्ट की टीम ने 80 से 90 वर्ष के मरीजों और उनके परिजनों से इसकी सच्चाई जानी तो चोंकाने वाले परिणाम सामने आये। जब मरीजों और उनके परिजनों से मेवाड़ हॉस्पिटल से जुड़े अपने अनुभव साझा करने को कहा तो उनके चेहरे की ख़ुशी और संतोष देखते बनता है।
डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा कसबे के मनीष पंड्या बताते है कि मेरी माँ की उम्र 85 वर्ष है उनके घुटने की तकलीफ इस तरह थी कि उन्हें या तो सहारे से चलाना पड़ता था या फिर उठा कर इधर उधर ले जाना पड़ता था। कई हॉस्पिटल में बताया इलाज घुटना प्रत्यारोपण ही बताया। लेकिन उम्र अधिक होने ली वजह से हम यह निर्णय नहीं ले पा रहे थे कि ओपरेशन करवाना चाहिए या नहीं और किस भी अस्पताल के डॉक्टर ने हमे विशवास नहीं दिलाया. लेकिन इसी वर्ष जनवरी माह में हम अपनी माँ को मेवाड़ हॉस्पिटल के डॉ मनीष छापरवाल को दिखाने के लिए आये उन्होंने घुटना प्रत्यारोपण का कहा और पूरा विशवास दिलाया कि आपकी माँ बिलकुल स्वस्थ हो जायेगी। उन्होंने माँ के दोनों पेरों का प्रत्यारोपण किया और महज़ सात दिनों में ही माँ को अपने पेरों पर चलता कर दिया। मनीष पंड्या बताते है कि ये डॉ मनीष छापरवाल का ही विश्वास था की उन्होंने इतनी उम्र में माँ के घुटने का सफल इलाज किया। ऐसे ही भीलवाड़ा से आये 87 साल के सालेह मोहम्मद कहते है कि में अपने घुटनों की वजह से पिछले सात सालों से परेशान था लेकिन अधिक उम्र में ओपरेशन नहीं करवाने की भ्रान्ति के चलते ओपरेशन नहीं करवाया. लेकिन जब यहाँ पर डॉ मनीष छापरवाल के पास दिखाने के लिए आये तो उन्होंने हमे विशवास दिलाया कि अधिक उम्र से कोई फर्क नहीं पड़ता हम आधुनिक तकनीक से आपका सफल ओपरेशन करेगें और आज छह माह हो गए है ओपरेशन को एसा लगता है मानो मेरी टांगों में नयी जान आगई मुझे एक नया जीवन मिल गया। इसी तरह उदयपुर शहर के ही अम्बामाता स्कीम में रहने वाले राजेन्द्र सिंह राव बताते है कि उनके दादा के घुटनों का प्रत्यारोपण 86 वर्ष में चार माह पहले ही मेवाड़ हॉस्पिटल में डॉ मनीष छापरवाल द्वारा करवाया जो की सफल है और दादा चल फिर सकते है। बांसवाडा की सुमित्रा दवे बताती है की 79 साल में उनकी माँ का घुटना प्रत्यारोपण हमने मेवाड़ अस्पताल में करवाया आज 11 माह हो गए है माँ स्वस्थ है और आराम से अपने पेरों से चल सकती है माँ को एक नया जीवन मिल गया हो एसा लगता है।
डॉ मनीष छापरवाल कहते है कि यह सिर्फ भ्रान्ति है कि आहार 80 वर्ष से अधिक की आयु हो तो घुटनों का सफल ओपरेशन नहीं हो सकता लेकिन हमने इसे कई ओपरेशन किये है जिसमे मरीज की उम्र ८० से ९० के बिच है और उनके घुटनों का सफल प्रत्यारोपण किया है।