एक वैश्विक शोध में पता चला है कि हृदय गति रुकने के कारण भारत में विश्वभर में सर्वाधिक मौतें होती हैं। हृदय रोग से भारत में करीब 23 प्रतिशत रोगियों की मृत्यु हो जाती हैl
दुनिया में हर 1 लाख जनसंख्या पर 235 लोगों को हृदय रोग होता हैं, पर भारत में 272 को यह बीमारी होती है.
भारत में हर पांचवा व्यक्ति दिल का मरीज है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दिल की बीमारी की वजह से हर साल लगभग 17.9 मिलियन लोगों की मौत हो जाती है. यह वैश्विक मृत्यु दर का 31 फीसदी हिस्सा है.
29 सितंबर, 2020 को पूरे विश्व में विश्व हृदय दिवस (World Heart Day) मनाया जाता है l
इस वर्ष इस दिवस का विषय (Theme)-‘ ‘यूज हार्ट टू बीट कार्डियोवस्कुलर डिजीज’ (Use heart to beat cardiovascular disease) हैl
इस दिवस का मुख्य उद्देश्य कार्डियो वास्कुलर रोग (CVD) के जोखिम को कम करने हेतु निवारक उपायों के प्रति लोगों में जागरुकता को बढ़ावा देना है.
वर्ल्ड हर्ट फेडरेशन के अनुसार, समय से पूर्व होने वाली मौंते कम-से-कम 80 प्रतिशत हृदय रोगों के कारण होती है.
ह्रदय रोग के कारण
अनियमित दिनचर्या, तनाव, खान-पान में लापरवाही,बहुत ज्यादा मोटापा, मधुमेह और उच्च रक्तचाप होना, सुस्त जीवनशैली का का होना, दैनिक जीवन में शारीरिक श्रम न करना, बहुत ज्यादा तनाव लेना और फास्टफूड का सेवन करना, पर्यावरण प्रदूषण और कई अन्य कारणों से वर्तमान समय में हृदय संबंधी समस्याएं भी तेजी से बढ़ रही हैं। न केवल बड़ी उम्र या बुजुर्गों में, बल्कि छोटी उम्र के बच्चों और किशोरों में भी दिल की समस्याएं बढ़ी है। दिल के दौरे से दुनियाभर में अनगिनत मौतें होती हैं और 50 फीसदी मामलों में तो मरीज अस्पताल पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। कई बार मौतें हार्ट अटैक से होती हैं तो कई बार कार्डियक अरेस्ट मौत का कारण बनता है।
हार्ट अटैक क्या होता है?
हार्ट अटैक के दौरान दिल के कुछ हिस्सों में ब्लड जम जाता है। ऐसे मामलों में भी इलाज मिलने में जितनी देर होगी, दिल और शरीर को उतना ज्यादा नुकसान होता चला जाएगा। इसमें लक्षण तुरंत भी दिख सकते हैं और देर भी हो सकती है। कार्डियक अरेस्ट की तरह हार्ट अटैक में दिल की धड़कन अचानक बंद नहीं होती। हार्ट अटैक आने के कुछ घंटों या कुछ दिनों बाद तक इसका बुरा असर देखने को मिलता है।
कार्डियक अरेस्ट क्या होता है?
कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में दिल के भीतर के हिस्सों में सूचनाओं का आदान-प्रदान गड़बड़ हो जाता है। इस कारण दिल की धड़कन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसमें कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (CPR) के जरिए पीड़ित के हार्ट रेट को नियमित और सुचारू करने की कोशिश की जाती है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, जिन लोगों को पहले हार्ट अटैक हो चुका होता है, उन्हें कार्डियक अरेस्ट की ज्यादा आंशका रहती है।
कैसे होता है कार्डिएक अरेस्ट(cardiac arrest)
स्वास्थ्य वेबसाइट heart.org के मुताबिक, कार्डियक अरेस्ट अचानक होता है। शरीर की तरफ से इसकी कोई चेतावनी नहीं मिल पाती। आम तौर पर दिल में होने वाली इलेक्ट्रिकल गड़बड़ी के कारण धड़कन का ताल-मेल बिगड़ जाता है। इस कारण दिल की ‘पम्प करने की क्षमता’ पर प्रभाव पड़ता है और हमारे दिल, दिमाग या शरीर के दूसरे हिस्सों तक ब्लड पहुंच पाने में दिक्कत होती है। ऐसे में काफी कम समय में व्यक्ति बेहोश हो जाता है और नब्ज भी जाती रहती है। सही वक्त पर सही सपोर्टिव इलाज नहीं मिले तो कार्डियक अरेस्ट से कुछ मिनटों में ही मौत हो जाती है।
क्या है एथेरो स्क्लैरासिस?(Atherosclerosis )
एथेरो स्क्लैरासिस में धमनियों की दीवारों में plaque जमा हो जाता है, जिससे वो संकरी हो जाती है। ये ब्लड फ्लो को रोककर हार्ट अटैक का कारण बन सकती हैं। हृदय की तरफ जाने वाले रक्त में अगर कहीं थक्का जम जाये तो ये भी एक हार्ट अटैक का कारण है।
क्या है कंजैस्टिव हार्ट फेलियर ( congestive heart failure )
कंजैस्टिव हार्ट फेलियर नाम की इस बीमारी में हृदय उतना रक्त पंप नहीं कर पाता है, जितना कि उसके करना चाहिए।
क्या है ऐरिदमियां?(Arrhythmia )
ऐरिदमियां नाम की इस बीमारी में हार्ट बीट अनियमित हो जाती है और हृदय से जुड़े अन्य रोगों में हार्ट वाल्व में खराबी होने के संभावना काफी हद तक बनी रहती है।
हार्ट डिजीज ओर होमियोपैथी
होमियोपैथी एक ऐसा उपचार है जो व्यक्ति के लक्षणों को कम करने के साथ-साथ उसके व्यक्तित्व और सामान्य स्वास्थ्य को भी बेहतर करता है।
होमियोपैथी ह्वदय के लक्षणों के साथ-साथ, निराशा, डर, चिड़चिड़ापन, ह्वदय की अनियमितता, अनिद्रा, खून की कमी व ब्लड प्रेशर वाले रोगियों को यह आराम देती है।
कैक्टस, डिजिलेटिस, लोबेलिया, नाजा, टर्मिना अर्जुना, क्राटागस , औरममेट, कैलकेरिया कार्ब जैसी दवाईयां बहुत लाभकारी है l हृदय रोग में और भी हौम्योपैथिक दवाइयां कारगर हैं जिनका चयन मरीज की हालत देखकर कुशल चिकित्सक के द्वारा किया जा सकता है । पाठकों से आग्रह है कि वे किसी भी औषधि का प्रयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से जांच जरूर करवा लें ।