पोस्ट न्यूज़। फैशन इंडस्ट्री (fashion industry ) का सबसे अहम् हिस्सा है Hair and makeup
जो मौजूदा दौर में अपने चरम पर है। जहाँ देश में नामी गिरामी हेयर और मेकअप आर्टिस्ट ने दुनिया भर में नाम कमाया वहीँ अब इस इंडस्ट्रीज़ में माफिया भी पनपने लगे है और यह माफिया है अवार्ड माफिया जो काबिलियत या Art को देख कर अवार्ड नहीं देते ये लोग अवार्ड को बेचते है वह भी ऐसे लोगों को अवार्ड बेचते है जो इस काबिल तो नहीं लेकिन Award के लिए बोली लगाना जानता हो .
एक जमाना था जब हर क्षेत्र में अवार्ड लोगों की क़ाबलियत देख कर दिया जाता था | लेकिन आज ये Trend बिल्कुल बदल चुका है | आजकल क़ाबलियत के दम पर नहीं बल्कि पैसों के दम पर अवार्ड दिए जाते हैं | आज कोई भी अवार्ड अपने नाम कर सकता है | या दुसरे शब्दों में कहें तो, आजकल अवार्ड बिकाऊ हैं | वो कहते हैं न पैसा फेक तमाशा देख | पैसा दो और अवार्ड अपने नाम कर लो | Hair and makeup का यह अवार्ड माफिया बड़े शहरों में ही नहीं छोटे छोटे शहरों के हेयर आर्टिस्ट सैलून और मेकअप आर्टिस्टों को भी निशाना बनाते है और उन्हें अपने अवार्ड फंग्शन में आने का न्योता देते है साथ ही प्रोग्राम में आने की फीस लेकर अवार्ड पाने तक की कीमत तक लगा लेते है। यह १५ से २० केटेगरी के अवार्ड रखते है और हर एक केटेगरी का सौदा करते है।
इस हेयर एन्ड मेकअप माफिया के सन्दर्भ में हमारी बात राजस्थान, उदयपुर शहर के जाने माने हेयर आर्टिस्ट अशोक पालीवाल से हुई, अशोक पालीवाल ने बिकाऊ अवार्ड को लेकर कई चौकाने वाले खुलासे किये। अशोक पालीवाल जो आल इण्डिया ब्यूटी एंड हेयर एसोसिएशन के जनरल सेक्रेटरी, हेयर एन्ड ब्यूटी ऑर्गेनाइजेशन ( एचबीओ ) के फाउंडर व् अंतराष्ट्रीय स्तर पर १९४6 से हेयर आर्ट प्रतियोगिता आयोजित करवाने वाली संस्था ओएमसी के ज्यूरी मेंबर है। पालीवाल का कहना है कि हेयर एन्ड ब्यूटी मेकअप का क्रेज़ धीरे धीरे काफी बढ़ गया है। यह काम सिर्फ एक जीवन यापन का काम ही नहीं यह एक आर्ट के रूप में उभरा है . इसीलिए इस विधा के बढ़ते क्रेज़ का फ़ायदा उठा कर इस इंडस्ट्री में कुछ ऐसे लोग आगये है जो इन क्षेत्रों में काम करने वालों को काबिलियत के हिसाब से नहीं बल्कि पैसों के हिसाब से अवार्ड देते है। इन बिकाऊ अवार्ड देने वालों ने एक नया धंधा बना लिया है जो धीरे धीरे अपने पैर पसारता जा रहा है .
पालीवाल ने बताया की हमारी ऑर्गेनाइजेशन आईबा (AIHBA) व् (HBO) भी अवार्ड फंग्शन करवाती है लेकिन वह सिर्फ इस क्षेत्र में कला को प्रोत्साहित करने की मंशा से यह कार्यक्रम आयोजित करती है, जिससे कि इस क्षेत्र में काम करने वालों का होसला बढे और वे अपना सर्व श्रेष्ठ दें साथ ही अपने ग्राहकों को भी इस कला का सर्व श्रेष्ठ दें। जो Hair and makeup आर्टिस्ट सच में अपना काम अच्छा कर रह है अपने आपमें एक नए क्रिएशन को पैदा कर रहे है वह आर्टिस्ट इन अवार्ड को पाते है। हम सिर्फ उनकी कला को प्रोत्साहित करते है और हमारा कम्पीटीशन निष्पक्ष होता है जिसकी वजह से आज देशभर में हमसे जुड़ने वाले अपने अपने शहरों में काफी अच्छा काम कर रहे है .
अशोक पालीवाल बताते है कि हमारे अवार्ड समारोह के लिए जो ज्यूरी होती है वह बिलकुल निष्पक्ष होती है। ज्यूरी की निष्पक्षता इसी बात से पता लगाईं जा सकती है की हमारे अवार्ड समारोह में ज्यूरी पहले तो खुद इतनी काबिल होती है कि उन्हें किसी नाम की आवश्यकता नहीं दूसरे जिस भी मोडल को वह सलेक्ट करते है उसके बारे में कसी ज्यूरी मेंबर को कुछ पता नहीं होता वह बस मोडल पर किया हुआ काम देख कर ही चुना जाता है। साथ ही कम्पीटीशन में ज्यूरी को चुनने के पहले ज्यूरी को सारे नियम कायदे समझाए जाते है फिर भी यदि कभी ज्यूरी का कोई भी मेंबर किसी तरह का पक्षपात करता भी है तो उसके खिलाफ संस्था के स्टार पर एक्शन लिया जाता है .
