हमने इंडिया बनके बहुत कुछ खोया : इन्द्रेश कुमार

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उदयपुर, ’’इण्डिया’’ नाम 250 वर्ष पुराना है जबकि ’’हिन्दुस्तान’’ नाम महाभारत काल 5000वर्ष पुराना है। इससे भी आगे ’भारत’ नाम तो 4 लाख वर्ष से भी ज्यादा पुराना है। हमने ’इण्डिया’ बन कर बहुत खोया है, हम पुन: भारत बने इण्डिया स्वत उसमे समाहित हो जाएगा।’’

यह विचार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इन्द्रेश कुमार ने व्यक्त किए। वे मंगलवार को यहां टाउनहाल प्रांगण में फोरम ऑफ इंट्रीगेशन नेशनल सिक्योरिटी(फिन्स ) द्वारा ’’सरहद के सुलगते प्रश्न’’विषय पर प्रबुद्घ सम्मेलन को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भारत का वर्तमान स्वरूप विभाजन के बाद का है विभाजन में नौ नये पडौसी देशो का उदभव हुआ। यहदेश है अफगानिस्तान-1876, नेपाल-1904, भूटान-1906, तिब्बत 1914, म्यांमार- 1936,श्रीलंका 1939 तथा पाकिस्तान एवं बाग्लादेश 1947।

 

इन्दे्रश ने कहा कि दुनिया में चीन ऐसा देश है जिसका कोई मित्रदेश नहीं है अमेरिका के मित्र उसके डर से है, विश्व में भारत ही एकमात्र देश है जिसके सबसे ज्यादा मित्र है जो भारत के विश्वगुरू बनने पर साथ आऐंगे। भारत में 65 वर्षो में मंहगाई बढी है तथा दो चीजे बहुत सस्ती है आदमी की जिन्दगी ओर औरत की इज्जत। अत: भारत आज दूसरी आजादी की ओर बढ रहा है। भारतमें 1 . 75 करोड से ज्यादा बांग्लादेशी घुसपेठीये है जो वोटो की राजनीति के कारण 1.75 करोड भारतीयों के रोजगार पर कब्जा किए हुए है। कार्यक्रम की भूमिका रखते हुए फिन्स के सदस्य कर्नल महेश गांधी ने कहा कि सीमा की सुरक्षा केवल सैनिकों के भरोसे ही नहीं हो सकती अत: हमारी भी महत्वपूर्ण भूमिका बनती है। फिन्स का प्रथम सम्मेलन 2002 में द्वितीय सम्मेलन 2005 में मुंबई में हुआ तब से फिन्स अपने कार्य को सुचारू रूप से कर रहा है। फिन्स का उदेश्य ’सीमा को जानो ओर सीमा को प्रेम करों’ इस उदेश्य की प्राप्ति के लिए प्रत्येक जिले से १०-१० स्वयं सेवकों का दल सीमा दर्शन के लिए भेजा है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष कीतिचक्र प्राप्त ब्रिगेडियर रणशेर ङ्क्षसह ने कहा कि मैं उम्मीद करता हं कि जो युवा सीमा पर जाकर आये है निश्चय है समाज को नयी प्रेरणा देना का कार्य करेगा और हम सभी देशरक्षा के लिए अपनी प्रतिबद्घता समझेगें।

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