*वोटों की राजनीति की भट्टी को आग देने के लिए “लव जिहाद” शब्द गढ़ा गया है जिसका इस्लाम में कोई जिक्र नहीं
*’इस्लाम में ’लव जिहाद’ जैसे किसी कृत्य की अनुमति नहीं’ इस शब्द का प्रयोग सिर्फ सांप्रदायिक अशांति फैलाने के लिए किया जारहा है |
उदयपुर। कई धार्मिक नेताओं तथा उलेमाओं ने ’लव जिहाद’ पारिभाषिक शब्दावली पर तीखी प्रतिक्रिया जताई है और कहा है कि इस्लाम में ऐसी चीज के लिए कोई जगह नहीं है तथा इस्लाम में ’लव जिहाद’ का कोई सिद्घान्त नहीं है। उन्होंने कहा कि देश में सांप्रदायिक अशांति पैदा करने के लिए यह नाम गढा गया है।
ऑल इंडिया मुस्लिम मजलिस-ए-मुशावरात (ए आई एम एम एम) के अध्यक्ष डॉ. जफरुल इस्लाम खान ने कहा कि ’लव जिहाद’ की आड में कट्टर हिन्दू समूहों ने देश में सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के लिए ’हेट जिहाद’ (घृणा का जिहाद) अभियान शुरु कर दिया है।
जमात-ए-इस्लामी हिन्द के प्रमुख जलालुद्दीन उमरी ने कहा कि आर एस एस तथा अन्य सांप्रदायिक समूह बिना बात के मुद्दा बनाकर घृणा और सांप्रदायिकता का बीज बो रहे हैं।
उनके विचार दोहराते हुए ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता एडवोकेट अब्दुर्रहीम कुरैशी ने कहा कि झूठ को हजार बार दोहरा कर सांप्रदायिक समूह इसे सच के रुप में स्थापित करना चाहते हैं।
अब्दुर्रहीम कुरैशी ने कहा कि ’’दारुल उलूम देवबंद पहले ही फतवा दे चुके हैं कि प्रेम विवाह करने के लिए धर्म परिवर्तन इस्लाम में स्वीकार्य नहीं है। इस्लाम कहता है कि यदि कोई वास्तव में धर्म बदलना चाहता है तो उसे किसी लालच या वासना के बिना दिल से ऐसा करना चाहिए। दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने कहा है कि आर एस एस तथा अन्य सांप्रदायिक समूह अस्तित्वहीन ’लव जिहाद’ का मुद्दा उठाकर देश में सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाडना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह समूह ऐसे मुद्दों को उठाने पर तुले हुए हैं जो सांप्रदायिकता के आधार पर समाज को बांटते हैं। उन्हें आरएसएस के नवीनतम अभियान में राजनैतिक चाल नजर आ रही है, जो अपना एजेण्डा आगे बढाने के वास्ते बातों में आ जाने वाली हिन्दू जनता को मूर्ख बनाने के लिए है। मुस्लिम नेताओं ने कहा कि आर एस एस तथा भाजपा सहित इससे जुडे संगठनों ने अब समाज में फूट के बीज बोने के लिए ’लव जिहाद’ को चुना है।
आर एस एस ने पूर्व मुख्यमंत्री के बयान को उठा लिया तथा दक्षिण भारत में इसे एक बडा मुद्दा बना दिया। बाद में विश्व हिन्दू परिषद ने इसे काम में लिया किन्तु उसे अपेक्षित प्रतिक्रिया नहीं मिली।
इन शब्दों (लव जिहाद) को बल तब मिला जब केरल के माक्र्सवादी मुख्यमंत्री वी एस अचुतानंदन ने इन्हें एक मुस्लिम संगठन के खिलाफ काम में लिया।
पूर्व में अगस्त २००९ में केरल हाईकोर्ट ने राज्य की पुलिस को यह जांच करने के लिय कहा था कि क्या प्रेम और पैसे को काम में लेकर युवाओं को धर्म परिवर्तन के लिए लुभाने के वास्ते कोई संगठित गोरखधंधा चल रहा है। हाईकोर्ट के आदेश पर पुलिस ने जांच की लेकिन कोई सबूत नहीं मिला।
क्या इस्लाम में गैर मुस्लिमो को इस्लाम के लिए प्रेरित करने का प्रावधान नहीं है. मेरा स्वयं का अनुभव है की मुझे कई मुस्लिम ने कहा है की इस्लाम सबसे अच्छा है और तुम भी इस्लाम ग्रहण कर लो. लेकिन हिंदू कभी किसी से नहीं कहता की आप हिंदू बन जाओ. आपका क्या कहना है इस पर?