ड्राफ्ट प्रस्ताव निरस्त हो, सही रिपोर्ट जारी हो।
नागरिक संस्थाओं की ड्राफ्ट मास्टर प्लान पर आपात बैठक
उदयपुर। ड्राफ्ट मास्टर प्लान 2011-31 तैयार करने में निर्धारित विधिक व विभागीय प्रक्रिया पूर्ण नहीं हुई। वर्ष 1997-2022 के मास्टर प्लान को सरकार द्वारा वापस लेने (विड्रो) के आदेश भी नहीं हुए। ड्राफ्ट प्लान त्रुटियों से अटा पड़ा है। अतः राज्य सरकार को इस ड्राफ्ट को निरस्त करना चाहिए। निर्धारित व आवश्यक विधिक प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए पुनः संशोधित मास्टर प्लान जारी किया जाए तथा उस पर सुझाव आमंत्रित किया जाए। यह प्रस्ताव शुक्रवार को डॉ. मोहनसिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट में विभिन्न संस्थाओं की आपात बैठक में पारित किया गया। बैठक में झील संरक्षण समिति, चाँदपोल नागरिक समिति, झील हितेषी नागरिक विचार मंच, महाराणा प्रताप वरिष्ठ नागरिक संस्थान, मेवाड़ एंगलर सोसायटी, गाँधी स्मृति मंदिर, ऑल इण्डिया मिली काउंसिल के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
बैठक में अनिल मेहता व शांतीलाल गोदावत ने कहा कि ड्राफ्ट प्रस्ताव बनाने में किसी प्रकार का जमीनी सर्वेक्षण नहीं किया गया। शहर व नागरिकों की मौलिक, वर्तमान व भविष्य की आवश्यकताओं का मूल्यांकन (नीड असेसमेन्ट) नहीं किया गया। टाउन प्लानिंग एक बहुआयामी व बहुसंकायी कार्य है लेकिन उक्त ड्राफ्ट प्रस्ताव में किसी भी प्रकार का सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, शैक्षणिक, पर्यावरणीय, स्थलाकृतिय, भूजलीय सर्वेक्षण व विश्लेषण नहीं हुआ है अतः ड्राफ्ट का पुनः निर्माण जरूरी है।
पूर्व अधीक्षण अभियन्ता जी.पी. सोनी ने कहा कि ड्राफ्ट प्रस्ताव के लगभग सभी आंकड़े तथ्यहीन, पुराने एवं त्रृटिपूर्ण है। यह भी आश्चर्यजनक है कि ड्राफ्ट प्रस्ताव तैयार कराने की निविदा 2012 में निकाली जबकि प्राईवेट कन्सलटेन्ट को 2011 में ही कार्य पर लगा दिया।
पूर्व पार्षद अब्दुल अजीज खान एवं नूर मोहम्मद खान ने कहा कि ड्राफ्ट के लिखित भाग व नक्शों में गंभीर विसंगतिया है। यह एक षड्यंत्र व भ्रष्टाचार को इंगित करता है।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रमुख वास्तुविद् बी. एल. मंत्री ने कहा कि मास्टर प्लान के साथ ही सेक्टर प्लान भी तैयार किए जाए। उदयपुर के पूर्व के सभी मास्टर प्लान में कभी भी सेक्टर प्लान नहीं बने, यह निर्धारित प्रक्रिया व नियोजन सिद्धान्तों का उल्लंघन है। इसी से शहर को बेतरतीब व अनियंत्रित फैलाव होता है।
ट्रस्ट के सचिव नन्दकिशोर शर्मा ने कहा कि यदि नगर नियोजन विभाग के स्थानीय व आला अधिकारी एक बार ड्राफ्ट को पढ़ लेते तो शायद इतनी त्रुटियां नहीं रहती। मास्टर प्लान बनाने वाली एजेन्सी के साथ ही इससे जुड़े सभी अधिकारियों का उत्तरदायित्व निर्धारित कर उचित कार्यवाही की जानी चाहिये।
भंवर सेठ, चौसर लाल कच्छारा तथा मानमल कुदाल ने कहा कि ड्राफ्ट प्रस्ताव की निरस्ती के पश्चात् नागरिकों, स्वैच्छिक संस्थाओं व विशेषज्ञों की सहभागिता से आयोजना प्रक्रिया पुनः प्रारंभ की जानी चाहिए।
तेजशंकर पालीवाल, व इस्माइल अली दुर्गा ने कहा कि लाखों रूपयों का भुगतान लेकर भी गलत रिपोर्ट लिखने वाली कम्पनी को ब्लेक लिस्टेड करना चाहिए। सामाजिक कार्यकर्ता नन्दलाल कुम्हार ने कहा कि शहर की आबादी का घनत्व केन्द्रित नहीं होकर हर तरफ समान रूप से विरल रहे इसके लिए उपनगरों को सुविधा सम्पन्न केन्द्रों के रूप में विकसित करने का दृष्टिकोण मास्टर प्लान में नहीं है।
पूर्व अभियन्ता सोहनलाल तम्बोली व हाजी सरदार मोहम्मद ने कहा कि पिछले मास्टर प्लान में किसी भी नागकिर सुझाव को नहीं मानकर केवल सरकारी विभागों के सुझावों को ही स्वीकार किया गया। यह साबित करता है कि नियोजन प्रक्रिया में नागरिकों को कोई महत्व नहीं दिया जाता है। धन्यवाद नितेश सिंह ने ज्ञापित किया।