कठपुतली कला ने खोया अमूल्य पारखी

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Shyam maliलोक कला मण्डल के सहायक निदेशक श्याम माली का निधन
उदयपुर। लोक कला मंडल एवं कठपुतली कला में प्राण फूकने वाले महान कलाविज्ञ श्याम माली का मंगलवार देर रात हृदयगति रूक जाने से निधन हो गया। बुधवार को उनका अंतिम संस्कार कुम्हारों का भट्टा स्थित मोक्ष धाम में किया गया।
वर्तमान में लोक कला मण्डल के सहायक निदेशक के पद पर कार्यरत श्याम माली करीब तीन दशकों से कला मण्डल से जुडकर लोक कलाओं में प्राण फूंकते रहे। उन्होंने कठपुतली कला को जीवंत बनाए रखने के लिए वे अंतिम समय तक प्रयासरत रहे। उन्होंने प्रौढ शिक्षा, बाल विवाह, बाल श्रमिक सहित कई सामाजिक कुरूतियों के विरूद्घ कठपुतली के माध्यम से जन जाग्रति अभियान चलाकर समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने का प्रयास किया।
उन्होंने अपनी कई विदेश यात्राओं में भी राजस्थानी कठपुतली को विश्व रंगमंच पर स्थापित करने में अपना योगदान दिया। साहित्य अकादमी अवार्ड प्राप्त श्याम माली ने वर्तमान में स्वामी विवेकानंद के जीवन वृत्त पर एक कठपुतली नाटिका निर्मित कर पूरे भारत वर्ष में स्वामी विवेकानंद के सिद्घांतों के प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभाई थी। अब तक इस नाटिका के अब तक करीब १५० मंचन अब तक भारत में हो चुके है एवं वर्तमान में भी जारी है। आगामी मई माह में उनको इसी नाटिका के प्रदर्शन के लिए अमेरिका जाना था। जिसके लिए कलाकारों को उन्होंने बुधवार से तैयारी के निर्देश दिए थे। उनके असामायिक निधन से लोक कला एवं कठपुतली विधाता के अमूल्य पारखी की कमी हो गई है जिसकी क्षतिपूर्ति संभव नहीं है।
उनकी शवयात्रा में कला मण्डल के मानद सचिव रियाज तहसीन, पश्चिम सांस्कृतिक केन्द्र के वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी लईक हुसैन, विलास जानवे, कला मण्डल कार्यकारिणी के जकारिया, रफीक एम. पठान सहित कई रंगमंच से जुडे कई कलाकार एवं समाजसेवियों एवं बुद्घिजीवियों ने भाग लेकर उनके अंतिम विदाई दी। वे अपने पीछे एक पुत्र-पुत्री एवं पत्नी को छोड गए है। उनको मुखाग्नि उनके पुत्र वैभव माली ने दी।

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