शादी को आगे बढ़ाने में बिगड़ रहा है बजट, मुहूर्त नहीं होने से मजबूरन मतदान के दिन ही करनी होगी कई शादियां
उदयपुर। चुनावी बिगुल शादी की शहनाइयों पर भारी पड़ता नजर आ रहा है। जिसके चलते सात फेरे लेने जा रही कई जोडिय़ों को कुछ दिन और इंतजार करना पड़ेगा। दरअसल चुनाव की तारीख बाद में आई, जबकि कई परिवारों में शादियां पहले ही तय हो चुकी थीं। परमिशन, छुट्टियों का संकट जैसे तमाम झझंटों से बचने के लिए उन परिवारों में शादी की तारीखें आगे बढ़ा दी गई है या शादी की प्लानिंग को कुछ चेंज कर दिया है। चुनावी तारीख के होने से कई परिवारों को नए सिरे से व्यवस्थाएं जुटानी पड़ सकती है।
राजस्थान में लोकसभा चुनाव के लिए १७ और २४ अप्रैल को मतदान होना है। ज्योतिषियों का कहना है कि इसी दिन सर्वाधिक सावे हैं, जिससे शादी वाले कई परिवारो को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। जिन परिवारों में शादी का उत्साह था और अप्रैल के महीने में होने वाली शादियों के लिए तमाम व्यवस्थाएं भी हो चुकी थी, वे परिवार अब नए सिरे से बंदोबस्त करने में लग हैं। कारण है लोकसभा चुनाव। हालांकि अप्रैल में चुनाव होना पहले से तय था, लेकिन तारीखें तय नहीं होने के कारण कई परिवारों में शादियां तय कर ली गई। परेशानियों से बचने के लिए कुछ ने शादी आगे बढ़ा दी है, जबकि कुछ कोशिश में लगे हुए हैं।
सरकारी नौकरी वालों को खास समस्या: गौरतलब है कि शादी को आगे बढ़ाने का फैसला उन परिवारों में लिया गया है, जहां अधिकतर लोग या खुद दूल्हा, दुल्हन सरकारी नौकरी में है या माता-पिता सरकारी नौकरी में सेवा दे रहे हैं। शादी को आगे बढ़ाने का मुख्य कारण चुनाव को माना जा रहा है। सरकारी नौकरी करने वालों को छुट्टियां लेना अब संभव नहीं होगा, जिसके चलते उन्हें शादी की तारीखों को बदलना पड़ रहा है। शादी समारोहों से जुड़े लोगों का कहना है कि शादी की तारीख बदल जाने के कारण परिवारों को पहले से ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
मुहूर्त हैं पर शादियां नहीं : इवेंट मैनेजमेंट वालों का कहना है कि अप्रैल, मई में मुहूर्त तो कई है, लेकिन शादियां गिनती की ही हो रही है। हर साल अप्रैल में बड़ी संख्या में शादियों होती है, लेकिन इस बार शादियां कम है। बीते साल की अपेक्षा इस बार महज ३० प्रतिशन बुकिंग ही हो पाई है। मुहूर्त तो है, लेकिन चुनाव के कारण लोग बुकिं ग करने में डर रहे थे। अधिकतर लोग अप्रैल की जगह मई में शादी करना पंसद कर रहे हैं, ताकि चुनावी माहौल में किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। (शेष पेज 5 पर)
वाहनों की भी हो सकती हैं किल्लत
॥नगर परिषद और यूआईटी को नोटिस भेज दिया गया है कि चुनाव के दौरान किसी भी सार्वजनिक स्थान, स्कूल, सामुदायिक भवन और ऐसे स्थान जहां मतदान या चुनावी कार्य होना है, वहां की बुकिंग नहीं ली जाए। जिन परिवारों ने पहले ही बुकिंग करा ली है, उनकी बुकिंग निरस्त की जाए और उन्हें अन्य स्थान बुक करने की सलाह दी जाए।
-आशुतोष पेढऩेकर, जिला कलेक्टर, उदयपुर
शहनाई पर भारी चुनावी बिगुल
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