उदयपुर, पशुपालन विभाग को पर्याप्त सरकारी सुविधाएं होने के बावजूद खाली पडे पदो के चलते कार्यरत चिकित्सक पर काम का बोझ बढ रहा है।
सूत्रो के अनुसार राज्य सरकार द्वारा आमजन के साथ पशु चिकित्सा के लिए निशुल्क जांच एवं दवा वितरण की व्यवस्था की है लेकिन उक्त सेवा पर्याप्त स्टाफ के अभाव में प्रभावित अवश्यक होती है। शहर के चेतक सर्कल पर स्थित संभाग के अतिरिक्त निदेशक पशुपालन विभाग कार्यालय परिसर में संयुक्त निदेशक पशुपालन, उपनिदेशक बहुउदेश्यीय पशु चिकित्सा, उपनिदेशक पशुधन विकास, उप निदेशक पशु धन विकास, उपनिदेशक प्रयोगशाला, उपनिदेशक प्रशिक्षण विभाग कार्यरत है। जहां ग्रामीण क्षेत्रों से पशुपालक एवं कृषक उपचार के लिए बीमार मवेशी लेकर आते है उनके लिए सरका की ओर से ७२ दवाईयां निशुल्क, एक्सरे, सोनोग्राफी, ऑपरेशन की सुविधाएं दी जा रही है । लेकिन चिकित्सक सहित अन्य पदो के खाली होने के बावजूद कर्मचारी सेवा की मानसिकता से सरकार की योजना सफल बनाने के प्रयास में लगे रहते है जबकि वास्तव में संभाग के ७९० पशु चिकित्सालयों में करीब १०० पद चिकित्सक, ११० पद पशुधन सहायकों एवं ३५ पद चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी रिक्त पद है। वहीं जिले में ३ चिकित्सक, ३ कम्पाउण्डर, सहायक कर्मचारी के ४ एवं एक चालक का पद रिक्त है। लेकिन उपलब्ध कर्मचारी स्थानिय चिकित्सालय में पशुधन विकास, प्रशिक्षण प्रयोगशाला में कार्यकर पशुधन बचाने एवं सरकारी योजना प्रभावी बनाने में लगे है। लेकिन विभाग पेयजल एवं लावारिस मवेशियों के खाने की सुविधा अभाव झेल रहा है। यहां पर विभागीय कर्मचारियों, क्वार्टर में रहने वाले स्टाप*,रोगियो के शुद्घ पेयजल के लिए उपलब्ध दो बोरिंग मे से एक खराब है। तथा एक पेयजल आपूर्ति करता है तथा हेण्डपम्प से पानी लाने को मजबूर है। इसी तरह उपचार के लिए आने वाले लावारिस पशुओं के लिए चारे की व्यवस्था नहीं होने की परेशानी को झेलने विभाग मजबूर है। तथा रित्त* पदो का कार्य अधिकारियों द्वारा वैकल्पिक व्यवस्था कर सुविधा दी जा रही है। लेकिन सरकार द्वारा रित्त* पदो की पूर्ति नहीं करने से कार्यरत कर्मचारियों पर कार्य का बोझ बढा हुआ है।