पश्चिमी प्रशांत महासागर में स्थित मिक्रोनिसिया द्वीप मलबों की गोताखोरी के लिए जाना जाता है. 1944 में यहां दो खूनी जंग हुईं जिनमें जापानी युद्धपोत नष्ट हो गए. आज भी जापानी यहां हर साल श्रृद्धांजलि अर्पित करने आते हैं. लेकिन chrisjackson/swellimages.com नाम की वेबसाइट इस जीवित इतिहास को खंगालने का मौका देती है.केंट मारू एक लेजेंड के तौर पर जाने जाते हैं. मारू ने 25 सालों में करीब 10 हज़ार बार ‘ट्रक लैगून’ का गोता लगाया है. इन्होंने समंदर के अंदर फैले ट्रक लैगून युद्धपोत के 60 टुकड़ों का जायज़ा लिया.जापान के युद्धपोत ‘यमागिरी मारू’ में जब आग लगी थी तो चालक दल के बारह सदस्यों की एक मिनट के भीतर मौत हो गई थी.समंदर के भीतर का एक खूबसूरत दृश्य. जहाज के कई टुकड़े अब मूंगे की तरह चमकते दिखाई देते हैं. गोताखोर इसके बहुत करीब पहुंचे. यहां एक गोताखोर जहाज पर पड़ी शीशे की बोतलों और मिट्टी के बरतनों को देख रहा है.तस्वीर में दिख रहे हैं रंगीन और खूबसूरत मूंगे जिसपर हल्का नीला रंग चढ़ा है. आस पास इन टूटे-फूटे टुकड़ों के साथ मस्ती करती मछलियां.बेहद खूबसूरत दृश्य लेकिन हज़ारों दर्दनाक कहानियों को अपने भीतर छिपाए हुए.‘ट्रक लैगून’ को भूत बेड़े के रूप में जाना जाता है. इस तस्वीर में आप देख सकते हैं कैसे जहाज के मलबे का एक हिस्सा नीले रंग में झांक रहा है.एक जहाज जो वर्षों पहले इतिहास बन गया लेकिन उसका वजूद आज भी गहरे समंदर में उतर कर देखा जा सकता है.