सीरिया में इस हफ़्ते हुए नरसंहार के साक्ष्य मिले हैं जिसमें कम से कम सौ लोगों की हत्या कर दी गई थी और उनके घरों को जला दिया गया था.
होम्स शहर के पास हासविया गांव का एक दल ने दौरा किया और वहां एक घर के बाहर शवों को पाया जो जले हुए थे.
बीबीसी संवाददाता लूइस डयूसेट शुक्रवार को जब हासविया गांव पहुंची तो सैनिकों ने कहा कि सभी शवों को हटा दिया गया है.
लेकिन उन्होंने वहां देखा कि ”एक घर के बाहर तीन शव जली हुई हालत में पड़े हुए थे. सीमेंट पर ख़ून ही ख़ून था. रसोईघर में एक दर्जन से अधिक गोलियों के निशान थे और फ़र्श पर ख़ून फैला हुआ था. एक अन्य कमरे में टूटे पलंग के पास दो और जले हुए शव पड़े थे.”
एक ग्रामीण ने बताया कि इन लोगों की मौत के समय सेना वहां मौजूद थी.
हासविया में नरसंहार की ख़बरें गुरुवार को सामने आई थीं. विपक्ष और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस ओर ध्यान दिलाया था. लेकिन तब फ़ौरी तौर पर इन ख़बरों की पुष्टि नहीं हो पाई थी.
संयुक्त राष्ट्र से जांच की मांग
सीरियन ऑब्ज़रवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स का कहना है कि राष्ट्रपति बशर अल असद की वफ़ादार सेना ने जिन 106 लोगों की हत्या की, उनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे.
सीरियन ऑब्ज़रवेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स के निदेशक रमी अब्दुल रहमान का कहना है, ”इस मामले की जांच संयुक्त राष्ट्र से कराने की ज़रूरत है.”
लेकिन राजधानी दमिश्क़ स्थित एक सरकारी अधिकारी ने नरसंहार की ख़बरों से इनकार किया है.
एक अन्य घटनाक्रम में, विपक्षी कार्यकर्ताओं का कहना है कि बेल्जियम में जन्में फ्रांस के एक पत्रकार की उत्तरी शहर एलेप्पो में गोली मारकर हत्या कर दी गई है.
इस पत्रकार का नाम येवेस डिबे है. कुछ लोगों ने डिबे की मौत के लिए सेना को ज़िम्मेदार बताया है, वहीं एक कार्यकर्ता का कहना है कि अभी इस बारे में कुछ पता नहीं चल पाया है.
इसबीच एलेप्पो में एक इमारत पर रॉकेट दागा गया है. सरकारी मीडिया ने इसके लिए चरमपंथियों को जिम्मेदार बताया है. दक्षिणी शहर डेरा में भी दो कार बम हमले हुए हैं.
सो. बी बी सी