उदयपुर, नगर निगम का घमासान अब सड़कों पर आने की तय्यारी में है। महापौर के खिलाफ विरोधियों ने खुले तौर पर मौर्चा खोल दिया है, और विरोधि खेमे के असंतुष्ट पार्षदों की संख्या में इजाफा होता जा रहा है। विरोधी पार्षद विपक्ष से मिल कर महापोर के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का मन बना चुके है। महापोर के तिरस्कार और वार्डों में काम नहीं करने की प्रवर्ती के चलते सत्ता पक्ष के १८ से अधिक पार्षद महापोर के विरोध में खड़े हो गए है।इधर सूत्रों के अनुसार निगम आयुक्त ने भी जाते जाते बैठक के पांचवे प्रस्ताव “समितियों के गठन” में नोट डाल दिया कि इस पर आम सहमती नहीं बन पायी और अधिकतर पार्षद इस प्रस्ताव के विरोध में है । इस नोट से महापोर कि मुसीबत और बढ गयी है ।
आ सकता है अविश्वास प्रस्ताव :
महापोर कि मुसीबत आने वाले दिनों में बढ सकती है। क्योंकि विरोधियों के तेवर कम पड़ते नहीं दीखते, उनके पास अब बहुमत लगभग सिद्ध हो गया है। और अविश्वास के लिए सिर्फ एक कदम दूर है। कुल ५५ पार्षदों में से सत्ता पक्ष के १६ और विपक्ष के १९ पार्षद मिलकर ३५ पार्षद स्पष्ट तौर पर विरोध में है। अविश्वास प्रस्ताव के आवेदन के लिए आधे पार्षदों कि सहमती चाहिए और सिद्ध करने के लिए एक तिहाई बहुमत चाहिए जो विरोधियों को उम्मीद है कि पूरा कर लेगे।
महापोर लगी मानाने में :
महापोर अपने पे आये संकट को देख मंगलवार को दिन से रात देर तक अपनी पार्टी के पार्षदों को मानाने में लगी रही और घर घर जा कर पार्षदों कि मान मनव्वल का दौर चलता रहा लेकिन सूत्रों के अनुसार अधिकतर पार्षदों ने खास कर महिला पार्षदों ने महापौर को बेरंग यह कह कर लोटा दिया कि साड़े तिन साल तक आपने हमारा तिरस्कार किया है और हमारे वार्ड में काम नहीं कराया अब क्यों हम आप का साथ दे ।
तिरस्कार और तानाशाही से है परेशान:
भाजपा के अधिकतर पार्षदों ने खुले तौर पर कहा है, कि महापौर ने पिछले साडे तिन साल तक उनका तिरस्कार किया वार्डों में कोई काम नहीं किया। जनता ने हमे चुन कर भेजा है, हम जन प्रतिनिधि है । जनता के सामने किस मुह से जायेगे । महापोर के तानाशाही रवय्ये से हम अब परेशान हो चुके है ।
अब बस भाई साहब का सहारा :
महापोर व् एनी उनके सहयोगियों को अब गुलाब चंद कटारिया के आने का इंतज़ार है उनका मानना है कि भाई साहब ही आकर अब बिगड़ी स्थिति को संभालेगे । कटारिया मुम्बई अपनी पेशी से आज दिन तक लोटेगे ।
पार्टी किसी व्यक्ति विशेष कि नहीं है और किसी कि मनमर्जी नहीं चलेगी लोकतंत्र है सबको अधिकार है अगर जरूरत पड़ी तो अविश्वास प्रस्ताव भी ला सकते है । महापोर के रवय्ये से नाराज़ कई भाजपा के पर्धाद हमारे साथ है ।… उप महापौर .. महेन्द्र सिंह शेखावत
नगर परिषद् में पार्षदों कि साड़े तीन साल से सुनवाई नहीं हो रही है, वार्डों में काम नहीं हो रहे है , नगर निगम कि महा पौर किसी कि सुनवाई नहीं करती उनके खिलाफ अविश्वाश बढ़ता जा रहा है …. प्रति पक्ष नेता , दिनेश श्रीमाली ।
महापोर पार्षदों का तिरस्कार और अपमान करती है सालों तक होने वाले कार्यों कि फ़ाइल दबा कर बैठी रहती है और पुरियो तरह भ्रष्टा चार में लिप्त है । अविश्कास प्रस्ताव आना क्घहिये जिससेव शहर के विकास में महापोर बाधा नहीं हो …. अजय पोरवाल .. पार्षद