भगवान जगदीश निकले नगर भ्रमण पर – हज़ारों भक्तों ने किया स्वागत।

Date:

उदयपुर। भगवान के भक्तों के धर कर उनसे मिलन की वेला – का पारम्परिक पर्व रथयात्रा शनिवार को धूमधाम और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। उदयपुर के ऐतिहासिक जगदीश मंदिर में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा नगर भ्रमण के लिए दोपहर बाद शुरू हुई।हैलिकोप्टर से बरसते पुष्प हजारों भक्तों ने जय जयकारों के साथ भगवान को रथ में विराजमान कराया और उनके रथ की ओर खच भगवान के नगर भ्रमण का आगाज किया। इस बार रथयात्रा को निहारिक भव्य स्वरूप देने का प्रयास किया गया है। यात्रा में इस बार सांकेतिक हाथी के साथ घोड़े, 5 बैंड, ढोल, लवाजमा, रामरेवाडिया, भजन मंडलियों सहित 55 झांकियां व 30 म्यूजिक सिस्टम शामिल हुए। इधर, प्रशासन जहां सुरक्षा बंदोबस्त के लिए सजग रहा, वहीं नगर निगम सहित तमाम सरकारी महकमे गत पूरे मार्ग पर हालात संभाले हुए रहे।
दोपहर दो बजे जगदीश मन्दिर परिसर के अन्दर पारम्परिक रथयात्रा शुरू हुई. मेवाड़ के पूर्व राजघराने के सदस्यों के सान्निध्य में मन्दिर के अन्दर स्थित छोटे देवरियों पर परिक्रमा करने के बाद 3 बजे भगवान जगदीश को पुजारी परिवार द्वारा मंदिर से बाहर बारी-बारी रजत रथ में बिठया गया। रथयात्रा शुरू होने के पहले राजघराने के विश्वराज सिंह मेवाड़, देवस्थान मंत्री राजकुमार रिणवा, देवस्थान आयुक्त जीतेन्द्र कुमार उपाध्याय आदि ने जगदीश चौक पर रथ की आरती की इसके बाद साधु सन्तों की उपस्थिति में रथ को आम जनता द्वारा खींचा गया। इस दौरान पहली बार प्रभु के स्वागत में जगदीश चौक में हेलीकॉप्टर से 5 राउंड पुष्प वर्षा की गयी।
रथयात्रा में मानो पूरा शहर उमड़ पड़ा। दोपहर से ही श्रद्धालु पुरुष-महिलाएं-युवा
जगदीश चौक में एकत्र होना शुरू हो गए। शहर के विभिन्न हिस्सों से झांकियां भी आनी शुरू हो गई थी। जैसे ही भगवान जगन्नाथ के छवि स्वरूप को जगदीश मंदिर से चौक में उतारा गया, अपार जनमैदिनी ने भगवान के जैकारों से आसमान गुंजा दिया। उनके साथ बहन सुभद्रा और बलभद्र की छवि को भी रथ में बिराजमान कराया गया। हर जन जय जगदीश हरे की धुन में रम गया। फिर जैकारों के साथ रथ में बिराजे भगवान चल पड़े नगर भ्रमण पर। रथयात्रा मार्ग में दोनों ओर खड़े शहरवासियों ने लगातार जैकारों के साथ अपने आराध्य के दर्शन किए। मार्ग में भगवान की विभिन्न समाजों की ओर से आरती की गयी। भक्तों ने जगह-जगह भगवान को श्रीफल, भोग सामग्री, पुष्प, राशि आदि भेंट किया। रथयात्रा शहर रथयात्रा जगदीश मंदिर से शुरू होकर घंटाघर, बड़ा बाजार, मोचीवाड़ा, भड़भूजा घाटी, भोपालवाड़ी, संतोषी माता मंदिर, मंडी, झीणीरेत चौक, आरएमवी रोड, कालाजी-गोराजी, रंगनिवास, भटियानी चौहट्टा होते हुए रात १२ बजे तक पुन: जगदीश चौक पहुची। जग्दिश्चौक पहुचने के बाद महारती के साथ रथयात्रा संम्पन्न हुई। महारती में हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

उदयपुर में रथयात्रा का इतिहास :
जगदीश मंदिर के वरिष्ठ पुजारी एडवोकेट हुकमराज, समिति अध्यक्ष दिनेश मकवाना व अन्य बताते हैं कि मेवाड़ में रथयात्रा की शुरुआत मेवाड़ के पूर्व महाराणा जगतसिंह-प्रथम ने 1652 में जगदीश मंदिर परिसर में शुरू की थी। जगन्नाथपुरी (उड़ीसा) की तर्ज पर पहली बार भगवान जगन्नाथ स्वामी नगर भ्रमण पर सन् 1995 में विक्रम संवत की आषाढ़ शुक्ल द्वितीया को 250 साल पुराने पारंपरिक रथ में सवार होकर निकले थे। वह भी महज 500-600 श्रद्धालु के साथ। इस दौरान प्रशासन ने कुछ कार्यकर्ताओं को कुछ समय के लिए गिरफ्तार भी कर लिया था, लेकिन जनता की जिद के आगे प्रशासन की नहीं चल सकी। अब आस्था का आलम यह है कि हर साल 50-60 हजार श्रद्धालु जगन्नाथराय को रजत में नगर भ्रमण कराकर समरसता की मिसाल पेश करते हैं। पिछले 11 वर्षों से सेक्टर-7 जगन्नाथ धाम का रथ भी साथ-साथ चलता है। जो सर्वाधिक 21 किमी की यात्रा पर निकलता है।

https://youtu.be/4sGyptrJfhM

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Sugarmummy Evaluation, Changed 2023

The Sugarmummy dating internet...

Benefits of finding a unicorn in a few relationship

Benefits of finding a unicorn in a few relationshipThere...

Sign up now and begin connecting with lesbians near you

Sign up now and begin connecting with lesbians near...