मंत्री हो तो राजस्थान के गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया जैसे जो बोलते हैं तो बड़ी बेबाकी से। बोलते समय विरोधी तो विरोधी, अपनों को भी नहीं बख्शते।
जयपुर में एक सरकारी समारोह में बोले कि जो नियमों का उल्लंघन करे उसे उल्टा लटका दो। कटारिया ये भी बोले कि हमारे यहां रिश्वत देकर बेकार गाड़ी का प्रमाणपत्र भी आसानी से बन जाता है। लोगों का दिल-दिमाग ठीक करने के लिए कानून का डंडा भी जरूरी है।
कटारिया जो कुछ बोले, दिल से बोले। बात सोलह आने सच है कि कानून तोड़ने वाले को उल्टा लटका दो। वो तो सुधर ही जाएगा, उसका हश्र देखकर दूसरे भी तौबा कर लेंगे लेकिन अच्छा होता गृहमंत्री ये भी बता देते कि कानून तोड़ने वालों को उल्टा लटकाएगा कौन? रिश्वत देकर फर्जी फिटनेस प्रमाणपत्र बनवाने वालों को रोकेगा कौन? सस्ती वाहवाही लूटने के लिए भाषण देना जितना आसान है, कहे को करके दिखाना उतना ही मुश्किल।
ये बात कटारिया या राजस्थान तक सीमित नहीं है बल्कि हर राज्य में ऐसे नेता मिल जाएंगे जो व्यवस्था को सुधारने के लिए न जाने क्या-क्या बोल जाते हैं।
बीते कुछ सालों के उदाहरणों पर नजर डाली जाए तो साफ हो जाता है कि देश में कानून तोड़ने वालों में नेता-अफसर सबसे आगे रहते हैं।
भ्रष्टाचार-घोटाले हों तो नेता-अफसरों के ही नाम सामने आते हैं। सांसद-विधायक अपने सरकारी आवास किराए पर उठाते हुए मिल जाते हैं तो पैसे लेकर सवाल पूछने में भी ये पीछे नहीं रहते। देश में कानून तोड़ने वालों को सबक सिखाना जरूरी है लेकिन सिर्फ भाषणों से नहीं। इसके लिए कुछ विशेष करने की जरूरत नहीं सिर्फ कानून की पालना ही पर्याप्त होगी।
भाषणों में आदर्श और नैतिकता की बातें करने वाले यही नेता कानून तोड़ने वालों के बचाव में खड़े नजर आ जाते हैं। हमारी परेशानी ये है कि राजनेता हर काम राजनीतिक तराजू में रखकर तौलते हैं। हर राजनीतिक दल कहे कुछ भी लेकिन हकीकत यही है कि सत्ता में आते ही अपने उन कार्यकर्ताओं से मुकदमे हटाने का काम करता है जिन्होंने विपक्ष में रहते कानून तोड़ने का काम किया था। जाहिर है इससे पुलिस और प्रशासन में संदेश अच्छा नहीं जाता।
देश में कानून का राज लागू करना मुश्किल नहीं लेकिन जरूरत हौसला दिखाने की और जरूरत पड़ने पर झूठ को झूठ कहने का साहस दिखाने की भी। अपने-अपनों को बचाने के फेर में कानून की रोज धज्जियां उड़ती हैं। कानून की पालना के मामले पर राजनीतिक दल एक हो जाएं तो राजस्थान के गृहमंत्री का सपना जरूर पूरा हो सकता है लेकिन ऐसा होगा इसकी उम्मीद शायद ही किसी को हो।
देश में कानून का राज लागू करना कतई मुश्किल नहीं लेकिन जरूरत हौसला दिखाने की और जरूरत पड़ने पर झूठ को झूठ कहने का साहस दिखाने की भी है।
कानून के कद्रदान – गुलाब चंद कटारिया
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