उदयपुर, प्रदेश के मंदिरों का विकास मनमर्जी के नक्शों से नहीं होकर अब मास्टर प्लान के जरिए होगा। राज्य सरकार की 38 मंदिरों के मास्टर प्लाने की योजना में पहले चरण में 11 मंदिरों का मास्टर प्लान बनाने का कार्य अंतिम चरण में है।
कंपनियों के प्रजेंटेशन हो चुके हैं अब नेगोसिएशन के बाद इसके कार्योदेश जारी किए जाएंगे। देवस्थान विभाग ने मंदिरों के मास्टर प्लान के लिए राज्य के 38 मंदिरों का चयन किया था। इन मंदिरों का विकास योजनाबद्ध तरीके से करने के लिए रीडीकोर के साथ हुए अनुबंध में डीपीआर बनाई गई और इसके बाद टेंडर किए गए।
इसमें पांच फर्मों ने भाग लिया और बीते दिनों ही जयपुर में देवस्थान के अतिरिक्त मुख्य सचिव अशोक शेखर के समक्ष इन फर्मों ने प्रजेंटेशन दिया और इसके बाद वित्तीय बीड खोली गई। अब इन फर्मों की आई दरों पर कमेटी नेगोसिएशन करेगी और इसके बाद कार्योंदेश जारी कर दिए जाएंगे।
धन खर्च, फिर भी नहीं दिखता विकास
मंदिरों के विकास के लिए राज्य सरकार अलग से बजट देती है और करोड़ों रुपए खर्च होते हैं। इसके बाद भी मंदिरों की सूरत-सीरत में कोई खास बदलाव दिखने को नहीं मिलता। मंदिरों को देखकर यह भी नहीं लगता कि मंदिर का विकास किया गया। इसके पीछे मुख्य कारण बिना किसी योजनाबद्ध ढंग से काम किया जाता है।
इन मंदिरों के मास्टर प्लान के लिए प्रजेंटेशन हो चुका है तथा जल्द ही अगली प्र्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी।
अशोक यादव, आयुक्त देवस्थान विभाग
यह होगा खास
श्रद्धालुओं व पर्यटकों के लिए आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध होगी।
मंदिर परिसर में पार्किंग का बेहतर प्रबंधन किया जाएगा।
मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए आवास व्यवस्था के प्रबंध करना।
मंदिरों तक रोड नेटवर्क को मजबूत करते हुए आवागमन के साधनों को मंदिर क्षेत्र से जोडऩा।
मंदिर के आसपास दुकानें, पार्किंग, परिक्रमा, श्रद्धालुओं व रामदेवरा जातरूओं के ठहरने के बंदोबस्त व आबादी आदि का प्लान में खासा ध्यान रखा जाएगा।
पहले चरण में इन मंदिरों का चयन
राजसमंद : चारभुजा में चारभुजा मंदिर व सेवंत्री मंदिर।
चित्तौडग़ढ़ : मातृकुंडिया।
डूंगरपुर : बेणश्वर धाम।
सवाई माधोपुर : चौथ का बरवाड़ा।
दौसा : मेहंदीपुर बालाजी।
अजमेर : पुष्कर मंदिर।
चूरू : सालासर बालाजी।
जैसलमेर : रामदेवरा।
सीकर : खाटूश्यामजी।
टोंक : कल्याणजी डिग्गी मालपुरा।