उदयपुर । आज डूंगरपुर जिले के पुरे पुलिस प्रशासन, जिला कलेक्टर, एसपी सहित जनता के हितों का ढोल पीटने वाले बड़े बड़े जन प्रतिनिधियों को धन्यवाद देने का समय है । चंद मुट्ठी भर लोगों के आगे नतमस्तक हुए इन लोगों की लाचारी को देख ताली बजाने का मन करता है।
क्या कानून है, क्या प्रशासन है, और क्या उसकी व्यवस्था है । ऐसा लग रहा है मानो राजस्थान के इस डूंगरपुर जिले में ना तो कोई कानून है ना ही कोई प्रशासन सब के सब महज कुछ लोगों के आगे पंगु हो गए है। एक छोटी सी आपसी रंजिश की घटना को जाने कोनसा रूप देकर एक संगठन के गिने चुने लोग शहर बंद का आव्हान करते है । पूरा पुलिस और प्रशासन शहर की जनता की परवाह किये बगैर मौन धारण कर अपना समर्थन देता है ।
एक छोटी सी आम घटना घटित हुई शनिवार रात डूंगरपुर में, एक संगठन के पदाधिकारी को उन्ही के सम्बंधित किसी संगठन की आपसी रंजिश के तहत दो बाइक सवार लट्ठ से हमला कर देते है। जिस पदाधिकारी पर हमला होता है, उसके संगठन के मुट्ठी भर लोग अगले दिन बिना वजह पूरा शहर बंद कर देते है। इन सारे घटना क्रम को पूरा के पूरा पुलिस महकमा और प्रशासन सिर्फ मूक दर्शक बन कर देखता रहता है। चंद मिट्ठी भर लोगों के आगे पुरे ताम झाम के साथ मुस्तैद पुलिस प्रशासन नतमस्तक हुए दिन भर सिर्फ़ बंद शहर को देखने का ही काम करता है।
दुशमनी इनकी आपसी अपनी संगठनों के रंजिश की और भुगते सारा शहर, उस पर जिस जनता के वोटो पर ऐश कर रहे ये जन प्रतिनिधि भी अपने पैरों में लगी आग को बुझा नहीं पा रहे तो अब सजा जनता को दे रहे है ।
शहर के बड़े बड़े दबंग माने जाने वाले अधिकारी जिला पुलिस अधीक्षक और जिला कलेक्टर उन चंद लोगों से इतनी बात नहीं कर सकते कि हमलावरों को पकड़ लेगें, शहर को बंद की भेंट चढ़ाना कानूनन गलत है। ऐसा लगता है मानो राजस्थान के इस डूंगरपुर शहर में सिर्फ जंगल राज ही चल रहा है। या फिर आने वाले नगर पालिका चुनाव को लेकर जबरदस्ती का जाती वाद या साम्प्रदायिकता की भेंट चढ़ाने की तैयारी की जा रही है । अगर ऐसा भी हो तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है । क्यों कि शहर में नगरपालिका चेयरमेन बनने के कुछ दावेदार इस काम में वैसे ही माहिर है। ऐसे में जनता किस पर भरोसा करे इसका सवाल हमारे पास नहीं है आपके पास हो तो जरूर बताना ।
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