उदयपुर। हम प्लास्टिक की बोतल में पानी पीने को मना करते हैं। कहते हैं कि प्लास्टिक के कैरी बैग पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। प्लास्टिक का उपयोग इस धरती के लिए एक अभिशाप की तरह है। दो दिन बाद इंडिपेंडेंस-डे है। हर साल की तरह इस साल भी लोगों के हाथों में प्लास्टिक के फ्लैग दिखाई देंगे। क्या ये फ्लैग पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे? ये फ्लैग जो नालियों में दिखाई देते हैं, ये अपने आप में बड़ी समस्या है? क्यों न प्लास्टिक को पूरी तरह से खत्म करने की शुरुआत प्लास्टिक फ्लैग को बैन करने से करें।
पॉलीथिन पर्यावरण के लिए नुकसानदायक है और शहर के लिए एक बड़ी समस्या हैं। ये शरीर के लिए खतरनाक है। बात यहां पर खत्म हो जाती तो भी गनीमत थी, लेकिन इसी पॉलीथिन से सरेआम नेशनल फ्लैग का मखौल उड़ाया जा रहा है, जो नेशनल फ्लैग सिर्फ कपड़े का होना चाहिए, वो पॉलीथिन में भी बड़े पैमाने पर मिल रहा है। ये फ्लैग किसी प्रोग्राम में कुछ देर के लिए लहराए जाएंगे, मगर बाद में इनका क्या होगा? पॉलीथिन बैग की तरह फ्लैग भी सड़क, गली या कचरे में नजर आएगा। पैरों के नीचे आएगा, नाली में जाएगा। क्या यही राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान है? पर्यावरण को नुकसान और राष्ट्र का अपमान, ये बिल्कुल नहीं चलेगा। आप अवेयर होंगे, तो नेताओं की नींद भी टूटेगी और प्रशासन भी जागेगा।
काफी बड़ा है कारोबार
प्लास्टिक फ्लैग के कारोबार की बात की जाए, तो राजस्थान एक बड़ा मार्केट है। 15 अगस्त से पहले के दिनों में इन फ्लैग्स का ािोक कारोबार लाखों रुपये का हैं। थोक विक्रेता की माने तो सिटी में ये प्लास्टिक फ्लैग एक रुपए से लेकर पांच रुपए तक में बिकते हैं।
रिटेल की १०० से अधिक दुकानें
पूरी सिटी में अधिकतर दुकानदार नेशनल फ्लैग को कैश कराते हैं, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है, जिन प्लास्टिक फ्लैग को सेल कर रहे हैं वो सिटी और पर्यावरण के लिए कितने नुकसानदायक हो सकते हैं। रिटेल व्यापारी के अनुसार सिटी में १०० से अधिक दुकानें हैं, जो नेशनल फ्लैग को पांच दिन पहले से ही सेल करना शुरू कर देती हैं।
सबसे अधिक स्कूलों में यूज
रिटेल व्यापारी के अनुसार सबसे अधिक इन फ्लैगों के खरीदार स्टूडेंट्स होते हैं। एक दिन पहले तक स्कूलों और स्टूडेंट्स में इनकी डिमांड होती है। उनका कहना है कि स्कूलों में इंडिपेंडेंस डे से पहले हमारे पास हजारों की संख्या में ऑर्डर आते हैं।
ये हैं मानक
॥ तिरंगा दोनों तरफ से सीधा होना चाहिए।
॥ तिरंगे पर बने चक्र की 24 तिल्लियां होनी चाहिए।
॥ तिरंगे की प्रिंटिंग में गड़बड़ी नहीं होनी चाहिए और दूसरी तरफ भी तिल्लियां आगे-पीछे नहीं होनी चाहिए।
॥ तिरंगे की 60 इंच चौड़ाई और 90 सेटीमीटर लंबाई होनी चाहिए।
॥ तिरंगे के आर-पार नजर नहीं आना चाहिए।
ये मिलता है
॥ बाजार में सिंथेटिक, कॉटन, प्लास्टिक और तमाम तरह के फैब्रिक पर तैयार तिरंगे मिल रहे हैं।
॥ बाजार में मिल रहा तिरंगा एक तरफ से ही सीधा होता है और दूसरी तरफ सिलाई आती है।
॥ बाजार में मिलने वाले तिरंगे में 24 तिल्लियां हों ये जरूरी नहीं।
॥ बाजार में मिस प्रिंट तिरंगे भी सेल हो जाते हैं और उन पर एक ही तरफ प्रिंटिंग होती है।
॥ बाजार में मिलने वाले तिरंगे किसी एक मेजरमेंट के नहीं होते।
॥ बाजार में मिलने वाले तिरंगे हल्के कॉटन के बने होते हैं जिनके आर-पार आसानी से दिख जाता है।
ये अपमान है तिरंगे का
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