देश भर में आज क्लिक करें महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है.
शिव मंदिरों और शिवालयों में सुबह से ही शिवभक्तों का तांता लगा है. भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंदिरों में पहुंच रहे हैं.
शिव नगरी वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर, उज्जैन के महाकाल मंदिर और हरिद्वार के मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ रही है.
गुजरात के सूरत, उमरग्राम, जूनागढ़ के शिवमंदिरों में विशेष कर रुद्राक्ष के मोती और घी से बने शिवलिंग को देखने के लिए देशभर से श्रद्धालु वहां पहुंच रहे हैं.
सूरत में 31.25 फीट उंचा और उमरग्राम में 21 फीट ऊंचा रुद्राक्ष का शिवलिंग बनाया गया है. इन्हें बनाने में 30 लाख से ज्य़ादा रुद्राक्ष की मोती का इस्तेमाल किया गया है.
पड़ोसी देश नेपाल में भी महाशिवरात्रि का त्यौहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है. वहां के विश्वप्रसिद्ध पशुपतिनाथ मंदिर में नेपाल और भारत से लाखों श्रद्धालुओं वहां पूजा अर्चना के लिए पहुंच रहे हैं.
पशुपतिनाथ मंदिर को पाँचवीं सदी में बनाया गया था और इसे हिंदुओं के एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों के रुप में जाना जाता है.
इस बार का महाशिवरात्रि त्यौहार इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसका संयोग कुंभ मेले के साथ पड़ा है. आज ही कुंभ का आख़िरी स्नान भी है.
आज की पूजा का महत्व?
ऐसी मान्यता है कि आज ही के दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की शादी हुई थी. जिस कारण क्लिक करें महाशिवरात्रि का धार्मिक महत्व बहुत ज्य़ादा माना जाता है.
धर्म के जानकारों के अनुसार फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष के एकादशी, यानी फरवरी-मार्च के महीने में पड़ने वाला ये त्यौहार इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि आज के दिन भगवान शिव का अंश प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है.
शिवपुराण के अनुसार सृष्टि के निर्माण के समय महाशिवरात्रि की मध्यरात्रि में शिव अपने रूद्र रूप में प्रकट हुए थे.
धर्मशास्त्रियों के मुताबिक आज के दिन ग्रहों की दशा कुछ ऐसी होती है कि मानव शरीर में प्राकृतिक रूप से ऊर्जा ऊपर की ओर चढ़ती है.
वे लोग जो अध्यात्म मार्ग पर हैं उनके लिए महाशिवरात्रि बहुत महत्वपूर्ण है.
योग परंपरा में शिव की पूजा ईश्वर के रूप में नहीं बल्कि उन्हें आदि गुरु मानकर किया जाता है.
वे दुनिया के पहले गुरु माने जाते हैं जिनसे ज्ञान की उत्पत्ति हुई थी.