काश…अमेरिका ने सद्दाम हुसैन को नहीं मारा होता

Date:

“दैया प्रेम”  की कलम से 

7a32175952de083b4a9493c09193942f

उदयपुर। तेल के खेल में अमेरिका जब इराक के इस शासक सद्दाम हुसैन की तलाश कर रहा था तो दुनिया की कई बड़ी शक्‍ितयां खुश हो रही थीं। अमेरिका के साथ कदमताल कर रहे मिञ देशों की खुशी देखते बनती थी। लेकिन इससे अलग कुछ और विद्रोही ताकतें खुश हो रही थीं। ये ताकतें पूरा दम लगाने के बाद भी इराक के इस शासक का कुछ नहीं बिगाड़ पा रही थीं। वह राजा था। खाड़ी देशों का। उसने शायद यही फार्मूला अपनाया था। जीयो और जीने दो। वह सख्‍त था। अत्‍यधिक चतुर था। ताकतवर भी कम नहीं था। एक बड़ी फौज बना रखी थी उसने। शायद इतनी बड़ी कि अमेरिका जैसे downloadदेश को वह वास्‍तविक चुनौती दे सके। जैसे ही अमेरिका इराकी शासक के पीछे लगा, आतंकी ताकतें की बाछें खिल गईं। दरअसल इराक सहित अन्‍य खाड़ी देशों में कई कट्टरपंथी या आतंकी ताकतें सक्रिय थीं। वे सब मानवता के दुश्‍मन थे। मानवता के इन दुश्‍मनों से कैसी मानवता। सद्दाम हुसैन ने इन ताकतों को नियंञित कर के रखा था। जब भी ये ताकतें उठने की कोशिश करतीं, इराकी शासक उन्‍हें नेस्‍तनाबूत कर देता था। सामूहिक रूप से उड़ा देता था उन्‍हें। पकड़ जाने पर उन्‍हें सजा-ए-मौत तक दी जाती थी। यही वजह रही कि ये आतंकी ताकतें इराक और उसके इर्द गिर्द ही सिमटी रहीं और वे ज्‍यादा प्रभावी नहीं रहीं। इराकी शासक ने उन्‍हें पनपने ही नहीं दिया। ये आतंकवादी सद्दाम हुसैन के नाम से खौफ खाते थे। उन्‍हें अपने ईश्‍वर से उतना डर नहीं था जितना सद्दाम हुसैन से।
लेकिन शायद दुनिया को यह शांति मंजूर नहीं थी। अमेरिका इराक के तेल कुओं को हथियाना चाहता था। लेकिन सद्दाम हुसैन के रहते ऐसा संभव नहीं था। अमेरिका ने इराक के दुश्‍मन देशों या उन देशों को भड़काना शुरू किया जो इराक से मनमुटाव रखते हैं। तेल के विवाद को लेकर ही इराक का कुवैत के साथ झगड़ा हुआ। यह झगड़ा इतना बढ़ गया कि इराक ने कुवैत पर हमला कर दिया। इसका द्वश्‍य सिनेमा एयरलिफ्ट में दिखाया गया है। जिन साथियों ने यह सिनेमा देखा हो तो उन्‍हें विवाद के बारे में याद होगा।
कुवैत पर हमला करते ही अमेरिका को मौका मिल गया। उसने कुवैत की मदद की। और सद्दाम हुसैन की जान के पीछे पड़ गया। अंत में सद्दाम हुसैन को अमेरिका ने बंदी बना लिया और फांसी दे दी। फांसी के वक्‍त उसने अपने मुंह को नहीं ढंका था। कहा था- मैं आज भी इराक का शासक हूुंं। आज से नया वक्‍त शुरू होगा। उसने दुनिया को चेतावनी दी थी। और तब वह फांसी के फंदे को खुद ही स्‍वीकार कर लिया। एक शासक की तरह।
सद्दाम हुसैन की मौत के साथ ही उस आतंकी संगठन का उदय हुआ जिससे आज पूरी दुनिया कांप रही है। इस्‍लामिक स्‍टेट यानी आइएसआइएस। यह अब पूरी दुनिया पर हावी हो चुका है। एक के बाद एक यूरोपीय देशों को आइएसआइएस निशाना बना रहा है। वह बेलगाम हो चुका है। पूरी दुनिया मिलकर इस आतंकी संगठन का खात्‍मा नहीं कर पा रही है। आज दुनिया सद्दाम हुसैन को याद कर रही है। अगर वो जिंदा होता तो आइएआएस को पैदा नहीं होने देता। आज पूरी दुनिया सद्दाम हुसैन की मौत का खामियाजा भुगत रही है। यह आतंकी संगठन सऊदी अरब तक अपनी पहुंच बना चुका है। इसका निशाना दुबई भी है। क्‍योंकि यहां बड़ी संख्‍या में विदेशी रहते हैं। यह विश्‍व व्‍यापार का केंद्र है। भारतीयों को खाड़ी देशों में सतर्क रहना होगा।
सद्दाम हुसैन भाारत का दोस्‍त था। उसने भारत से मदद की उम्‍मीद जताई थी लेकिन भारत ऐसा नहीं कर पाया। यहां की राजनीतिक इच्‍छशक्‍ित इतनी नहीं थी कि वो अमेरिका को फैसला वापस लेने के दबाव बना सके।
आज दुनिया यही कह रही है
…..काश सद्दाम हुसैन को नहीं मारा होता।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Share post:

Subscribe

spot_imgspot_img

Popular

More like this
Related

Benefits of cross dressing dating

Benefits of cross dressing datingThere are many benefits to...

Get prepared to relate solely to like-minded singles

Get prepared to relate solely to like-minded singlesIf you...

Ready to simply take the leap? begin your adventure today

Ready to simply take the leap? begin your adventure...