जयपुर. हाईकोर्ट ने दीपावली पर मिलावटी घी, मावा व मिठाइयों की बिक्री की आशंका जताते खाद्य सुरक्षा आयुक्त को उनकी कानूनी शक्तियां याद दिलाई।
इस पर आयुक्त ने बुधवार को हाईकोर्ट में कहा, खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत मावे की बिक्री रोकने का आदेश दे दिया गया है।
कोर्ट ने तथ्यात्मक रिपोर्ट व रोक की अधिसूचना रिकॉर्ड पर लेकर सुनवाई 17 नवंबर तक टाल दी। इधर, चिकित्सा विभाग ने बाजार में उपलब्ध मावे के माल को नष्ट करवाने की तैयारी भी कर ली है।
राजू सैनी की याचिका पर बुधवार को सुनवाई के दौरान न्यायाधीश महेशचंद्र शर्मा ने चिंता जताई।
दिवाली…
कहा राज्य में दिन-प्रतिदिन मिलावट के मामले बढ़ रहे हैं। घी, मावा व उससे निर्मित मिठाइयों में एेसा ज्यादा रहा है और दीपावली नजदीक है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी शशिकांत शर्मा से इसे रोकने के उपाय पूछे।
शर्मा बोले, खाद्य सुरक्षा आयुक्त व निदेशक जनस्वास्थ्य डॉ. बीआर मीणा ही इस पर कार्रवाई कर सकते हैं, जो कोर्ट में हाजिर हैं। याचिका में घी के नमूने के बारे में जयपुर व प्रदेश के बाहर की एक प्रयोगशाला की अलग-अलग रिपोर्ट आने का मुद्दा उठाया है।
यूं निकला रास्ता
कोर्ट ने मीणा से पूछा-जनता की सेहत पर मिलावट का बुरा असर रोकने को क्या कर सकते हैं। मीणा ने खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 की धारा 30 के तहत शक्तियां बताई।
कहा-इस धारा के तहत शहर के चार नामी प्रतिष्ठान से जांच के नमूने लिए हैं। नमूनों की रिपोर्ट आने में 15 दिन लगेंगे। इसी कानून के तहत प्रदेश में मावा व मावे से निर्मित पदार्थोंे के निर्माण व विक्रय रोकने के आदेश जारी कर दिए।
यह कहती धारा 30
आयुक्त जनहित में खाद्य पदार्थों का किसी क्षेत्र विशेष में निर्माण, विक्रय व भंडारण पर पाबंदी लगा सकता है। निर्माता कंपनियों का निरीक्षण करा कता है।
खाद्य सुरक्षा से जुडे़ कर्मियों को कार्रवाई के लिए प्रशिक्षण दिलाया जाए। दोषियों पर कार्रवाई के लिए अभियोजन की स्वीकृति दी जाए। आयुक्त जरूरत पडऩे पर अपने प्रतिनिधि नियुक्त कर सकता है।
चिथवाड़ी और चौमूंं बड़े केन्द्र
जयपुर के चिथवाड़ी व चौमूं मिलावटी मावे बनाने के बड़े केंद्र हैं। यहां कार्रवाई भी कई गई है। लेकिन कुछ केंद्र एेसे भी हैं, जिन तक विभाग पहुंच ही नहीं पाया है। रोक के बाद बाजार में चोरी छिपे मावे की बिक्री की आशंका बढ़ गई है।
01 लाख कारोबारी हैं प्रदेश में मावे से जुड़े
20 हजार जयपुर में
गुरुवार से मावे की बिक्री के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेंगे। सभी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों निर्देश दे दिए हैं।
बीआर मीणा, आयुक्त खाद्य सुरक्षा
पत्रिका व्यू त्योहारी ‘खेलÓ!
दुनिया के लिए त्योहारी मौसम नवरात्र से शुरू हो रहा है, लेकिन सरकारी अधिकारियों का त्योहार तो शुरू हो गया। मिठाई वालों के सैंपल लिए जाने लगे। मावे के निर्माण व बिक्री पर रोक लगा दी गई।
हालांकि मिलावटियों पर कार्रवाई कब होगी या पहले कब हुई? यह बताने वाला कोई नहीं। कानून में ही इतनी गलियां छोड़ रखी हैं कि ‘भाई त्योहार तुम भी मनाओ, हमारे त्योहार का इंतजाम भी कर दो।Ó हम भी खुश तुम भी खुश! जनता जाए भाड़ में।
हाईकोर्ट मिलावट पर 10 साल से चिंता जता रहा है और राजस्थान पत्रिका के अभियानों पर मिलावटियों के खिलाफ दो बार प्रसंज्ञान भी ले चुका है।
त्योहारी…
इस बार अधिकारियों ने कोर्ट को ही ढाल बना लिया। दिन में अधिकारियों ने हाईकोर्ट की सख्ती पर मावे पर रोक लगा दी, शाम को वही सफाई देते दिखे कि कोर्ट के दवाब में पाबंदी लगानी पड़ी। 4 बड़े व्यापारियों के यहां से सैंपल उठाए ताकि थड़ी वाले तक संदेश पहुंच जाए कि ‘त्योहारÓ आ रहा है।
कानून इतना लचर की जो रिपोर्ट खाद्य अधिकारियों के अनुसार आधे से एक घंटे में आ सकती है उसके लिए 40 दिन की अवधि निर्धारित है। 1954 के खाद्य मिलावट निषेध कानून की जगह 2006 में नया खाद्य सुरक्षा कानून आ गया, लेकिन यह प्रावधान जस का तस रहा। सिर्फ जुर्माना बढ़ा दिया गया। ताकि उसके आधार पर ‘खर्चाÓ बढ़ाया जा सके।
कोर्ट भी कानून की धाराओं का हवाला दे एक तरह से अपने दायित्वों से मुक्ति पा जाते हैं। यदि मिलावट सिद्ध हो जाए तो व्यापारी कोर्ट से यह आदेश करा लेते हैं कि जांच पर भरोसा नहीं है, कलकत्ता या गाजियाबाद में जांच हो।
मिलावट करना क्या किसी आतंकवाद से कम है। इससे तो हजारों की जान पर बन आती है। जब तक सरकार वाकई सख्त कानून नहीं बनाएगी, रिपोर्ट हाथों हाथ नहीं आएगी और मिलावटियों को जेल नहीं होगी। तब तक यूं ही हर साल ‘त्योहारी खेलÓ चलता रहेगा और प्रदूषित खाद्य पदार्थों के जरिए मिलावटिये और इनके संरक्षक तिजोरियां भरते रहेंगे।