क्रिकेट की दुनिया में एक कहावत है कि खिलाड़ी की फॉर्म के बजाय उसकी तकनीक की अहमियत होती है। लेकिन जब किसी की फॉर्म इतने लंबे समय तक रूठ जाए कि आपकी क्लास ही खो जाए तो क्या हो?
विश्व कप विजेता भारतीय टीम के सदस्य गौतम गंभीर और युवराज सिंह इस बात के प्रत्यक्ष उदाहरण है। कुछ समय पहले तक दोनों टीम इंडिया के अविभाजित हिस्से थे। लेकिन आज ये दोनों टीम में प्रवेश के लिए ही मोहताज हो गए। क्रिकेट जगत में शायद ही कोई ऎसा इंसान हो जिसे इन दोनों की प्रतिभा पर शंका हो लेकिन दोनों एक ही चीज की तलाश कर रहे हैं और वो है फॉर्म।
इन दोनों के लिए एक और बड़ी चुनौती है और वो है उभरते प्रतिभाशाली खिलाड़ी। माना जा रहा है अब टीम इंडिया में इनकी वापसी शायद ही हो। क्यों है इन दोनों की वापसी मुश्किल है। आइए जानते हैं:
युवराज सिंह
पहले बात करते हैं विश्व कप 2011 के सितारे युवराज सिंह की। युवराज सिंह टेस्ट क्रिकेट में तो कभी सहज नहीं रहे। लेकिन असल समस्या आई सीमित ओवरों में। युवी ने अपने शानदार कॅरियर में 293 मैचों में 13 शतकों और 51 अर्धशतकों की मदद से 8 हजार से ज्यादा रन बनाए। लेकिन वर्तमान में जिस तरह से उनकी फॉर्म गिरी है उससे तो युवी के सबसे बड़े फैन के पास भी बचाव में कुछ नहीं बचा।
2011 विश्व कप मैन ऑफ द सीरिज रहने के बाद पाकिस्तान के खिलाफ तीन मैचों में युवी केवल 34 रन बना पाए। इसके बाद इंग्लैण्ड के खिलाफ पांच मैचों की श्रंखला में उनके बल्ले से केवल 126 रन निकले। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 6 मैचों में 19, वेस्ट इंडीज के खिलाफ तीन मैचों में 99 रन बना पाए। बुरी फॉर्म का सबसे बुरा असर तो ये रहा कि युवराज दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ दो मैचों में खाता भी नहीं खोल पाए।
खराब फॉर्म यहीं नहीं रूकी और रणजी सीजन के तीन मैचों में भी केवल 116 रन बने। इन आंकड़ों से साफ होता है कि युवराज की फॉर्म किस दौर में है। कुछ लोगों का कहना है कि कैंसर ने युवी को बुरी तरह थका दिया और इससे उबरने के बाद वे क्रिकेट खेलने का उत्साह खो चुके हैं। लेकिन प्रशंसकों को इंतजार है कि युवी फिर से अपने बल्ले के जौहर दिखाएंगे।
गौतम गंभीर
गौतम गंभीर हालांकि युवराज जितनी सितारा हैसियत तोे क्रिकेट जगत में नहीं पा सके। लेकिन गंभीर ने खुद को मैदान और उससे बाहर हमेशा तेजतर्रार किरदार के रूप में प्रस्तुत किया है। गंभीर उन खिलाडियों में से नहीं हैं जो विपक्षियों की छींटाकशी सह लें, बल्कि पलटवार में माहिर है। अपने बल्ले और मुंह से वो प्रतिद्वंद्वी खिलाडियों के नाक में हमेशा दम किया है। कुछ इस तरह का जज्बा वो टीम इंडिया में वापसी के लिए भी दिखा रहे है।
वर्तमान में चल रही रणजी सत्र में गौतम गंभीर ने कप्तानी की और 50.85 की औसत से 712 रन बनाए, हालांकि अपनी टीम को वे नॉकआउट दौर में नहीं पहुंचा पाए। इस दौरान उन्होंने दो शतक और तीन अर्धशतक भी जमाए। लेकिन शिखर धवन और रोहित शर्मा भी वनडे में जोरदार रन बरसा रहे हैं। इसके चलते गंभीर को नीली जर्सी के लिए इंतजार करना पड़ेगा। भारतीय कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने भी दक्षिण अफ्रीकी सीरिज से पहले कहा है कि टेस्ट में सलामी बल्लेबाज के लिए उनकी नजर बराबर गंभीर पर है। लेकिन इसके लिए उन्हें और रन बनाने पड़ेंगे।
ढलती उम्र के बीच युवी और गौत्ती के लिए अपने आप को शारिरीक और मानसिक रूप से फिट बनाए रखना भी अहम होगा। उनके पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए टीम में वापसी पर किसी को आpर्य नहीं होगा।