उदयपुर अन्र्तराष्ट्रीय फैलोशिप ऑफ रोटेरियन म्यूजिशियन एवं हॉरमनी म्यूजिक क्लब के संयुक्त तत्वावधान ऐश्वर्या कॉलेज प्रांगण में ‘‘सूफीयाना सफर’’ कार्यक्रम में स्थानीय गायकों द्वारा सूफीयाना कलाम पेश कर श्रौताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। क्लब अध्यक्षा डॉ. सीमा सिंह ने बताया कि आजाद अनुरंजनी संगीत श्रृंखला के तहत सूफीयाना सफर चौथा कार्यक्रम था जिसमें सूफीयाना कलाम के शौकीन गायकों ने शिरकत की और अपने-अपने कलाम से माहौल को बेहद सूफीयाना बना दिया।
कार्यक्रम संयोजक हॉरमनी म्यूजिक क्लब की शालिनी भटनागर ने बताया कि स्थानीय सूफीयाना कव्वाल रफीक रशीद मस्ताना वारसी कव्वाल सा. ने सूफीयाना कलाम ‘‘ए खुदा इल्तजा है मेरी’’ पेश कर कार्यक्रम की इबादत भरी शुरूआत की। उसके बाद उस्ताद फैयाज खां ने ‘‘तुम इक गोरख धन्ध हो’’, नेहा सक्सेना ने ‘‘तीजा तेरा रंग था’’ और डॉ. स्वीटी छाबड़ा ने ‘‘न मार मौत से पहले’’ पेश कर खूब दाद लूटी। कार्यक्रम के अगले दौर में पूनम जैन ने ‘‘मायरी’’, सुरजीत छाबड़ा ने ‘‘मौला मौला’’, श्रद्धा गट्टानी ने ‘‘ख्वाजा मेरे ख्वाजा’’ सुना कर उपस्थित श्रौतागणों को ताली बजाने पर मजबूर किया। आर.जे. जीत ने ‘‘मौला मेरे ले ले मेरी जान’’, अंकित जोशी ने ‘‘छाप तिलक’’, डॉ. सीमा सिंह ने ‘‘तू माने या ना माने’’ पेश कर अपनी गायिकी का परिचय दिया। सूफीयाना सफर की अगली पायदान पर परिचय, दक्षेस व महीपाल ने ‘‘दमादम मस्त कलंदर’’ सुनाकर श्रौताओं को मदमस्त कर दिया।
सूफीयाना महफिल में राकेश माथुर ने ‘‘सांसो की माला पे’’, रमेश मोदी ने ‘‘आंखे तेरी इतनी हंसी’’, सज्जन जैन ने ‘‘बेशक मंदिर मस्जिद ता़ेडो’’, परिचय शर्मा ने ‘‘या अली’’, शालिनी भटनागर ने ‘‘लागी तुमसे मन की लगन’’, रसलीन नरूला ने ‘‘तेरे इश्क ने नचाया’’, पुनीत सक्सेना ने ‘‘शुक्रा-ना-अल्लाह’’, निधि सक्सेना ने ‘‘बरखा बहार’’ तथा ग्वालियर से आये क्लब सदस्य सुरेश घोडके ने अपनी मधुर आवाज में सूफी गीत पेश कर सबका मन मोह लिया।
इससे पूर्व कार्यक्रम के प्रारम्भ में श्री फैयाज खां, प्रमुख संगीतज्ञ एवं सलाहकार हॉरमनी म्यूजिक क्लब ने मुख्य अतिथि एवं पधारे हुए अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम के अन्त में धन्यवाद की रस्म क्लब पदाधिकारी श्री मंगेश्वर वैष्णव ने अदा की।