गाज़ा पर इसराइली हमले में अब तक 86 मरे

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ग़ज़ा पर इसराइल की तरफ़ से किए जा रहे हमले सोमवार को छठे दिन भी जारी हैं.

पिछले बुधवार से शुरू हुए इसराइली हमले में अब तक 86 फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं. जबकि हमास की तरफ़ से किए गए हमलों में अब तक तीन इसराइली नागरिक मारे गए हैं.

इस बीच संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने हमास और इसराइल दोनों से युद्ध को तुरंत बंद करने की अपील की है.

बान की मून ने कहा कि दोनों पक्षों को मिस्र की तरफ़ से किए जा रहे शांति प्रयासों में सहयोग करना चाहिए.

मून ने कहा कि युद्ध विराम के लिए किए जा रहे प्रयासों में शामिल होने के लिए वो सोमवार को मिस्र की राजधानी क़ाहिरा जाएंगें.

हमास और इसराइल के वरिष्ठ अधिकारी पहले से ही का़हिरा में मौजूद हैं.

अरब लीग देशों ने भी रविवार को एक आपातकालीन बैठक कर मंगलवार को अरब लीग के एक प्रतिनिधिमंडल को ग़ज़ा भेजने का फ़ैसला किया.

लेकिन एक तरफ़ जहां युद्ध विराम की कोशिशें जारी हैं वहीं दूसरी ओर इसराइली हमले भी जारी हैं.

भीषण हमले

रविवार को इसराइल ने अब तक का सबसे भीषण हमला किया जिसमें एक ही परिवार के नौ लोग समेत कुल 23 लोग मारे गए थे.

मारे जाने वालों में ज़्यादातर बच्चे और महिलाएं शामिल हैं.

हमास के एक पुलिसकर्मी मोहम्मद दालो के परिवार के नौ लोगों के मारे जाने पर गहरा दुख जताते हुए बान की मून ने कहा कि इन हमलों को तुरंत रोका जाना चाहिए.

लेकिन हमास ने कहा कि दालो परिवार के लोगों की मौत का बदला ज़रूर लिया जाएगा.

इसराइली सेना का कहना है कि उसने रविवार की रात ग़ज़ा में 80 ठिकानों को निशाना बनाया जबकि हमास ने इसराइल पर एक रॉकेट हमला किया.

रविवार को इसराइली प्रधानमंत्री बेन्यामिन नेतन्याहू ने कहा कि वो इस ऑपरेशन को और आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं. उन्होंने कहा कि 75 हज़ार रिजर्व सैनिकों को युद्ध के लिए तैयार रहने के आदेश दे दिए गए हैं.

लेकिन मिस्र के राष्ट्रपति मोहम्मद मुर्सी ने कहा कि इसराइल अगर ज़मीनी हमला करता है तो इसके गंभीर परिणाम होंगे और मिस्र इसे कभी स्वीकार नहीं करेगा.

इस बीच ब्रितानी ग़ैर-सरकारी संस्था ‘सेव द चिल्ड्रेन’ ने कहा है कि ग़ज़ा में लोगों के पास खाने-पीने के सामान की भारी कमी है और ज्यादातर लोग अपने घरों में फंसे हए है. संस्था के अनुसार दिन में 18 घंटों तक बिजली ग़ायब रहती है.

ग़ज़ा में 2006 में हुए प्रजातांत्रिक चुनाव में हमास ने ग़ज़ा पर क़ब्ज़ा कर लिया था. इसराइल ने 2005 में ग़ज़ा पट्टी छोड़ दिया था लेकिन ग़ज़ा पर इसराइली घेराबंदी अब भी मौजूद है.

इसराइल, अमरीका और यूरोपीय संघ हमास को एक चरमपंथी संगठन मानता है.

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