उदयपुर। अब आबादी के बीच में शराब की दुकान खुली हो और आपको परेशानी हो रही हो तो विरोध या धरना प्रदर्शन करने की जरूरत नहीं है।लाेकतांत्रिक तरीके से शराब की दुकान को मतदान कर भी शांतिपूर्ण तरीके से हटाया जा सकता है। आबकारी विभाग की नीति में प्रावधान किया गया है, और नई मद्य संयम नीति के तहत प्रशासनिक अधिकारी के समक्ष शराब की दुकान के विरोध में मतदान कर शराब की दुकान को हटाया जा सकता है। चाहे शराब की दुकान शहरी क्षेत्र में हो या ग्रामीण क्षेत्र में। इस नीति के तहत एकजुट होकर शराब की दुकान को हटाने में आसानी होगी। अब तक कानून को हाथ में लेकर असंवैधानिक तरीके से शराब की दुकान को हटाने के लिए क्षेत्रवासी हंगामा, धरना प्रदर्शन जैसे विरोध के गैरकानूनी तरीकों को अपनाते आए हैं। पिछले कई समय से शहर में शराब की दुकान को खोलने को लेकर विरोध प्रदर्शन हो चुके है। कई जगह शहरवासियों ने विरोध जताते हुए जबरन दुकान को बंद करा दिया। प्रशासनिक अधिकारी को ज्ञापन भी सौंपे गए। लेकिन अब ये सब करने की आवश्यकता ही नहीं पड़ेगी।
कोर्ट के आदेश के बाद हाइवे से डेढ़ सौ मीटर की दूरी पर शराब की दुकान खुलने के आदेश दिए है। लेकिन गली मौहल्लों में शराब की दुकान संचालित करने और हटाने को लेकर कोई प्रावधान पूर्व में नहीं थे। गली-मोहल्ले में शराब की दुकानें हटने को लेकर शहर में कई बार विरोध प्रदर्शन होते रहे है। कानून से अनजान लोग नियम तोड़ जाने अनजाने विरोध कर अपने आपको मुसीबत में डाल लेते हैं। कई बार विरोध करने पर राजकार्य में बाधा का मुकदमा भी झेलना पड़ता है। नयी आबकारी नीति के तहत यह सब करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।
ये है मतदान प्रक्रिया :
जिस भी वार्ड में शराब की दुकान है, और उससे क्षेत्रवासियों को दुकान हटाने के लिए मतदान करना होगा। शराब की दुकान को हटाने के लिए वार्ड के 20 प्रतिशत वोटर ही काफी है। शर्त ये है कि वार्ड के कुल मतदाताओं में से 20 प्रतिशत वोटर्स (जिनके नाम वोटर लिस्ट में दर्ज हो) को शराब की दुकान हटाने के लिए एडीएम के समक्ष आपत्ति दर्ज करानी होगी। एडीएम मतदान की तारीख मुकर्रर करेंगे। इसके बाद एडीएम के आदेशानुसार दी हुई तारीख को मतदान कराया जाएगा। मतदान में हिस्सा लेने वाले मतदाताओं में से 51 प्रतिशत वोटर्स की राय मान्य होगी। इससे कम वोटिंग के आधार पर दुकान नहीं हटाई जा सकती।