दो घंटे की लूट की नौटंकी में उछल कूद मचाते नामालूम रेसलर, फूहड़ता परोसती महिला रेसलर , तमाशबीन बने शहर के जिम्मेदार – खेल गाँव अब शादी ब्याह के लिए भी उपलब्ध होना चाहिए ?

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उदयपुर। अगर आपका रसूख है और अधिकारियों को खुश करने का माद्दा है तो शहर में आप कैसी भी फूहड़ता दिखा कर जनता को लूट सकते हो कोई सवाल नहीं उठाएगा ना ही कोई रोकने आएगा। चमक दमक दिखा कर अखबारों में बड़े बड़े विज्ञापन देकर पत्रकारों की कलम भी कुछ समय के लिए गिरवी रखी जा सकती है। पुलिस और प्रशासन के बड़े अधिकारियों को खुश कर कानून व्यवस्था के नाम पर पूरी तरह व्यावसायिक आयोजन में मुफ्त में पुलिस सेवाएं लेकर लाखों करोड़ों कमाए जा सकते है। फिर चाहे जनता को मुर्ख बना कर 6 घंटे का शो सिर्फ २ घंटे में समाप्त कर जनता को दिल खोल कर लूट लो,.. कोई सवाल नहीं करेगा। इस काम में इनका साथ देते है कुछ दलाल,.. जो मीडिया और प्रशासन को खुश करने की दलाली करते है वह आपका सारा काम आसान कर्देगें।
और यह सब कुछ करने के लिए खुद प्रशासन जनता के पैसों से बना खेल गाँव जैसा सुरक्षित स्थान थेंक्यु में उपलब्ध करवा देता है। यह सब हुआ उदयपुर शहर में ” एनकाउंटर 18″ नामक रेसलिंग की घटिया नौटंकी में जहाँ इस नौटंकी में कुछ किराय के पहलवानों ने रिंग में उछल कूद मचाई। फिर महिलाओं की कुश्ती के नाम पर अशलीलता और फूहड़ता परोसी गयी और आखिर में इस शो के ब्रांड एम्बेसेटर “खली” की शो फाइट का डेमो दिखा कर खुली आखों से जनता को लूटा गया। ये बात और है कि कहा कुछ और था दिखाया कुछ और लेकिन इनसे जवाब मांगने वाले खुद चुप्पी साढ़े बैठे है।

इस नौटंकी के दौरान बाउंसरों को रिंग के बाहर खुली छूट दी गयी जिस पर उन्होंने जनता से ही नहीं एडीएम प्रशासन तक से बदसलूकी कर डाली। और 20 रूपये की पानी की बोतल को 80 में बेचा गया .
खिलाड़ियों के नाम पर बनया गया खेल गाँव में इस नौटंकी को खेल अधिकारी बड़े मजे लेकर हाथ बांधे देखते रहे। शहर की जनता के लिए अब खेल गाँव को शादी ब्याह और निजी आयोजन के लिए भी उपलब्ध करवा देना चाहिए। क्यों कि यहाँ अभी तक खिलाड़ियों के लिए वह सुविधाएं तो उपलब्ध करवा नहीं पा रहे जिसके वादे ये अधिकारी और नेता हमेशा करते रहे है। बल्कि अब तो इनकी आड़ में यहाँ पर व्यावसायिक और राजनितिक कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे है, तो क्यों नहीं यहाँ पर हर समाज के लिए सामुदायिक केंद्र और मैरिज गार्डन बना दिया जाय। इस खेल गाँव पर इन रसूखदार नौटंकीबाजों का ही अधिकार नहीं जनता का भी अधिकार है आखिर यह बना तो जनता की खून पसीने की गाडी कमाई से है। इसको बनाने के लिए पैसा ना तो किसी राजनितिक दल ने दिया है ना ही किसी अधिकारी ने अपनी जेब से तो फिर आम जनता इसकी इन सुविधाओं से क्यों वंचित रहे।
खेल गाँव में शनिवार की रात को हुई रेसलिंग के नाम पर नौटंकी सिर्फ एक फूहड़ता वाला तमाशा बन कर रह गयी। जिसमे बड़े अधिकारियों और उनके परिवारों ने भी आंनद लिया ये अलग बात है की कुछ छोटे अधिकारी और करीब ३०० से अधिक पुलिस कर्मी ऊपर के आदेश पर इस नौटंकी की सुरक्षा व्यवस्था करने में लगे रहे। और इसतरह के निजी कार्यक्रम में जहाँ पुलिस विभाग में सुरक्षा के लिए जो शुल्क लिया जाता है वह भी इनको माफ़ कर दिया गया। उम्मीद है पुलिस विभाग बाकी जनता के निजी कार्यक्रमों में भी निशुल्क सुरक्षा उपलब्ध करवाती रहेगी।
सबसे बड़ी बात इस नौटंकी का प्रचार प्रसार पीछा;ले दो माह से चल रहा था इस नौटंकी में एक बड़ा विज्ञापन दाता का नाम जुड़ा हुआ था जो साल के करोड़ों का बिजनेस बड़े मीडिया हाउस को देता है और इस नौटंकी के लिए भी लाखों के विज्ञापन के लालच में बड़े अखबारों ने भी इस फूहड़ता और लूट नौटंकी पर कोई सवाल नहीं उठाया बल्कि अपने विज्ञापनी अनुबंध के चलते इसको महिमंडित करते रहे जिससे जनता भी भ्रमित हुई और खेल अधिकारी भी निश्चिन्त हो गए। रुपया अगर करोड़ों में खर्च किया जाए तो जनता को क्या नहीं परोसा जा सकता इसका जीता जागता नमूना एनकाउंटर 18 में देखने को मिला।

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