उदयपुर. परसाद वन क्षेत्र से वर्ष 2006 में गुलाब बाग जंतुआलय लाए गए पैंथर बादल की सोमवार दोपहर तीन बजे मौत हो गई। एक सप्ताह पहले बुखार से पीडित रहे आठ वर्षीय बादल ने आखिरकार दुनिया से विदा ले ली। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उसकी मौत फेंफड़ों के संक्रमण व श्वांस नली में अवरोध की बात सामने आई है। चिकित्सक बादल को हष्ट पुष्ट बता रहे हैं।
इस कारण पैंथर के स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतने को भी मौत का जिम्मेदार माना जा रहा है। चिकित्सकों के अनुसार एंटीबायोटिक आदि दिए जाने पर उसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ था और वह खाना खाने लगा था। इस सुधार से जंतुआलय कर्मी और पशु चिकित्सक भी निश्चिंत हो गए। बादल के स्वास्थ्य का फॉलोअप नहीं किया गया। केयरटेकर रामसिंह का कहना है कि बादल पिंजरे में घूम फिर रहा था और खाना खा रहा था जिससे उसका स्वास्थ्य ठीक समझा गया।
अकेली रह गई रानी
पशुपालन विभाग के उपनिदेशक डॉ. ललित जोशी ने बताया कि रविवार शाम से बादल का स्वास्थ्य खराब देखे जाने पर सोमवार सवेरे उन्हें सूचित किया गया। जिस पर चिकित्सक ने इलाज किया लेकिन दोपहर में उसने दम तोड़ दिया। बादल की मौत के बाद उसके साथ रह रही मादा पैंथर रानी अकेली रह गई है।
संक्रमण के कारणों की हो जांच
पैंथर की मौत में लापरवाही और अन्य कारणों की जांच किए जाने की जरूरत जताई जा रही है। पोस्टमार्टम करने वाले दल डॉ. ललित जोशी, डॉ. शरद अरोड़ा और डॉ. सुरेश जैन भी फेंफड़ों में संक्रमण के लिए अस्वच्छता का कारण होने से इनकार नहीं करते। हालांकि जंतुआलय के केयरटेकर का कहना है कि पिंजरे में स्वच्छता और पैंथर के स्वास्थ्य कता पूरा ध्यान रखा जा रहा था।
अब जंतुआल में नर पैंथर नहीं
जंतुआलय में अब एक भी नर पैंथर नहीं है। अब यहां जूनागढ़ से एक्सचेंज प्रोगाम के तहत लाई छह वर्षीय पैंथर रानी और जयसमंद के पास अजबरा से लाई डेढ़ वर्षीय मोहनी ही बची है। वन विभाग अब दूसरी जगह से नर पैंथर लाने की तैयारी कर रहा है। यह भी योजना में है कि रेस्क्यू में आने वाले पैंथर को यहीं रख लिया जाएगा।
बादल-गोरा साथ आए थे 2006 में
परसाद क्षेत्र में 18 जून 2006 को दो पैंथर मिले थे जिन्हें उस समय उदयपुर लाकर गुलाबबाग जंतुआलय में शिफ्ट किया गया। केयरटेकर रामसिंह बताते है दोनों पैंथर का यहां बादल और गोरा नामकरण कर दिया गया। पैंथर गोरा की तो यहां लाने के चंद दिनों में ही मौत हो गई थी।