Fingerprint से खुलेगी सालों बाद होने वाली डिजीज!

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l_fingerprint-1461042944बच्चों में होने वाली दांत की बीमारियों का पता अब बचपन में ही चल जाएगा। इसकी जानकारी बच्चे के फिंगरप्रिंट से ली जा सकेगी। यह शोध लखनऊ स्थित किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी की डेंटल फैकल्टी (पीडियाट्रिक एंड प्रिवेेंटिव डेंटिस्ट्री) की डॉ. गरिमा जिंदल ने किया है। उनके मुताबिक, दांत से जुड़ी गंभीर बीमारियां जेनेटिक होती हैं और फिंगरप्रिंट का सीधा संबंध जीन से होता है।

तीन तरह के होते हैं फिंगर प्रिंट

फिंगरप्रिंट पैटर्न तीन प्रकार के होते हैं। इनमें ट्रू वर्ल, लूप्स और प्लेन आर्च हैं। अध्ययन में पाया गया है कि ट्रू वर्ल वाले बच्चों के दांत सामान्य जबकि लूप्स फिंगरप्रिंट वाले बच्चों का ऊपरी जबड़ा आगे की तरफ व प्लेन आर्च वाले बच्चों का निचला जबड़ा आगे की तरफ निकलता है।

बचपन के फिंगरप्रिंट कारगर

डॉ. गरिमा ने बताया, बच्चों के दांत और जबड़े में बदलाव एक साल से लेकर वयस्क होने तक जारी रहता है। ऐसे में तीन-चार साल की उम्र में फिंगरप्रिंट लिए जाएं तो किशोरावस्था या वयस्क होने पर होने वाली दांत की बीमारियों का पता चल जाएगा। शोध 12 से 16 वर्ष की उम्र के 237 बच्चों पर किया गया है। पीडियाट्रिक एंड प्रिवेेंटिव डेंटिस्ट्री के हैड डॉ. आरके पांडेय के नेतृत्व में यह शोध हुआ।

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