अशोक पालीवाल ने आगे बताया की इन दिनों राजस्थान ही नहीं देश के कई छोटे बड़े शहरों में इस तरह के अवार्ड देने वाले आयोजन होते है जिसमे अवार्ड की सौदे बाजी की जाती है।
पहले सोशल मिडिया के जरिये विज्ञापन दिया जाता है फिर शहर के हेयर और ब्यूटी मेकअप से जुड़े लोगों को कॉल कर उन्हें आमंत्रित किया जाता है फिर जैसे ही उनका रुझान मिलता है वह अपने अवार्ड कार्यक्रम में किसी सेलिब्रिटी के हाथों अवार्ड देने की बात कहते हुए अवार्ड पाने की रेट बताते है एक लाख से शुरू होती है जो कई बार २५ हज़ार पर तय हो जाती है।
अशोक पालीवाल ने बताया कि इन दिनों हर महीने कही ना कही कोई अवार्ड कार्यक्रम इस माफिया द्वारा आयोजित किया जाता है। ऐसे खरीद फरोख्त अवार्ड कार्यक्रमों से काबिल लोगों को नुकसान उठाना पध्रहा है ज्यूँ कि ऐसे झूठे अवार्ड कार्यक्रमों के चलते वे लोग अखबारों के ज़रिये नाम कमा रहे है जिन्हें अभी इस क्षेत्र में बहुत कुछ सीखना बाकी है . जिन्हे सच में अवार्ड मिलना चाहिए वह वंचित रह जाते है और जो जितना ज्यादा रुपया देता है अवार्ड भी उसको उतना बड़ा ही मिलता है।
पालीवाल ने बताया की यह काफी चिंता का विषय है क्यों कि ऐसे अवार्ड कार्यक्रमों में चयन करने वाली ज्यूरी भी एक तरह से सौदेबाजी कर ही आयी होती है क्यों के यह लोग साफ़ कहते है की अवार्ड कार्यक्रम में आपको जज बनाया जाएगा जिसके लिए आपको इतने रुपये देने होंगे लोग जज बनने की लालसा में लोग इनकी बात को मान भी जाते है। बिना मेहनत के अवार्ड खरीदने वाले लोग खुद के प्रमोशन और समाचारपत्रों में फोटो छपवाने की लालसा में खुद का नुकसान तो कर ही रहे है साथ ही अपने ग्राहकों के साथ भी धोखा कर रहे है .
इस सारे घपले बाजी में एक सबसे बड़ी बात जो सामने आयी है वह यह है कि भारत में फ़िल्मी कलाकारों का काफी क्रेज़ है और इस क्रेज़ का फ़ायदा यह बिकाऊ अवार्ड वाले उठाते है. फ़िल्मी दुनिया की किसी बी या सी ग्रेड की हीरोइन या बॉलीवुड कलाकार को बुलाते है और उसके हाथों विजेता जो पहले से तय होता है उसको अवार्ड दिलवाते है। अवार्ड खरीदने वाला सेलिब्रिटी के साथ फोटो को अखबार छपवाता है अपने सेलून पर लगा कर खुश हो जाता है जब की उसने अपनी ही कला के सार्थ धोखा किया है।
बिकाऊ अवार्ड की खबरे सिर्फ राजस्थान में ही नहीं बल्कि पुरे देश में कई बार सुर्खियां बन चुकी है। अशोक पालीवाल ने बताया कि अवार्ड की सौदेबाजी करने वाले लोग तो रोज़ नए पनपते रहेगें इससे हेयर और मेकअप आर्टिस्टों को खुद को बचना चाहिए . पालीवाल ने बताया कि अब हमो भी और अधिक सक्रीय होना पडेगा और ऐसे बिकाऊ अवार्ड से लोगों को जागरूक करना पड़ेगा . सच तो ये कि कला किसी अवार्ड का मोहताज़ नही होती,… काबिल आदमी की कला ही एक अवार्ड है ,.. सम्मान खरीदा नहीं जा सकता | अगर आप काबिल हैं तो आपकी क़ाबलियत बोलती है और लोगों को समझ में आता है की कौन किस लायक है. आज नहीं तो देर सवेर भी लोगों के समझ में आजायेगा कि बिकाऊ अवार्ड देने वालों का खेल और लोग समझ जायेगें कि इनका मकसद इस क्षेत्र में कला को आगे तक बढ़ना नहीं सिर्फ अपने लाभ के लिए लोगों को बेवकूफ बनाना है
देश में दो तरह की धाराएं ,.. एवार्ड बेचने का और कला के नाम पर अवार्ड देते है ,… काफी लोग इमानदार है जो अवार्ड ठुकरा देते है ,.. कला के दम पर काम करते है ,.. और भी संगठन है वह इमानदारी से काम करते है ,… कलाकार के अन्दर स्वाभिमान और सच्चाई होना जरूरी है तभी समाज और कला के क्षेत्र में नाम कमा सकते है ,…. गलती उनकी ज्यादा है जो अपनी कला पर विशवासनहीं कर ऐसे लोगों के धोखे में आकर शोर्ट कट अपना ते है, शोर्ट कट नहीं अपनाएं , अपने आप से लड़ने की जरूरत है, दोषी सिर्फ अवार्ड बेचने वाले नहीं खरीदने वाले भी है.