उदयपुर। शहर में भूमि दलालों का आतंक कोई नया नहीं है। शहर के हर क्षेत्र में भूमि दलाल किसी भूखे भेड़िये की तरह बैठे हुए है। कमज़ोर और मजबूर लोगों की बेशकीमती ज़मीनों पर अपनी गिद्द जैसी निगाहें जमाये रहते है। जैसे ही कमज़ोर लोगों को आर्थिक जरूरत होती है पहले मसीहा बन कर उनके पास जाते है और फिर धोखे से इनकी ज़मीन हड़प जाते है। इन दलालों का शिकार कई लोग हो चुके है। मामला पुलिस तक भी जाता है लेकिन पुलिस को जैसे इन्होने अपने दल में शामिल किया हो ऐसे तरह बेदाग़ बच कर निकल जाते है। इन्ही दलालों का शिकार हाल ही में फतहपुरा निवासी 55 साल के सूरज कुमार कुमावत हुआ जिसने इन दलालों से परेशान हो कर आत्मह्त्या करली। यह मामला भी पुलिस में गया है लेकिन हमेशा की तरह जांच के बाद दोषी बेदाग़ बच निकलेगें ?
अगर सूत्रों की माने तो एक तरह से क्या पुलिस महकमे के आला अधिकारियों ने ही इस भुमिदालालों को पनाह दे रखी है ? इन भूमि दलालों की पहुच इतनी है कि बिना किसी खोफ के यह बेखोफ थाणे में अधिकारियों के सामने बैठ कर अपने कारनामों का बखान तक कर देते है। पुलिस की सरपरस्ती के चलते है ही इन भूमि दलालों के होसले इतने बुलंद है कि इन्हें किसी का कोई खोफ नहीं। शहर में कई ऐसे ठीये है जहाँ ये भूमि दलाल पूरी तरह से गिरोह बना कर अपने कामों को अंजाम देते है। लाखो करोड़ों की जमीन कोडियों के दाम हथिया लेते है।
फतहपुरा निवासी सूरज कुमार कुमावत जिसने शनिवार को फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। उसने सुसाईट नोट में साफ़ टूर पर लिखा है कि उसने भूमि दलालों से परेशां होकर आत्महत्या कर रहा है। सुसाईट नोट में लिखा है- पुलां में 3 प्लॉट हैं जो पैत्रिक संपत्ति है। संपत्ति को लेकर धोली बावड़ी निवासी दलाल गोविंद कुमावत, धीरज भादविया, नीरज अग्रवाल ने उपाध्याय जी से लेन देन करवाया। जिसे मैंने वापस कर दिया था। इसकी रजिस्ट्री मेरे नाम की गोविंद के पास पड़ी हुई है और प्लॉट हड़पने की कोशिश की जा रही है। पिछले चार-पांच साल से इसमें उलझा हुआ हूं। मुझे इतना बर्बाद कर दिया कि आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं है।
अब देखना है कि पुलिस कारवाई करते हुए दोषियों को कड़ी सजा दिलवाती है या फिर हमेशा की तरह जांच में संदेह का लाभ देकर ,……..
शहर भू-माफियाओं की गिरफ्त में – एक और ने परेशान होकर की आत्महत्या
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