Udaipur. देशभर में चल रहे देह व्यपार की तस्वीर पेश करते हुए एक गैर सरकारी संगठन ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि आपराधिक गिरोह नाबालिग लड़कियो को बहला-फुसलाकर या फिर उनका अपहरण कर उन्हें जबरन हार्मोन इंजेक्शन लगा देते हैं ताकि उनका शारीरिक विकास जल्दी हो सके। इसके बाद उन्हें देह व्यपार में ढकेल दिया जाता है।
उत्तर प्रदेश के रेड लाइट एरिया में पिछले 24 साल से काम कर रहे “गुरिया स्वयं सेवी संस्थान” ने केंद्र सरकार की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कोर्ट को बताया कि देशभर में 30 लाख महिलाएं देह व्यपार से जुड़ी हुई हैं जिनमें से 40 प्रतिशत नाबालिग लड़कियां हैं। इसका मतलब 12 लाख नाबालिग लड़कियों को जबरन इस व्यपार में ढकेला गया।
एक अंग्रेजी अखबार में छपी के अनुसार, संगठन ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों का भी उदहारण देते हुए कोर्ट को अपनी याचिका में बताया कि वर्ष 2008 से 2010 के बीच 28 हजार बच्चों का अपहरण किया गया था, जबकि एक लाख 84 हजार 605 गायब हो गए थे।
संगठन की अधिवक्ता अपर्ना भट्ट ने कहा कि ज्यादातर अपहरण आपराधिक गिरोह देशभर में फैले अपने चकला घरों मे इन लड़कियों को रखकर इनसे जबरन देह व्यपार करवाकर अपनी जेब भरते हैं।
जस्टिस एच एल दत्तू और जस्टिस एस ए बोबड़े की खड़पीठ ने एनजीओ की याचिका पर केंद्र और राज्यों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है कि देह व्यपार में फंसी नाबालिग लड़कियों को बचाने के लिए क्या कदम उठाए जाएंगे।
संगठन ने कहा, आपराधिक गिरोह नाबालिग लड़कियों को जबरन हार्मोन इंजेक्शन या दवाईयां देते हैं ताकि उनका शारीरिक विकास जल्दी हो। चकलाघर चलाने वाले लोग 10 से 13 साल की लड़कियों को तब तक ऎसी दवाएं देते रहते हैं जबतक वे “व्यपार” के लिए तैयार नहीं हो जातीं।
संगठन ने कहा कि रेड लाइट एरिया में लड़कियो का पहला कदम पड़ते ही इन्हें हार्मोनल इंजेक्शन और दवाईयां दी जाती हैं ताकि इनका शारीरिक विकास जल्दी हो सके। ऎसे में अगर इन लड़कियों को बचा भी लिया जाता है तो इनकी उम्र पता लगाना मुश्किल हो जाता है।
संगठन ने कोर्ट को बताया कि 2005 से लेकर 2012 के बची उसने राजस्थान, असम, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, ओडिशा और पश्चिम बंगाल से 153 नाबालिग लड़कियों को ऎसे गिरोह के चंगुल से बचाया जा चुका