राजस्थान में जोधपुर के मथुरादास माथुर अस्पताल में गलत इंजेक्शन लगाने के मामले में अस्पताल के स्टोर के फार्मासिस्ट हमीद को निलंबित कर दिया गया है। स्टोर कीपर को निलम्बित करने एवं मामले की जांच विशेषज्ञ समिति से कराने के निर्देश दिए गए हैं। चिकित्सा विभाग के प्रमुख शासन सचिव जेसी मोहंती ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री राजेन्द्र राठौड़ ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सोमवार यह निर्देश दिए।
मोहंती ने बताया कि इस मामले की जांच के लिए गठित समिति में सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज जयपुर के एक प्रोफेसर, ड्रग कंट्रोलर एवं एक अन्य विशेषज्ञ चिकित्सक को शामिल किया है। उन्होंने बताया कि समिति को सात दिन में जांच कर अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
उधर, मथुरादास अस्पताल के अधीक्षक दीपक वर्मा ने बताया कि दवा आपूर्ति कम्पनी ने गलती से पशुओं वाले इंजेक्शनों की आपूर्ति कर दी और इसकी जानकारी मिलने तक करीब 168 लोगों के यह इंजेक्शन लग चुके थे लेकिन इससे किसी के भी कोई दुष्प्रभाव पड़ा।
उन्होंने बताया कि एक हजार इंजेक्शनों की सप्लाई की गई और शेष को जब्त कर लिया गया हैं। उल्लेखनीय है कि इस मामले का खुलासा रविवार को उस समय हुआ जब अस्पताल के सर्जिकलवार्ड में भर्ती एक मरीज के यह इंजेक्शन लगाया जा रहा था। औषधि नियंत्रण संगठन ने सोमवार को अस्पताल से 845 इंजेक्शन मय कार्टन अपने कब्जे में ले लिए हैं तथा इसमें से 160 इंजेक्शन जांच के लिए मंुबई के बांद्रा स्थित ड्रग टेस्टिंग लेबोरेट्री भेजे जाएंगे।
मेरोपीनाम इंजेक्शनों के लेबल पर नॉट फॉर ह्ययूमन यूज, ओनली फॉर वेटनरी यूज (इंसानों के लिए नहीं, सिर्फ पशुओं के लिए) लिखा था। अस्पताल मे 155 इंजेक्शन मरीजों को लगा दिए गए। जोधपुर के सहायक औषधि नियंत्रक भरत गोस्वामी और औषधि नियंत्रण अधिकारी मनीष गुप्ता ने सोमवार सुबह एमडीएम पहुंच डिस्ट्रीब्यूटर अग्रवाल ट्रेडिंग कंपनी से बचे हुए छह इंजेक्शन भी जब्त कर लिए।
गलती से लगा पशुओं का लेबल?
जोधपुर की अग्रवाल ट्रेडिंग कंपनी को सप्लाई करने वाली हिमाचल की पुष्कर फार्मा ड्रग निर्माता कंपनी ने ई-मेल से पत्र भेज सफाई दी है। कहा है, सप्लाई किया गया मेरोपीनाम इंजेक्शन इंसानों के लिए है। गलती से पशुओं से संबंधित लेबल लगा दिया गया। कंपनी ने अग्रवाल ट्रेडिंग कंपनी से इंजेक्शन का स्टॉक लौटाने को कहा है।