चार दिन से मदद के लिए तरस रहे है

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IN19_UTTARAKHAND_1491851gउदयपुर। पिछले चार दिन से बद्रीनाथ में भी उदयपुर संभाग के कई लोग फंसे हुए है। बांसवाड़ा के करूण उपाध्याय अपनी पत्नी सिवाली उपाध्याय के साथ पिछले चार दिन से वहीं फंसे हुए हैं। करूण ने को फोन पर बताया कि यहां की स्थिति बहुत भयावह है। सड़कें दो-दो सौ फीट धंस गई है, बचे हुए रास्ते मलबे से अटे पड़े हैं। कहीं पैर रखने से डर लगता है। क्या पता कहीं जमीन धंस नहीं जाए। हजारों लोग फंसे हुए हैं। पानी और खाने को लोग तरस रहे हैं। करूण ने बताया कि राहत के लिए खाने का इंतज़ाम किया गया, लेकिन वह इतना कम है कि घंटों लाइन में खड़े रहने के बाद भी खाना मिल नहीं पा रहा है। यहां पर भूखे ही दिन और रात गुजराने पड़ रहे हैं। करूण ने बताया कि पिछले चार दिनों में तीन बुजुर्गों ने दम तोड़ दिया है। सरकार की तरफ से राहत की घोषणा जरूर हो रही है, लेकिन राहत पीडि़तों तक पहुंच नहीं पा रही है।

Unprecedented-devastation-in-Uttarakhand
गोरीकुंड से पैदल ही चल पड़े हैं:
गोरीकुंड में फंसे कई शहरवासी अपने साथ 53 यात्रियों के साथ पैदल ही केदारनाथ की तरफ पहाड़ों से होते हुए चल पड़े हैं, क्योंकि गौरीकुंड में हेलिकॉप्टर उतरने की कोई जगह नहीं है। इसलिए उन तक मदद नहीं पहुंच पा रही है। जावरमाता से बस लेकर गए देव भाई ने मोबाइल पर बताया कि पिछले तीन दिन से गोरी कुंड में वह 53 यात्रियों के साथ वह फंसे हुए हैं। वहां पर कोई मदद नहीं पहुंच पा रही है। एक बार हेलिकोप्टर बिस्किट के पैकेट गिरा कर गया था, लेकिन वह पर्याप्त नहीं थे। किसी की भी भूख शांत नहीं हुई है। देव भाई ने बताया कि यहां पर हेलिकॉप्टर उतरने की कोई व्यवस्था नहीं है। इसलिए सबने मिलकर यह फैसला लिया है कि पहाड़ों के रास्ते ही पैदल केदारनाथ वापस चढ़ेंगे, जहां मदद मिल पाए।

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