फेसबुक पर ऐलान कर, मौत को गले लगाया

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लिव लाइफ लाइक देयर इज नो टुमॉरो…

 
कुछ ही दिन पहले अपने फेसबुक वॉल पर ये संदेश डालनेवाले 16 वर्षीय शांतनु नेगी के दोस्तों को ज़रा भी ये अंदाजा नहीं था कि शांतनु के दिलो-दिमाग में क्या चल रहा है.

 

शांतनु नेगी का फेसबुक पन्ना
लेकिन 3 दिसंबर की शाम को शांतनु ने अपनी जिंदगी को जीने की बजाय मौत को गले लगाना ज़्यादा आसान समझा.

 

फिल्मी अंदाज़ में शांतनु ने आत्महत्या करने से पहले फेसबुक पर संदेश डालकर बाक़ायदा इसका ऐलान किया. उसने लिखा, ”बाय एवरी-वन…आई विल मिस यू…. आई क्विट.”

 

शुरू में उसके दोस्त इसे मज़ाक में लेते हैं. लेकिन कुछ ही पलों में उसके दोस्तों के जवाब भी आने लगते हैं. जो उतने ही हल्के-फुल्के थे.

 

किसी ने कहा, इतनी जल्दी सुसाइड न कर…

 

तो किसी और ने कहा, ”रहने दे…उसकी कल के एक्ज़ाम की तैयारी है..”

 

”डर गया है..”

 

”अरे मैंने क्या किया ?”

”अरे मैंने क्या किया ?”

 

फिल्मी अंदाज़ में शांतनु ने आत्महत्या करने से पहले फेसबुक पर संदेश डालकर बाक़ायदा इसका ऐलान किया. उसने लिखा, बाय एवरी-वन…आई विल मिस यू…. आई क्विट”
शांतनु का फेसबुक मेसे

इसी तरह कुछ और संदेश उसका मजाक उड़ाते हैं. लेकिन तब तक शांतनु फांसी लगाकर खुदकुशी कर चुका होता है.

 

और कुछ ही घंटों में ये ख़बर आग की तरह फैलती है और फिर से फेसबुक पर उसके दोस्त ‘आरआईपी’ यानि ‘रेस्ट इन पीस’ का कमेंट पोस्ट करने लगते हैं.

 

किसी ने लिखा, ”ही हैज़ लेफ्ट अस.”

 

तो किसी और ने कहा, ”ही हैज़ कमिटेड सुसाइड.”

अब भी उसकी वॉल पर जाने-पहचाने लोगों द्वारा ऐसे संदेश भी आ रहे हैं…कि

 

‘ये तूने अच्छा नहीं किया’, ‘शांतनु मैं तुम्हें जानती नहीं लेकिन तुमने बहुत बुरा किया’….भगवान तुम्हें शांति दे.

 

होनहार बचपन

 

शांतनु सिर्फ 16 साल के थे और देहरादून के हाई-प्रोफाइल एशियन स्कूल में 11वीं के छात्र थे. दसवीं में उनके 90 प्रतिशत अंक आए थे.

 

लेकिन घरवालों के अनुसार इन दिनों शांतनु का मन पढ़ाई में नहीं लग रहा था. शांतनु के पिता पुष्कर नेगी के मुताबिक उन्हें इस बारे में काफी समझाया गया लेकिन उनपर किसी तरह का कोई दबाव नहीं डाला गया.

 

देहरादून के आर्यनगर में रहने वाले शांतनु एक मध्यम वर्गीय परिवार से थे. उनके बड़े भाई एमबीए के छात्र हैं.

 

उधर स्कूल प्रशासन का भी कहना है कि शांतनु से उन्हें कभी कोई शिकायत नहीं हुई थी.

 

फेसबुक पर शांतनु ने अपनी बिंदास छवि की तस्वीरें डाली हुई थीं और उनके पुराने कमेंट्स एक किशोर उम्र के मस्तमौला और बेफिक्र लड़के जैसे थे.

पुलिस उनके फेसबुक प्रोफाइल से भी सूत्र तलाशने की कोशिश कर रही है. क्योंकि उन्होंने कुछ दिनों पहले इस तरह के संदेश भी डाले हैं जो काफी रुमानी और संवेदनशील हैं.

 

ऐसा ही एक संदेश जो उन्होंने अपनी मौत से 4-5 दिन पहले डाला है वो इस तरह से है…

 

”मैं निर्दोष हूं. मैं अगर तुम्हें प्यार करता हूं तो इसके लिये मुझे दोष मत देना.”

 

आत्महत्या से पहले शांतनु फेसबुक पर अपने सारे संदेश मोबाइल के ज़रिए पोस्ट कर रहा था. पिता काम से बाहर गये हुए थे, मां पड़ोस में गई थीं और दादी छत पर धूप सेंक रही थीं.

 

जब मां लौटीं तो अपने छोटे और होनहार बेटे को फांसी के फंदे से झूलता पाया.

 

मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि शांतनु का मामला किशोरवय के संवेदनात्मक उतार-चढ़ाव से जुड़ा हो सकता है. संभव है कि शांतनु इससे तालमेल नहीं बिठा पाया हो.

 

लेकिन देहरादून के लोग इस घटना से हैरान हैं. उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि शांतनु की मौत के लिए कौन ज़िम्मेदार है.

 

फेसबुक जैसे नये माध्यम से मिलने वाली आज़ादी और इसके इस्तेमाल पर भी ग़हरे सवाल खड़े हो रहे हैं.
सो. बी बी सी

Shabana Pathan
Shabana Pathanhttp://www.udaipurpost.com
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

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