उदयपुर में हुई अवैध और गैर कानूनी होटल में कानून बनाने की
कवायद, देश के वित्त मंत्री अरुण जेटली सहित 33 प्रदेशों के 125 लोगों ने की शिरकत
उदयपुर . शहर के पांचसितारा गैरकानूनी अवैध होटल में एक नया क़ानून बनाने के लिए केंद्र सरकार सहित कई राज्यों की सरकार के नुमाइंदे और मंत्रियों ने बैठ कर नए क़ानून बनाने पर चर्चा की।
जीएसटी कानून लागू करने के लिए जीएसटी कौंसिल की बैठक शहर के पञ्च सितारा होटल रेडिसन ब्लू में शनिवार को आयोजित हुई जिसमे केन्द्रीय वित्त मंत्री अरुण जेतली सहित ३३ राज्यों के वित्त मंत्री और कई अधिकारी मोजूद रहे। रेडिसन होटल को हैकोर्ड ने भी अवैध माना है और इसको पूर्व में सीज करने के निर्देश दे चुका है।
होटल रेडिसन ब्लू का नाम पहले शेरेटन होटेल था और बाद में रेडिशन ग्रुप ने ले लिया। कुछ समय पूर्व ही इस होटेल के अवैध होने के पुष्टि हाईकोर्ट ने करते हुए जिला प्रशासन से इस पर तुरन्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। प्रशासन की शिथिलता या, रसूखदारों का अधिकारियों से तालमेल के चलते हाईकोर्ट के निर्देश की पालना नहीं हो सकी। बाद में होटल के मालिक ओपी अग्रवाल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने का मौका मिल गया। गौर तलब है कि युआइती ने पूर्व में होटल रेडिसन को नोटिस दिया था जिसमे उसने राजस्व ग्राम उदयपुर के खसरा नंबर १ , २ , १० मीन और खसरा नंबर ११ कि सरकारी जमीं पर होटल द्वारा कब्जा कर वहां पर अवैध निर्माण बना लिया है। यु आई टी ने इसके बाद दो और नोटिस दिए थे जिसमे कहा था कि उसकी निजी आराजी १९३०/१० और आराजी २०४७ पर इमारत की दो मंजिलों का स्वीकृत नक़्शे के विरुद्ध हट कर अवैध निर्माण कर लिया गया है। यु आई टी ने होटल की जमीं से अवैध कब्जा हटाने के आदेश भी दिए थे। यही नहीं हाईकोर्ट में भी होटल के इस करती को गंभीर मानते हुए कारवाई के निर्देश दिए थे। प्रशासन की शिथिलता या,होटल मालिक के अधिकारियों से रसूख की होटल पर कभी कोई कारवाई नहीं हो सकी और मालिक ओपी अग्रवाल को सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाने का मौका मिल गया। यही नहीं मालिक ओ पी अग्रवाल हाईकोर्ट से केस हारने के बाद आरोपी अग्रवाल ने प्रशासन को यहां पर कब्जे वाली जगह के एवज में उतनी ही जगह कहीं ओर देने का प्रस्ताव भी दिया था जो एक तरह से हास्यास्पद था। होटल ने जी प्लस 3 की परमिशन ली और नियमांे को ताक में रखते हुए जी प्लस 5 बनादी। उस समय भी उपरी दो मंजिल तोड़ने के आदेश हुए थे लेकिन तत्कालिन अधिकारियों ने यह आदेश फाइलों में ही दबाकर रखे, और होटल मालिक कमाई करता गया। इतना ही नहीं होटल चलाने के लिए जो जरूरी लाईसेंस होते है वह भी होटल ने नहीं ले रखे थे। जिनमें सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट, प्रदूषण नियंत्रण पर क्लीन चीट आदि शामिल है। आरोपी अग्रवाल ने होटल के बाहर करीब 20 हजार से ज्यादा स्क्वायर फीट सरकारी जमीन पर निर्माण कर उसे अपने कब्जे में ले लिया है। इतना ही नहीं मस्तान पिया कॉलोनी को जोड़ने वाली सरकारी सड़क को भी कब्जे में लेकर उसके निशान तक खत्म कर दिए। आश्चर्य की बात तो यह है कि इतनी सारी कमियों और कोर्ट में चल रहे वाद के बावजुद भी जिला प्रशासन की ओर से इस बैठक को यहां आयोजित कराने की योजना कहां से आई। शहर भर और क्षेत्रवासियों के बीच दिन भर सिर्फ यही बात चर्चा में रही कि ऐसा नही हो सकता है कि संभागीय आयुक्त या
जिला कलेक्टर इस होटल के अवैध होने के बारे में अनभिज्ञ हो, कईयों में तो यही चर्चा रही कि इस बैठक के बाद होटल मालिक अपनी बात मजबूती से कोर्ट में रख सकता है, कि इतनी बड़े बिल को पास करने की सरकारी बैठक उसकी होटल में रखी गई तो क्यो न उसे वैध मानते हुए क्लीन चीट दे दी जाए। वाकई यह एक बड़ा खेल है जो प्रशासन और होटल मालिक के बीच
खेला गया और पूरी की पूरी सरकार इसकी गवाह बन गई।