शेरखान का इंतकाल – देर रात सुपुर्दे खाक, जनाजे में राज्य भर से हज़ारों लोग हुए शरीक

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20160119081817उदयपुर । मुस्लिम में अपने साफ़ छवि व समाज सेवा में दिल खोलकर दान देने वाले खान व्यवसाई और समाजसेवी शेरखान का इंतकाल मंगलवार को कोलकाता के अस्पताल में इलाज के दौरान हो गया। शेरखान की दोनों किडनियां खराब थी और इन्फेक्शन भी फ़ैल गया था। शेरखान सावा और चित्तौड़गढ़ में सामज सेवी के रूप में जाने जाते थे। शेरखान का शव ८.१५ एयर एम्बुलेंस से उदयपुर हवाई अड्डे पर लाया गया। जहां अजमेर दरगाह कमेटी के सदर असरार अहमद खान सहित सेकडों लोग मोजूद थे, देर रात सावा में शेर खान को सुपुर्दे ख़ाक किया गया।
शेरखान वे हरवर्ष १०० से अधिक गरीब लोगों अपने खर्चे पर को हज पर भेजते थे और अब तक हज़ारों को इसका लाभ मिल चुका है। शेरखान ने मस्जिद और मदरसों में व् लोगों को इस्लाम की पाक किताब कुरान बाटनें का भी एक रिकोर्ड बनाया था। आज तक इतने कुरान निशुल्क किसी ने नहीं बांटे।
शेरखान की मौत की खबर सुनकर उदयपुर चित्तौडगढ व सावा में सुबह से माहौल गमगीन हो गया। कलकत्ता के अस्पताल में चल रहे उपचार के दौरान कल देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली। मंगलवार को उनका शव उनके पैतृक गांव सावा लाया गया जहां बडी संख्या में मुस्लिम समुदाय की मौजूदगी में उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया।

आखरि समय में रहे महाघुस काण्ड के आरोपी :
उल्लेखनीय है कि खान गत वर्ष सितम्बर माह में प्रदेश में चल रही विभिन्न खदानों को प्रचलन के लिए दिए जाने वाली क्लियरेंस को लेकर महाघुस दिये जाने के प्रकरण का खुलासा हुआ था तथा खान व्यवसायी शेर खान के मुंशी रशीद खान को भीलवाडा से गिरफ्तार किया गया था तथा रशीद की सूचना पर १६ सितम्बर को शेर खान को भी ६ करोड की रिश्वत देने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया था। कई बीमारियों से ग्रस्त शेर खान को गत १९ नवम्बर को हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी। हाईकोर्ट के आदेश के बाद २२ नवम्बर को उन्हें जेल से रिहा किया गया था। १६ से १९ नवम्बर के दौरान बीमारी के कारण उन्हें दो बार अस्पताल में भर्ती कराया गया था। पारिवारिक सूत्रों के अनुसार ६२ वर्षीय खान किडनी इन्फेक्शन सहित विभिन्न आठ बीमारियों से ग्रस्त थे तथा उनका लंबे समय से उपचार चल रहा था। उनके निधन पर कई मुस्लिम नेताओं व व्यवसायियों में गहरा शोक प्रकट किया है। आज दिनभर सभी इस खबर की पुष्टि करते रहे। उनके इंतकाल के वक्त उनकी पत्नी व परिवार कलकत्ता में ही उनके पास मौजूद था। शेर खान के शव को कलकत्ता से विमान द्वारा जयपुर व जयपुर से चार्टड विमान से डबोक (उदयपुर) लाए जहां से एम्बुलेंस की सहायता से सावा ले गए जहां देर रात उन्हें सुपुर्दे खाक किया गया। डबोक एयरपोर्ट से अजमेर दरगाह कमेटी के सदर असरार अहमद खान व कई मुस्लिम नेता उनके जनाजे के साथ सावा के लिए रवाना हुए।

उदयपुर एयरपोर्ट से रात आठ बजे  परिजन , अजमेर दरगाह कमिटी के सदर असरार अहमद खान सहित सेकड़ों लोग जनाजा लेकर सावा के लिए रवाना होते
उदयपुर एयरपोर्ट से रात आठ बजे परिजन , अजमेर दरगाह कमिटी के सदर असरार अहमद खान सहित सेकड़ों लोग जनाजा लेकर सावा के लिए रवाना होते

 

पर्यावरण प्रेमी रहे, बनवाया ख्वाजा बाग:
20160119081816शेर खान को एक सफल खनन व्यवसाय से ज्यादा पर्यावरण पे्रमी के रूप में ख्याती मिली थी। उनके प्रर्यावरण प्रेम के कारण उन्हे कई सम्मानों से नवाजा गया। वे राष्ट्रपति से भी सम्मानित हो चुके थे। ’भाईजान’ के नाम से प्रसिद्घ शेर खान ने अपने गांव सावा में ख्वाजाबाग और गुलाब बाग बनवाया था। पहले इसमें प्रवेश वर्जित था परंतु वर्ष १९९१ के बाद इसे आम जनता के लिए खोल दिया गया। शेर खान हिन्दी फिल्मो के भी शौकीन रहे है। उन्होंने फिल्म निर्माण के क्षैत्र में भी अपना हाथ आजमाया लेकिन उन्हे खास सफलता नही मिली। कई फिल्मों की शूटिंग भी ख्वाज बाग में हुई। जिनमें फूल बने अंगारे, १५ अगस्त, सजना साथ निभाना शामिल है। इसके अलावा उनके ख्वाजा बाग में पाले गए खास नस्ल के घोडे काफी प्रसिद्घ थे।

शेर खान ने की थी बीवी की ‘तमन्ना’ पूरी

शेर खान आलीशान तौर-तरीकों से जीते थे । खान के आलीशान तमन्ना महल व सावा बाग को देखकर हर कोई दंग रह जाता था। शेरखान ने सावा से कन्नौज मार्ग पर एक पहाड़ी पर बना महलनुमा आलीशान बंगला बनवाया। इस बंगले का नाम बीवी तमन्ना के नाम पर तमन्ना मंजिल रखा गया। यह महल  जितना बाहर से आकर्षित करता है, उतना ही अंदर से भी खूबसूरत है। इसके अलावा सावा में शेरखान का कई हेक्टेयर क्षेत्र में फैला ख्वाजा बाग है जो जिले समेत विभिन्न क्षेत्रों में भी मशहूर है। इसमें सैकड़ों फ लदार पेड़, फूल पौधे और पशु-पक्षी हैं। शेरखान ने घोड़े भी पाल रखे हैं। 
कभी पिता की थी पंक्चर की दुकान
सावा के लोग बताते हैं कि शेरखान के पिता गुलबाज खान कस्बे में पंक्चर की दुकान लगाते थे। 45 साल पहले शेरखान ने खनन व्यवसाय में कदम रखते हुए साझेदारी में खानों से पत्थर निकालने का काम शुरू किया। 
 धीरे-धीरे रेड ऑकर चाइना क्ले समेत अन्य खनन कार्य के साथ उसकी दौलत भी उसी अनुपात में बढ़ती गई और वह सावा का नामी उद्यमी बन गए।
 

2 COMMENTS

  1. इंलल्लीलाहे वा इनालही राजउन ।
    अल्लाह ताल्हा उन्हें ज़न्नत में आला मक़ाम अता फरमाए और उनकी रूह को सुकून अता करें ।
    आमीन

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