निजी स्कूलों की मनमानी जारी
उदयपुर। सरकार के तमाम प्रयासों के बावजूद निजी स्कूलों की फीस वृद्धि को लेकर मनमानी नहीं रूक पा रही है, जहां सरकार सस्ती और मुफ्त शिक्षा की बात कर रही है, वहीं निजी स्कूल फीस में दिन दुनी रात चौगुनी वृद्धि कर अभिभावकों की जेब काट रहे हैं। हालात यह हैं कि शिक्षा के नाम पर अलग-अलग मदों में फीस वसूली, तो हो ही रही है, महंगी किताबें भी अभिभावकों की कमर तोडऩे में कोई कसर नहीं छोड़ रही हैं। एक अनुमान के मुताबिक उदयपुर जिले में शिक्षा उद्योग करोड़ों का आंकड़ा पार कर लिया है।
यह है स्कूलों की स्थिति
जिलेभर में बड़ी और छोटी करीब 800 से अधिक निजी स्कूल हैं। इनमें कुछ स्कूलों में दो से तीन हजार तक बच्चे पढ़ रहे हैं। कुछ में संख्या 500 से एक हजार तक है। कुछ तो ऐसे हैं जिनमें संख्या 100 से 500 तक है। औसतन एक स्कूल में 500 विद्यार्थी और जिले के 800 निजी स्कूलों में चार लाख बच्चे अध्ययनरत हैं। एक अभिभावक को अपने बच्चे पर न्यूनतम 10 से 13 हज़ार तक रुपए की राशि खर्च करनी पड़ रही है।
नहीं माने आदेश, बढ़ा दी फीस
सरकार ने निजी स्कूलों द्वारा मनमर्जी से बढ़ाई जाने वाली फीस पर लगाम कसने के लिए द राजस्थान स्कूल रेग्यूलेशन ऑफ कलेक्शन फीस बिल 2013 बनाया। इस बिल के तहत स्कूल फीस रेग्यूलेटरी कमेटी बनाई गई। कमेटी के अध्यक्ष राजस्थान हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस शिव कुमार शर्मा हैं। शर्मा ने निजी स्कूलों पर किसी भी तरह की फीस वृद्धि करने पर रोक लगाई। कमेटी ने फीस स्ट्रक्चर बनाने के लिए स्कूलों से शपथ पत्र के साथ सुझाव भी मांगें हैं। तब तक कोई भी स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकते, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। निजी स्कूलों ने नया सत्र शुरू होते ही फीस बढ़ा दी।
किस तरह बढ़ी फीस
किस तरह बढ़ी फीस
कक्षा वर्ष 2013 वर्ष 2014 बढ़ोतरी प्रतिशत में
पहली से पांचवीं 1000 1300 300 30
छठी से आठवीं 1200 1500 300 25
नवीं व दसवीं 1400 2000 600 48.85
११वीं एवं १२वीं
ऑट्र्स 1800 2200 400 22.23
कॉमर्स 1900 2400 500 26.31
विज्ञान 2000 2500 500 25
॥ जिन स्कूलों की शिकायत हमारे पास आती है, हम कार्रवाई करते हैं। कुछ स्कूलों के फीस बढऩे की शिकायत पर उन्हें नोटिस जारी किया है। निर्देशों के अनुसार कोई स्कूल फीस नहीं बढ़ा सकता, बढऩे पर नियमानुसार करवाई होगी। -भूपेंद्र जैन, डीईओ