राष्ट्रीय जनता दल के नेता लालू प्रसाद को चारा घाटाले से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिल गई है.
इससे पहले उनकी ज़मानत याचिका को झारखंड उच्च न्यायालय ने ख़ारिज कर दिया था.
सीबीआई की विशेष अदालत ने चारा घोटाले से जुड़े चाइबासा ट्रेज़री से 37.7 करोड़ रुपए निकालने के मामले में 30 सितंबर को लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्र और आरके राना समेत 43 अभियुक्तों को दोषी क़रार दिया था.
रांची की अदालत ने लालू प्रसाद यादव को पांच साल की सज़ा सुनाई थी. इसके बाद उन्हें लोकसभा की सदस्यता से भी अयोग्य क़रार दे दिया गया था.
लालू प्रसाद यादव के वकीलों ने दलील दी कि इस मामले के सारे दोषियों को ज़मानत मिल चुकी है और सिर्फ़ लालू ही ऐसे हैं जिन्हें ज़मानत नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि ऐसे में लालू प्रसाद यादव के साथ अलग व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए.
फैसले पर प्रतिक्रिया
ज़मानत मिलने का फ़ैसला आने के बाद लालू यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने कहा, “हमें अदालत पर पूरा भरोसा था.”
मीडिया से बातचीत में उन्होंने कहा कि लालू प्रसाद यादव चुनाव प्रचार में हिस्सा लेंगे. उन्होंने कहा कि आम चुनाव में उनकी पार्टी की सीधी लड़ाई भारतीय जनता पार्टी से होगी.
राबड़ी देवी ने कहा कि देश भर में भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की कोई लहर नहीं है. उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर बहुत से दूसरे मुद्दे हैं.
वहीं लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा कि विरोधियों की साज़िश के तहत उनके पिता को फंसाया गया था और न्यायालय के फैसले के बाद उनकी पार्टी अधिक शक्तिशाली होकर उभरेगी.
इस मामले में शिवानंद तिवारी, सरयू राय, राजीव रंजन सिंह और रविशंकर प्रसाद ने पटना हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी.
पटना हाईकोर्ट ने 11 मार्च 1996 को 950 करोड़ रुपए के कथित चारा घोटाले के मामलों की जांच सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया था.
चाइबासा तब अविभाजित बिहार का हिस्सा था. चारा घोटाले में विशेष अदालतें 53 में से 44 मामलों में पहले ही फ़ैसले सुना चुकी हैं.
सो. बी बी सी