उदयपुर. गुलाब, ख्वाब, दवा, जहर, जाम क्या-क्या है, उदयपुर वालों मैं आ गया हूं बताओ इंतजाम क्या है, चलते फिरते हुए महताब दिखाएंगे तुम्हें, हमसे मिलना कभी पंजाब दिखाएंगे तुम्हे, चांद हर छत पर है, सूरज हर एक आंगन में, नींद से जागो तो कुछ ख्वाब दिखाएंगे तुम्हें। ख्यात शायर डॉ. राहत इंदौरी ने कुछ इसी अंदाज में जश्न-ए-परवाज शाम को रंग दिया तो।
मशहूर शायर निदा फ़ाज़ली ने “अबके खफा हुआ है इतना खफा भी हो,
तू भी हो और तुझ में कोई दूसरा भी हो,
आँख न छीन मेरी नकाब बदलता चल,
यूँ हो की तू करीब भी हो और जुड़ा भी हो,
गाजर के अशआरों ने समा को जवान करदिया। निदा फ़ाज़ली ने आमिर खुशरों की लिखी ग़ज़लें और दोहे भी पढ़े। आखिर में बड़े शायर वसीम बरेलवी ने अपने अलग अंदाज़ में तरन्नुम के साथ जब नज़म पड़ी तो श्रोता झूम उठे और हर तरफ से वाह वाह की दाद आती रही। बरेलवी के
” अपने हर एक लफ्ज़ का खुद एक आइना हो जाऊगां,
उसको छोटा कह के में कैसे बड़ा होजाउगां ,
तुम गिरने में लगे थे तुमने सोचा ही नहीं,
में गिरा तो मसाला बन कर खड़ा होजऊगां । जैसी कई ग़ज़लों पर खूब दाद मिली ।
रात दो बजे तक चले मुशायरे का संचालन अनवर जलालपुरी ने किया। उनकी सुनाई नज्म ‘तुम्हारे घर में दरवाजा है लेकिन तुम्हें खतरे का अंदाजा नहीं, हमें खतरे का अंदाजा लेकिन हमारे घर में दरवाजा नहीं….. ने श्रोताओं को चौकन्ना रहने का संदेश दिया।
सृजन द स्पार्क एवं हिन्दुस्तान जिंक लिमिटेड के साझे में लोककला मण्डल के मुक्ताकाशी रंगमंच पर भारतीय मुशायरा में एक से बढ़कर एक कलाम पेश किए गए।
इंदौरी ने युवाओं के लिए ‘तूफानों से आंख मिलाओ सैलाबों पर वार करो, मल्हाओं का चक्कर छोड़ो, तैर कर दरिया पार करो…… सुना श्रोताओं से खूब तालियां बंटोरी।
उन्होंने जनाजे पर मेरे लिख देना यारों, मोहब्बत करने वाला जा रहा है … नज्म सुनाई तो श्रोता जमकर दाद देने से नहीं चूके। खूब तालियां बजा उनका अभिनंदन किया।
समारोह के मुख्य अतिथि हिन्दुस्तान जिंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अखिलेश जोशी थे।अध्यक्षता पुलिस महानिरीक्षक (उदयपुर रेंज) आनन्द श्रीवास्तव ने की।
इस अवसर पर चित्तौडग़ढ़ पुलिस अधीक्षक प्रसन्नकुमार खमेसरा, सृजन द स्पार्क के अध्यक्ष श्याम एस.सिंघवी, सचिव राजेश शर्मा, राजेश खमेसरा, दिनेश कटारिया, जिंक के सीओओ (स्मेल्टिंग) विकास शर्मा, सुनील दुग्गल, नवीन सिंघल सहित कई अतिथि मौजूद थे।
कार्यक्रम समन्वयक जयपुर के मोअज्जम थे। मुशायरे की निज़ामत लखनऊ के अनवर जलालपुरी की।
हाथ में हाथ रह जाए…
शायर हसन कमाल ने सूरज लहूलुहान समन्दर में गिर पड़ा, दिन का गुरुर टूट गया शाम हो गई, सबकी बिगड़ी को बनाने निकले यार हम तुम भी दिवाने निकले, धूल है रेत है सेहरा है यहां, हम कहां प्यास बुझाने निकले हैं जैसी रचनाएं सुनाईं तो श्रोता आनंदित हो गए।
शकील आजमी ने ‘कुछ इस तरह से मिले हम की बात रह जाए, बिछड़ भी जाएं तो हाथ में हाथ रह जाए…..Ó नज्म सुनाई तो श्रोता भी उनके साथ शब्दो को दोहराने लगे।
मदनमोहन दानिश ने ‘कभी मायूस न होना किसी बीमार के आगे, भला लाचार क्या होना किसी लाचार के आगे… सुना सभी में जोश भरने का काम किया।
निदा से निजाम तक सब शायर छाए
सितारों से सजी शायरों की इस शाम में देश के 12 ख्यातनाम शायर मुबंई से प्रख्यात शायर निदा फाज़ली, हसन कमाल, इन्दौर से राहत इन्दौरी, बरेली के वासिम बरेलवी, जोधपुर के शीन काफ निज़ाम, मुबंई के शकील आजमी, ग्वालियर के मदन मोहन दानिश, कानपुर से प्रमोद तिवारी, जोधपुर के अरुणसिंह मखमूर, जयपुर की मलिका नसीम और उदयपुर से प्रकाश नागौरी ने शिरकत की।
निदा से निजाम तक सभी शायरों ने श्रोताओं के दिल पर छाप छोड़ी। नागौरी ने जुगनुओं को मशाल जलाते नहीं देखा, दरख्तों को छांव लगाते नहीं देखा, बैखोफ सोते पसर कर जो रोज, रेत पर उन्हें नींद की गोली खाते कभी नहीं देखा जैसी बेहतरीन नज्म सुनाई।