आज मलेरिया दिवसः मच्छर का अर्थशास्त्र, एक केस पर खर्च होते हैं 50 हजार रुपए

Date:

प्रो. आरती प्रसाद
प्रो. आरती प्रसाद
उदयपुर. स्वास्थ्य विभाग की नजर में भले शहर में कोई भी इलाका मलेरिया सेंसेटिव न हो, पर सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय का शोध बताता है कि सवीना और गारियावास क्षेत्र में मलेरिया फैलाने वाले मच्छर ज्यादा हैं। प्राणी विज्ञान विभाग द्वारा किए गए शोध में जिले के अलग-अलग इलाकों में मच्छरों की 9 नई प्रजातियां पाई गई हैं। शोधार्थी अब इसके बचाव के उपाय ढूंढ रहे हैं। शोधकार्य में फ्रांस और मलेशिया के विश्वविद्यालयों की भी मदद ली गई है।

विभागाध्यक्ष प्रो. आरती प्रसाद ने भास्कर को बताया कि मलेरिया वाहक मच्छर की तीन प्रजातियों की खोज पहले की जा चुकी है। वर्तमान में उदयपुर जिले में नौ अन्य प्रजातियों पर रिसर्च जारी है। पता लगाया जा रहा है कि इन नौ प्रजातियों में से कितनी प्रजातियां मलेरिया वाहक हैं अथवा नहीं। सैंपल नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मलेरिया रिसर्च नई दिल्ली भेजे हैं। सवीना और गारियावास में हुए सर्वे में मलेरिया वाहक मच्छर एनाफिलीज स्टीफेंसाई अधिक संख्या में पाए गए। इन इलाकों में जलभराव और पास में डंपिंग यार्ड होने के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ा है। उपनगरीय क्षेत्र में हुए सर्वे के आधार पर कोटड़ा, झाड़ोल, झामरकोटड़ा, उमरड़ा, बिछड़ी, बेदला, नाई में एनाफिलीज स्टीफेंसाई मच्छर अधिक संख्या में पाए गए।

मच्छर का अर्थशास्त्र

1 केस पर 5000 खर्च

> मलेरिया का एक केस मिलने पर उसके इलाज, बचाव पर 5000 रुपए खर्च।
> प्रतिवर्ष 18-20 लाख रुपए खर्च होते हैं मलेरिया रोकथाम पर।
> जिले में अति संवेदनशील ब्लॉक कोटड़ा।
> वर्ष 2013 में राज्य में उदयपुर चौथा संवेदनशील जिला।
> 2104 केस मिले थे ।

घरेलू उपायों से भी भाग सकते हैं मच्छर

> सरसों के तेल में नीम की पत्तियां उबालकर ठंडा करें। इसमें कपूर की कुछ गोलियां डाल दें। इसे शरीर पर लगाने से मच्छर नहीं काटेंगे।
> एक गिलास गरम पानी में चार चम्मच नींबू रस मिलाकर तीन-चार बार पीएं।
> घर के आसपास पानी जमा नहीं होने दे। एक बार में सौ तक अंडे देती है मादा।
> घर में खिड़की-दरवाजे जाली वाले लगवाएं, जिससे मच्छर अंदर नहीं आएं।

प्लास्टिक कप से भी डेंगू

प्लास्टिक के कप-गिलास भी डेंगू का बड़ा कारण हैं। चाय पीकर फेंके गए कप में बारिश का पानी जमा होता है। एडीज मच्छर ब्रीडिंग कर सुरक्षित रहता है। प्रो. आरती प्रसाद

मलेरिया दिवस : 2007 से

विश्व मलेरिया दिवस की शुरुआत 2007 में हुई थी। विश्व में हर साल मलेरिया से मौत के बढ़ते आंकड़ों को देखते हुए विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों ने नियंत्रण और उन्मूलन के लिए इसकी शुरुआत की थी।

ये 9 नई प्रजातियां मिलीं

एनाफिलीज एन्यूलेरिस: बरसात के पानी, घासफूस झाडिय़ों में रुके पानी में ब्रिडिंग करता है। यह खासतौर पर आसाम वाले क्षेत्र में मिलता है।

एनाफिलीज स्पेलेडीड्स: शहरी क्षेत्र के गंदे पानी में ब्रीडिंग करता है।

एनाफिलीज सबपिक्टस: सीवरेज नाले के पानी के अलावा सभी प्रकार के पानी में ब्रीडिंग करता है।

एनाफिलीज टरखुदी: राजस्थान में कम मिलता है, नाई, कोटड़ा में रिपोर्ट किया गया। गंदे पानी में ब्रीडिंग करता है।

एनाफिलीज जेमेसाई: यह मच्छर रेयर है जो देबारी क्षेत्र में रिपोर्ट किया गया। बरसात के दिनों में ब्रिडिंग करता है लेकिन इसकी संख्या कम आंकी गई है।

एनाफिलीज पेलीडस: रेयर मच्छर है जो देवला, झाड़ोल में रिपोर्ट किया गया।

एनाफिलीज नाइजेरिमस: आकार में बड़ा होता है,गंदे पानी में ब्रीडिंग करता है। नांदेश्वर, सीसारमा क्षेत्र में रिपोर्ट हुआ है।

एनाफिलीज बार्बीरोस्ट्रिस: आकार में अन्य मच्छरों से बड़ा होता है, गंदे पानी में ब्रीडिंग करता है।

एनाफिलीज टैसीलेटस: कम मात्रा में मिलता है, गंदे पानी में ब्रीडिंग करता है।

Shabana Pathan
Shabana Pathanhttp://www.udaipurpost.com
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Find love on the most useful dating apps for asexuals

Find love on the most useful dating apps for...

Tips for meeting and dating other bisexual men

Tips for meeting and dating other bisexual menIf you...

Unleash your passions and enjoy a brand new dating experience

Unleash your passions and enjoy a brand new dating...