उदयपुर। नवरात्रा क्यों मनाया जाता है ?
छोड़िये जाने दीजिये इसका जवाब १०० में से २ लोगों को ही मालूम होगा। ये बताइये नवरात्रा में गरबा क्यों खेला जाता है ? शायद इसका जवाब भी इक्का दुक्का ही दे पायेगें जबकि नवरात्रा में गरबा खेलने जाने का ही तो सबको इंतज़ार रहता है लेकिन फिर भी कभी इस के बारे में जानने की कोशिश नहीं कि।
नवरात्रा क्यों मनाया जाता है इसके बारे में दो कथाएं प्रचलित है एक महिसासुर के वध वाली और दूसरे भगवान् श्री राम द्वारा रावण से युद्ध के पहले नो दिन तक देवी की पूजा करने वाली। दोनों कथाओं को शास्त्रों में या गूगल पर पढ़ लीजिये।
अपन बात कर रहे है यहाँ पर गरबा कि जी हाँ देवी माँ को प्रसन्न करने वाले नृत्य गरबा की। जो बड़े श्रद्धा के साथ पारम्परिक तरीके से किया जाता है। जिसको अगर बहुत ही सरल भाषा में कहना चाहूँ तो एक मिट्टी के बर्तन में ‘जौ’ और ‘तिल’ की घास उगाई जाती है, इसे एक पटिये पर रख एक जगह स्थापित करते है, उसी बर्तन को गरबा कहा गया है। इसे किसी खुले स्थान में रखा जाता है साथ ही इसके साथ एक दीपक भी जलाया जाता है। इसके इर्द-गिर्द एक गोला बनाकर डांस किया जाता है। उसे गरबा डांस कहते है। हालाँकि ‘गरबा बर्तन’ बनाना गुजरात में ही देखने को मिलेगा। अन्य दूसरी जगह जहाँ गरबे किए जाते है वहाँ बीच में अम्बा माँ की तस्वीर या मूर्ति रख और दीपक जलाकर गरबा किया जाता है। स्थापित करने के दसवें दिन गरबा का विसर्जन किया जाता है।
लेकिन यही गरबा अब बदलते परिवेश में ना जाने कैसा रूप ले चुका है। पहले आया डांडिया रास जो भगवान् श्री कृष्ण से प्रेरित था लेकिन उसका रूप भी इतना बिगड़ा कि अब हर जगह जाने कोनसा रूप देखने को मिलता है। बड़े बड़े कॉर्पोरेट्स और मीडिया ग्रुप ने नवरात्रा के इस डांडिया रास को महज़ एक कमाई का जरिया बना दिया है। ४ से ९ दिन चलने वाला एक ऐसा बड़ा इवेंट बना दिया है जिसके बुते यह लाखों रूपये कमाते है। बड़े बड़े घरानों के लोग इसमें शिरकत करते है। कॉरपरेट घरानों से स्पोंसर्ड करवा कर जाने कैसा गरबा और जाने कैसा डांडिया करवाया जाता है। अगर आपको कोई एंटरटेनमेंट का इवेंट करना है तो जरूर करिये लेकिन कम से काम नवरात्रा में माता के नाम पर तो इस तरह का बाज़ारवाद मत फैलाइये। शनिवार को उदयपुर के करीब चार बड़े गरबा इवेंट में गया जो किसीक बड़े ग्रुप या किसी मीडिया ग्रुप द्वारा आयोजित किये जा रहे है जहाँ पर पूरी तरह से नवरात्रा और माता के नाम बाज़ारवाद फैला हुआ दिखाई दे रहा था। हर जगह एंट्री पास द्वारा की जारही थी। यह पास या तो ख़रीदे जा सकते है या फिर उस ग्रुप को आप किसी तरह ग्राहक के रूप में दिखे तो आपको उपलब्ध करवाया जाता हैं। इन गरबा इवेंट के अंदर का माहौल यहाँ पर लिखने जैसा नहीं है लेकिन जो भी है कम से कम वह नवरात्रा के गरबा जैसा तो बिलकुल भी नहीं है। भक्ति संगीत की जगह फूहड़ फ़िल्मी गाने है और उस पर मस्ती करते युवा खेर जाने दीजिये आप कभी जाइये देखिये और सोचिये की क्या सच में वही गरबा रास है जिसके द्वारा देवी माँ को प्रसन्न किया जा सकता है। मुझे लगता है यह बिलकुल भी नहीं। परिवर्तन ठीक है लेकिन परिवर्तन इस तरह का हो तो वह बिलकुल भी ठीक नहीं। चलिए सोचियेगा जरूर और हाँ गूगल पर यह जरूर सर्च करियेगा की नवरात्रा क्यों मनाया जाता है जानकारी रहेगी तो ठीक रहेगा भविष्य में अगर कोई पूछे तो उसका जवाब तो आप दे पायेगें।